मैनपॉवर आउट सोॄसग में हुए भ्रष्टïचार पर सरकार सख्त
स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकारा, भर्तियों में हुआ लेनदेन
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। सचिवालय से लेकर जिला अस्पतालों में मैनपावर आउट सोॢसंग के तहत कर्मचारियों की गई मनमानी आपूॢत सेवा प्रदाता कंपनियों के गले की फांस बन सकती है। इनमें से कई कंपनियां विवादित भी रही हैं। स्वास्थ्य विभाग सहित कई महकमों के कर्मचारी सेवा प्रदाता कंपनियों पर वेतन कटौती, समय से भुगतान न करने और तैनाती न देने का आरोप लगा चुके हैं। पर, सेवा प्रदाता कंपनियों की ऊंची पहुंच से इन पर कार्रवाई नहीं हो सकी। अब सूबे में सियासी परिवर्तन के बाद उम्मीद है कि मैनपावर आउट सोॢसंग के नाम पर हुये भ्रष्टïाचार की जांच होगी। सूबे में योगी सरकार बनने के बाद स्वास्थ्य विभाग में सभी संवर्ग के कर्मचारियों की भर्ती पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। अस्पताल से लेकर कार्यालय तक में होने वाली भॢतयां अनिश्चितकाल के लिये रोक दी गई हैं।
बता दें कि कई अस्पतालों में भर्ती प्रक्रिया चल रही थी। सीएमओ कार्यालय में आशा, एएनएम सहित अन्य पदों पर भर्ती प्रस्तावित थी। रोक के इस आदेश के बाद स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों और उनकी चहेती मैनपावर आउट सोॢसंग कंपनियों की सांसें अटक गई हैं। शासन ने २५ मार्च को आदेश जारी कर दिया है। विभाग की सभी भॢतयां को रोकने के निर्णय पर स्वास्थ्य व चिकित्सा मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में सीएमओ और जिलाधिकारी के स्तर से होने वाली सभी भॢतयों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। इन्हीं भॢतयों में सबसे अधिक धांधली हो रही थी और पैसे का लेनदेन कियाक जा रहा था। जब तक इनकी सही निगरानी नहीं होती, भॢतयां शुरू नहीं होंगी। इस संबंध में सभी जिलों के डीएम और सीएमओ को आदेश जारी कर दिये गये हैं।
स्वास्थ्य विभाग की सचिव वी हेकाली झिमोली ने महानिदेशक स्वास्थ्य को आदेश जारी कर खाली पदों पर भर्ती करने पर पाबंदी लगाने के निर्देश दिये। इसके बाद महानिदेशक ने सभी अस्पतालों को आदेश जारी कर दिया है। सूत्रों की मानें तो बीते पांच वर्षों में समाजवादी पार्टी के नेताओं, विधान परिषद सदस्यों की कंपनियों से विभिन्न विभागों ने समूह ‘गÓ से लेकर ‘घÓ तक के अधिकतर कर्मचारी आउट सोॢसंग के नाम पर भरे हैं। माना जा रहा है बीते दिनों मुख्य सचिव द्वारा स्वीकृत पदों के सापेक्ष भरे गये और रिक्त पदों का ब्योरा तलब करने के पीछे शासन इन कंपनियों की विश्वसनीयता व कर्मचारियों के वेतन कटौती पर जांच का भी निर्णय ले सकती है। अब देखना यह है कि भ्रष्टाचार का समूल नाश करने का दावा करने वाली योगी सरकार के कार्यकाल में मनमानी का पर्याय बन चुकी इन मैनपावर आउट सोॢसंग कंपनियों पर क्या कार्रवाई होती है।
अस्पतालों में पद खाली, यहां नहीं हो सकेंगी भर्तिय
स्वास्थ्य विभाग में हजारों की तादाद में पद खाली हैं। इनमें चिकित्सक, पैरामेडिकल, नर्स, वार्ड ब्वाय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, काउंसलर और प्रबंधक आदि सहित अन्य पद शामिल हैं। संविदा पर भरे जाने वाले सैकड़ों पद भी खाली पड़े हैं। सूबे के ७५ जनपदों के सीएमओ को आदेश जारी कर निर्देशित किया गया है कि राष्टï्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और यूपीएचएचएसपी के जरिये होने वाली भॢतयों पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य महानिदेशालय में भी भर्ती पर रोक लगा दी गई है।
मुख्य सचिव ने तलब किया ब्योरा
सूबे में सत्ता बदलने के बाद मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने सरकारी महकमों में समूह ‘क’ से लेकर समूह ‘घ’ तक के पदों पर संविदा, आउटसोॢसंग के जरिये कार्यरत कर्मचारियों, रिक्त और स्वीकृत पदों का ब्योरा तलब किया है। मुख्य सचिव ने अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों व विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि समूह ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ के नियमित, संविदा, आउट सोॢसंग के माध्यम से भरे जाने वाले पदों का ब्योरा तत्काल उपलब्ध कराये। साथ ही यह भी बताये कि स्वीकृत पदों के सापेक्ष कितने पद भरे हैं, कितने रिक्त हैं।