लखनऊ। महंगी बिजली के बोझ से उपभोक्ताओं को बचाने की तैयारी कॉरपोरेशन स्तर से शुरु की गयी है। प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं उप्र पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि पावर कॉरपोरेशन स्तर पर उदय योजना के अंतर्गत सभी स्रोतों से खरीदी जा रही बिजली की लागत को कम करने के लिये हर स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि उदय योजना की राज्य स्तरीय मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक में विभाग के कैश-गैप की समीक्षा में यह बात सामने आयी कि एमओयू आधार पर लगाई गई अलकनंदा हाइड्रो व ललितपुर थर्मल विद्युत परियेाजनााओं की कैपिटल कॉस्ट, इन विद्युत उत्पादकों द्वारा अभी तक विद्युत नियामक आयेाग से अंतिम रूप से तय नहीं कराई गई है।
अलकनंदा हाइड्रो परियोजना की कमीशनिंग जून 2015 में और ललितपुर थर्मल परियोजना की कमीशनिंग दिसम्बर 2016 में हो चुकी है। अलकनंदा परियेाजना की विद्युत लागत रुपये 6.73 प्रति यूनिट तक पहुंच रही है जो कि अन्य हाइड्रो परियेजानाओं की तुलना में सर्वाधिक है। वहीं ललितपुर परियोजना की इस वित्तीय वर्ष के पहले 6 माह में खरीदी की बिजली की औसत लागत 6.82 रुपये प्रति यूनिट आई है।
अलकनंदा परियोजना के विकासकर्ता मेसर्स जीवीके को उप्र नियामक आयोग ने स्पष्टï रुप से निर्देश दिया था कि हाइड्रो परियोजना होने के बावजूद बहुत अधिक ऊर्जा लागत के एवज में वह अपने पूंजीगत लाभ को कम करने समेत अन्य जरुरी कदम उठाते हुए संशोधित टैरिफ मॉडल प्रस्तुत करे ताकि बिजली उपभोक्ताओं को महंगी बिजली के बोझ से बचाया जा सके। विकासकर्ता ने आज तक ऐसा नहीं किया। ऐसे में कमेटी ने ऐसी परियोजनाओं की कैपिटल कॉस्ट की समीक्षा कराकर इन विद्युत उत्पादकों से निगोशिएसन का प्रयास कर बिजली खरीद लागत को कम करने की कार्यवाही शुरु कर दी है।