लखनऊ। प्रदेश के ऐसे फीडर और उपकेंद्र जिनसे क्षेत्र में तय शेड्यूल से कम बिजली सप्लाई की जा रही है, उनकी मॉनीटरिंग शक्ति भवन मुख्यालय से होगी। क्षेत्रों के अभियंता अब ऐसा नहीं कर पाएंगे। इन पर अब सीधे शक्तिभवन मुख्यालय से निगरानी की जा रही है। प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने बताया कि शक्तिभवन मुख्यालय से ऐसे फीडर और सब-स्टेशनों की समीक्षा की जा रही है, जिन फीडरों पर बिजली आपूॢत शेड्यूल से तीन घंटे से कम रही हो। इसके लिए वहां तैनात अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। अफसरों को निर्देशित किया गया है कि यदि इन फीडरों या उपकेंद्रों पर ट्रांसमिशन-वितरण या किसी अन्य तरह की समस्या है तो उसे तत्काल दुरुस्त कराएं। प्रमुख सचिव ने कहा कि जिन फीडरों पर ट्रिपिंग अधिक है वहां तय शेड्यूल से अधिक बिजली देकर संतुलित किया जाए। कृषि फीडरों के लिए 10 घंटे बिजली आपूॢत करने के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव ने कहा कि अगले माह में उमस और तेज धूप के कारण गर्मी रहेगी जिससे बिजली की मांग भी अधिक रहेगी। इसलिए तैयारी रखें कि आपूर्ति सामान्य रहे और ट्रिपिंग अधिक न हो। डिस्कॉम स्तर पर संबंधित प्रबंध निदेशक लगातार निगरानी करें और समीक्षा करें। रोस्टर या तय शेड्यूल से कम बिजली देने पर उन्होंने साफ तौर पर नाराजगी जाहिर की। कहा कि मरम्मत या किसी भी अन्य कारण होने पर अधीक्षण अभियंता यह तय करके ही शटडाउन लेंगे कि उक्त क्षेत्र में पिछले काफी दिनों से बेहतर बिजली आपूॢत हो रही। उनकी अनुमति के बिना शटडाउन नहीं लिए जाएंगे। 11केवी फीडर पर एक दिन में अधिकतम एक घंटे का ही शटडाउन लिया जा सकेगा। खराब ट्रांसफार्मरों के समय से ठीक न होने और बदले न जाने की शिकायतों पर प्रमुख सचिव ने एमडी पूर्वांचल और निदेशक तकनीकी से नाराजगी जताई। उन्होंने पूर्वांचल के सभी जिलों की बिजली आपूॢत की रिपोर्ट तलब की है। इसमें तय शेड्यूल, की गई बिजली कटौती, फाल्ट, फाल्ट के कारण जैसे सभी ब्यौरे मांगे हैं। ताकि बिजली कटौती की असली वजह पता चल सके।
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