जल्दबाजी बन रही सड़क हादसों का बड़ा कारण
यातायात नियमों की अनदेखी पड़ रही भारी, हर वर्ष हजारों लोग हादसों में गवा रहे जान
परिवहन विभाग ने जारी की हादसों की रिपोर्ट, ओवर स्पीडिंग से हो रही सर्वाधिक मौतें
लखनऊ। सड़क सुरक्षा को लेकर जहां शासन-प्रशासन के साथ मुख्यमंत्री तक अति गंभीर हैं तो वहीं सड़क सुरक्षा जागरुकता को लेकर हर साल करोड़ों का बजट भी खर्च किया जा रहा है। इन सबके बावजूद खास असर लोगों पर नहीं दिखायी पड़ रहा है। बीते कुछ सालों में परिवहन विभाग ने कई योजनाएं बनाई और उन पर काम भी किया। लेकिन सारी कवायद बेअसर साबित हो रही है। परिवहन विभाग की ओर से जारी सड़क हादसों में मरने वालों की रिपोर्ट इसका ज्वलंत उदाहरण है।
इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाकर सड़क पर चलने वाले असमय ही काल के गाल में समा रहे हैं। इसमें भी सर्वाधिक मौतें ओवर स्पीड के कारण हो रही हैं। ओवर स्पीड के चलते होने वाले हादसों की संख्या में इजाफे के बाद भी प्रदेश में निजी वाहनों को छोडि़ए, कामर्शियल वाहनों में भी स्पीड गर्वनर अभी तक नहीं लग पाये हैं। इसके आलावा शराब पीकर वाहन चलाने वाले लोग भी हादसों का शिकार हो रहे हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो लोगों की जल्दबाजी भी सड़क हादसों का एक बड़ा कारण है। बहुत से हादसे मोबाइल के कारण हो रहे हैं। फोन आने पर लोग वाहन रोकने की भी जहमत नहीं उठाते हैं और गाड़ी चलाते रहते ही मोबाइल पर बात करते हैं और हादसों का शिकार हो जाते हैं। वहीं रेड लाइट पर वाहन न रोकने से भी सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस रिपोर्ट से साफ है कि ऐसी दुर्घटनाएं भी हुई हैं, जिनमें लोग यातायात नियमों के अनुसार सड़क पर चल रहे थे। इनमें 88 फैटल एक्सीडेंट हुए। इनमें 155 लोग मारे गए और 118 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। 415 ऐसी दुर्घटनाएं हैं जो गंभीर दुर्घटनाओं की लिस्ट में तो शामिल हैं लेकिन ये हादसे किन कारणों से हुए, इसका किसी को पता नहीं चला।
इन दुर्घटनाओं में 518 लोगों की जान गई, वहीं 662 लोग गंभीर रूप से घायल हुए। लोगों को यातायात के नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रदेश में सड़क सुरक्षा पर भाषण प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। कोशिश रही कि बच्चों को इस अभियान से जोड़ा जाए, ताकि वे भी लोगों को गलत ड्राइविंग से सचेत करें। इस प्रतियोगिता में अच्छे विचार प्रस्तुत करने वाले बच्चों को पुरस्कार के रूप में एक-एक लाख रुपए तक की धनराशि दी गई है।
रिपोर्ट एक नजर में
2017 में जनवरी से दिसम्बर तक की रिपोर्ट
टाइप ऑफ ट्रैफिक- वाइलेंस- फैटल दुर्घटना- गंभीर दुर्घटनाएं- सामान्य हादसे में मारे गए लोग- गंभीर रूप से घायल
ओवर स्पीडिंग- 647 585 176 656 719
ड्र्रंकन ड्राइविंग- 155 311 51 187 156
ड्राइविंग ऑन रोड साइड- 280 104 75 262 233
जम्पिंग रेड लाइट- 30 37 186 44 54
यूज ऑफ मोबाइल फोन- 151 217 58 112 537
फैक्ट फाइल
656 मौतें ओवर स्पीड के कारण
187 मौतें शराब पीकर वाहन चलाने पर
262 मौतें रॉन्ग साइड ड्राइविंग से
112 मौतों का कारण मोबाइल पर बात करना
प्रदेश में हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस बार भी उत्तर प्रदेश में सामने आए दुर्घटनाओं के आंकड़े सर्वाधिक हैं। इन्हें कम करने के लिए सामूहिक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। हादसों पर अंकुश के लिए इस बार बड़े स्तर से तैयारी की गई है। ऐसे में इस बार दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आएगी।
गंगाफल, अपर परिहवन आयुक्त सड़क सुरक्षा