समाजवादी पार्टी सरकार के रसूखदार नेताओं के साथ अफसरों को लाभ देने वाला एक निर्णय कल पलट दिया गया। एलडीए के कार्यवाहक उपाध्यक्ष और बोर्ड अध्यक्ष अनिल गर्ग की अध्यक्षता में हुई बैठक में ने 71 में से 58 लोगों के भू उपयोग परिवर्तन को निरस्त करने का निर्णय लिया गया है। जिसे अंतिम मंजूरी के लिए अब एलडीए बोर्ड के समक्ष लाया जाएगा। प्रदेश में काबिज समाजवादी पार्टी सरकार में मनमाने ढंग से शिवपाल यादव समेत 58 प्रभावशाली लोगों के मकानों को लैंड यूज चेंज कर कमर्शियल किया गया था, अब उस निर्णय पर रोक लगा दी गई है।
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के अध्यक्ष अनिल गर्ग ने कार्रवाई कर प्रस्ताव बोर्ड को स्वीकृति के लिए भेज दिया है। लखनऊ में जिन प्रभावशाली लोगों के मकानों को कमर्शियल करने का प्रस्ताव रद किया गया है उनमें पूर्व मंत्री शिवपाल यादव, मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना गुप्ता, मुलायम सिंह यादव के समधी और समधिन अरविन्द विष्ट व अम्बी विष्ट, एलडीए के पूर्व वीसी सतेन्द्र सिंह और सचिव आवास पंधारी यादव शामिल हैं।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना गुप्ता ने परिवर्तन शुल्क जमा कर दिया है, लिहाजा उनके आवास का फैसला सुनवाई के बाद निरस्त होगा। इतना ही नहीं 13 प्रभावशाली लोगों के मकानों को आपत्ति व सुझाव लेकर कमर्शियल से आवासीय किया जाएगा। इसके लिए मौके पर कैंप लगाकर आपत्तियों की सुनवाई होगी। इनके साथ ही 258 और लोगों के आवासीय मकानों को कमर्शियल करने के प्रस्ताव पर भी रोक लगा दी गई है।
रसूखदारों की आवासीय संपत्तियों को व्यावसायिक और कार्यालय श्रेणी में करने का मामला अब खटाई में पड़ गया है। जिन लोगों की आवासीय से व्यवसायिक संपत्ति करने को निरस्त किया गया है, उसमे पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव का विशाल खंड, आइएएस अधिकारी पंधारी यादव का गोमतीनगर विस्तार के सेक्टर चार में, एलडीए के पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह का विशाल खंड में, सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट, उनकी पत्नी और एलडीए की उप सचिव अंम्बी बिष्ट (विराज व विराट खंड) भी शामिल हैं।
इसमे अधिकांश ने भू-उपयोग परिवर्तन भी जमा नहीं किया था और तीन माह की अवधि बीत जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है। कुछ समय पहले यह मामला काफी चर्चा में रहा था, क्योंकि रसूखदारों की आवासीय संपत्तियों का भू-उपयोग बदलकर संपत्ति की कीमत बढ़ाना था और वह बिना किसी डर के अपने आवासीय परिसर में व्यवसायिक उपयोग कर पाते।
एलडीए के निर्णय से जब अखिलेश सरकार की भी किरकिरी हुई तो एलडीए ने तमाम लोगों को भू-उपयोग परिवर्तन योजना में शामिल कर दिया था, जिससे रसूखदारों को लेकर कोई विवाद न आए। इसके लिए कुल 71 लोगों ने भूउपयोग परिवर्तन का प्रस्ताव दिया था। इसमे लखनऊ के कई बड़े व्यापारियों के अलावा प्रभावशाली लोग थे।
एलडीए ने भू-उपयोग परिवर्तन के प्रस्ताव को बोर्ड के समक्ष रखा था और बोर्ड ने एलडीए कॉलोनियों में आवासीय भूखंडों से भू-उपयोग में परिवर्तन से संबंधित 71 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी थी, जिनका भू उपयोग व्यावसायिक और कार्यालय श्रेणी में परिवर्तित किया जाना था। एलडीए ने सार्वजनिक सूचना प्रकाशित कर 15 दिन में आपत्तियां मांगने के बाद एलडीए बोर्ड से भू-उपयोग परिवर्तन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, लेकिन भू-उपयोग शुल्क अधिक होने के बाद उसे किसी ने जमा नहीं किया था।