लेसा का उपभोक्ताओं का लोड बढ़ाने पर ध्यान, सब स्टेशनों की क्षमता बढ़ाना भूले
उपभोक्ताओं के कुल लोड और उपकेंद्रों की क्षमता में 8 लाख किलोवाट का अंतर
उपभोक्ता का कुल भार 26 लाख 70 हजार किलोवाट, सबस्टेशनों की क्षमता केवल 18 लाख 21 हजार किलोवाट
पीक आवर्स में कुल लोड के उपभोग पर कांपने लगता है सिस्टम
कमजोर सिस्टम पीक आवर्स में बिजली की आवाजाही की बड़ी वजह
लखनऊ। तीन महीने तक तय लोड से ज्यादा बिजली खर्च करने पर लेसा उपभोक्ता का डिमांड के मुताबिक लोड बढ़ा देता है। उपभोक्ताओं के लोड के मुताबिक भार बढ़ा देने की यह कवायद बीते कुछ सालों से लखनऊ विद्युत सम्पूर्ति प्रशासन कर रहा है। लेकिन उपभोक्ताओं का विद्युत भार डिमांड के तहत बढ़ा देने वाला लेसा प्रबंधन अपने खुद के सिस्टम के भार को बढ़ाने के विषय में नहीं सोच पाया। नतीजतन लेसा के खुद के कमजोर सिस्टम की पोल सबके सामने खुल गयी। ऐसे में राजधानी को नो ट्रिपिंग जोन बनाने की कवायद के बीच एक नया खुलासा सामने आया है। राजधानी की विद्युत आपूर्ति व्यवस्था में सुधार के लिए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उप्र विद्युत नियामक आयोग को प्रत्यावेदन सौंपा जिसमें यह मुददा उठाया गया कि वर्तमान में लेसा की विद्युत व्यवस्था काफी खस्ता हाल है। प्रत्यावेदन में पावर कॉरपोरेशन के रिकार्ड विद्युत आपूर्ति और ऊर्जा मंत्री के ज्यादा बिजली आपूर्ति किए जाने के दावों की पोल खुल गयी। राजधानी की बदहाल विद्युत व्यवस्था के मामले में उपभोक्ता परिषद ने तहकीकात की तो चौंकाने वाला मामला सामने आया। लेसा में लगभग 9 लाख 52 हजार उपभोक्ता हैं, जिनके द्वारा लिया गया कुल संयोजित भार लगभग 26 लाख 70 हजार किलोवाट है। जबकि लेसा के अंतर्गत 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता लगभग 2024 एमबीए है। यानि किलोवाट में निकाला जाये तो यह 18 लाख 21 हजार किलोवाट होगा। यानि कि उपभोक्ताओं द्वारा लिए गये संयोजित भार और सिस्टम के बीच लगभग 8 लाख किलोवाट का गैप है। पीक आवर्स में जब उपभोक्ता अपने पूरे भार का उपभोग करता है तो उस दौरान सिस्टम कांपने लगता है।
पीक आवर्स में डायवरसी फैक्टर 1:1 होता है। ऊपर से सिस्टम पर लगभग 23 प्रतिशत बिजली चोरी का लोड। ऐसे में जब तक लेसा का सिस्टम पूरी तरीके से उच्चीकृत नही किया जाता, इसी तरह उपभोक्ताओं को परेशानी झेलनी पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2012 में उपभोक्ता परिषद के प्रत्यावेदन पर लेसा के लिए इस मामले में पूर्व में भी आदेश जारी किया गया था, लेकिन उस पर आज तक उचित कार्रवाई नहीं की गयी। उचित कार्रवाई की गयी होती तो ऐसी स्थिति न आती और आज सिस्टम पूरी तरह सुदृढ़ होता।
खुद की बजाय उपभोक्ता का भार बढ़ाने में दिलचस्पी
24 घंटे विद्युत आपूर्ति के बावजूद पीक आवर्स में लगभग सभी इलाकों में बिजली की आवाजाही लगी रहती है। वहीं जब भी सिस्टम अपग्रेड की बात आती है तो विभाग के अधिकारी रटा रटाया जवाब देते हैं कि लेसा के उपभोक्ताओं का भार बहुत कम है। उपभोक्ता ज्यादा भार का उपभोग कर रहे हैं। जबकि हकीकत में लेसा को अपने सिस्टम का भार बढ़ाना चाहिये। विद्युत वितरण संहिता 2005 की धारा 4.2 (ए) में प्राविधानित है कि सिस्टम का भार जैसे ही 80 प्रतिशत पर पहुंचेगा, तत्काल उसका सुदृणीकरण करना अनिवार्य है लेकिन उस पर लेसा प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।
एसएमएस भेजकर भार बढ़ाना असंवैधानिक
विद्युत उपभोक्ताओं के भार बढ़ाने की बात की जाए तो विद्युत वितरण संहिता व टैरिफ प्राविधानों के अनुसार जब तक घरेलू उपभोक्ता का लगातार तीन महीने तक एमडीआई में भार अधिक नहीं आता तब तक उसके भार को बढ़ाने का नोटिस नहीं दिया जा सकता। वहीं लेसा द्वारा किसी माह भार अधिक हो जाने पर एसएमएस भेजकर भार बढ़ाने के लिए दबाव बनाना पूरी तरह से असंवैधानिक है। किसी भी माह यदि किसी उपभोक्ता द्वारा लिए गये भार से उस माह में ज्यादा भार एमडीआई मीटर में रिकार्ड हेाता है तो उस बढ़े भार पर उपभोक्ताओं को टैरिफ आदेशानुसार अतिरिक्त चार्ज देना होगा। उदाहरण के लिए यदि किसी उपभोक्ता का भार दो किलोवाट है और उसके द्वारा 2.18 एमडीआई रिकार्ड होती है तो उस माह में उसे केवल 180 वाट का अतिरिक्त चार्ज रुपया 36 देना होगा।
आयोग ने मांगा सुधार का विस्तृत प्लान
विद्युत व्यवस्था में व्यापक सुधार के राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के प्रत्यावेदन को गंभीरता से लेते हुए नियामक आयोग ने मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती व मुख्य अभियंता लेसा सिस को निर्देश भेजकर विस्तृत प्लान तलब किया है। आयोग ने जारी आदेश की प्रतिलिपि प्रबंध निदेशक मध्यांचल को भी भेजी है। आयोग ने आदेश में मुख्य अभियंता लेसा को विद्युत वितरण संहिता 2005 की धारा 4.2 (ए) के तहत विस्तृत प्लान आयोग को सौंपने के लिए निर्देशित किया है। जिसमें लेसा को यह भी बताना होगा कि लेसा की विद्युत व्यवस्था में सुधार के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं और उपभोक्ताओं के संयोजित भार व लेसा की 33/11 केवी सबस्टेशनों की क्षमता में इतना जायदा गैप क्यों है।