- सोलर पावर से इलेक्ट्रिक कार चलाने का करें इंतजाम : योगी
- प्रदेश में इलेक्ट्रिक कारों का भविष्य गढऩे में जुटे दिग्गजों को सीएम ने दिखाई राह
- इलेक्ट्रिक कारों की चार्जिंग में खर्च होगी भारी बिजली, बढ़ानी होगी क्षमता
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में इलेक्ट्रिक कारों का भविष्य तलाशने में जुटी कार कंपनियों और बिजली क्षेत्र के विशेषज्ञों को सौर ऊर्जा से इलेक्ट्रिक कारें चलाने की राह दिखाई है। सीएम ने कहा कि सौर ऊर्जा की दरें तीन रुपए प्रति यूनिट से नीचे आने से इसका प्रयोग सस्ता हुआ है, जबकि डेढ़ लाख मजरों और एक करोड़ परिवारों को डेढ़ साल में कनेक्शन दिए जाने से बिजली व्यवस्था पर भार बढ़ा है।
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पहल करते हुए राजधानी के गोमती नगर स्थित कार्यालय में बीते सोमवार को कार्यशाला आयोजित की, जिसमें टोयोटा किर्लोस्कर, मोहद्रा एंड मोहद्रा और होंडा सहित कई कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी और पंजाब व झारखंड विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष व शीर्ष पदाधिकारी शामिल हुए। कार कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में अपनी इलेक्ट्रिक कारों की तकनीक और विशेषताओं का प्रेजेंटेशन भी दिया।
भविष्य की मांग हैं इलेक्ट्रिक कारें: श्रीकांत
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने इलेक्ट्रिक कारों को भविष्य की मांग ठहराते हुए कहा कि देश में हो रहे इस बदलाव को हम प्रदेश से तेज गति देंगे। शर्मा ने कहा कि बढ़ते प्रदूषण की चुनौती से निपटने में इलेक्ट्रिक कारों की बड़ी भुमिका होगी। उन्होंने कहा कि शुद्ध हवा बनाए रखने के लिए जो भी जरूरी होगा, सरकार उन सभी आवश्यकताओं व प्रयासों को फलीभूत करेगी।
हर जगह बनाने होंगे चार्जिंग प्वाइंट
टाटा पावर के एमडी प्रवीर सिन्हा ने इलेक्ट्रिक कारों को कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण का इलाज ठहराते हुए इसके लिए सरकार द्वारा पॉलिसी बनाए जाने और रेगुलेटरी सपोर्ट दिए जाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि बस व रेलवे स्टेशन, मॉल, पेट्रोल पंपों, घरों व द तरों में चार्जिग प्वाइंट बनाने होंगे और कम बिजली से चार्जिग की तकनीक पर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि काम बहुत है लेकिन अवसर भी बड़ा है।
20 एसी के बराबर लगेगी बिजली
विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष राजप्रताप सिंह ने कहा कि इलेक्ट्रिक कारों को एक घंटे में चार्ज करने के लिए 40 से 50 किलोवाट यानी 20 एसी की खपत के बराबर बिजली की जरूरत पड़ेगी, जिसका भार ग्रिड पर आएगा। इसलिए क्षमता विकसित करनी होगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 तक आने वाली मांग पूरी करने की तैयारी अभी से करनी होगी, क्योंकि नई व्यवस्था बनाने में ही चार-पांच साल लग जाते हैं।