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लेसा को खोजे नहीं मिल रहे डिफॉल्टर

ब्याज माफी योजना के बावजूद पंजीकरण नहीं कराने आ रहे डिफॉल्टर उपभोक्ता

लेसा के ट्रांसगोमती में 15 जबकि सिस गोमती में 20 हजार हैं डिफॉल्टर उपभोक्ता

सौ प्रतिशत ब्याज माफी योजना के बाद भी महज 13 हजार ने कराया पंजीकरण

योजना के प्रचार-प्रसार में ही खर्च हो चुके हैं लाखों रुपए

डिफॉल्टर न तो जमा कर रहे बकाया और न ही कटने दे रहें कनेक्शन

light copyलखनऊ। डिफॉल्टर उपभोक्ता लेसा के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। सौ फीसदी ब्याज माफी की एकमुश्त समाधान योजना के बावजूद डिफॉल्टर लेसा की पहुंच से दूर बने हुए हैं। डिफॉल्टरों की खोजबीन में लगे अफसर भी सही पड़ताल कर पाने में अक्षम साबित हो रहे हैं। ये ऐसे उपभोक्ता हैं जो न तो बकाया बिजली बिल जमा कर रहे हैं और न ही खोजे मिल रहे हैं। इसकी वजह है कि विद्युत विभाग के रिकार्ड में दर्ज हजारों उपभोक्ताओं के नाम और पते ऐसे हैं जो मौके पर खोजे नहीं मिल रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि ऐसे डिफॉल्टर सरकार की सौ प्रतिशत ब्याजी माफी योजना का भी लाभ नहीं लेना चाह रहे हैं। यह आलम तब है जब विद्युत विभाग ब्याज माफी योजना का लाभ बकायेदार अधिक से अधिक उठाएं, इसके प्रचार-प्रसार के लिए लाखों रुपए खर्च कर चुका है। बावजूद इसके डिफॉल्टर न तो बकाया जमा करने आ रहे हैं और न ही बिजली कनेक्शन कटने दे रहे हैं।
लेसा में 30 हजार से अधिक डिफॉल्टर उपभोक्ता ऐसे हैं जिन पर विभाग का करोड़ों रुपया बिजली बिल बकाया है। राजधानी में कुल साढ़े नौ लाख उपभोक्ताओं में से दो किलोवाट के लगभग 45 हजार उपभोक्ताओं पर करोड़ों रुपए का बिजली बिल बकाया था। लेकिन सरकार की एक जनवरी से शुरु हुई ब्याज माफी यानि ओटीएस योजना में अब तक करीब 13 हजार से अधिक उपभोक्ताओं ने पंजीकरण कराया है। ओटीएस योजना के एक महीने के दौरान बकायेदारों के पंजीकरण की यह संख्या मामूली ही कही जायेगी। कारण, दो किलोवाट के बकायेदार उपभोक्ताओं की संख्या ही लेसा में करीब 45 हजार थी। ऐसे में अभी भी 30 हजार से अधिक बकायेदारों पंजीकरण नहीं कराया है। वहीं हजारों की संख्या में अभी भी ऐसे बकायेदार उपभोक्ता हैं जिनके या तो नाम पते गायब हैं और जिनका पता चल जा रहा है तो वे बकाया जमा करने का आश्वासन ही दे रहे हैं। ऐसे उपभोक्ता बकाया होने के बावजूद आश्वासन के बल पर कनेक्शन भी कटने नहीं दे रहे हैं। अब ऐसे उपभोक्ताओं पर शिकंजा कसने की तैयारी मध्यांचल प्रबंध तंत्र कर रहा है। अफसरों की मानें तो ब्याज माफी योजना के तहत लाभ न लेने वाले उपभोक्ताओं से बकाया वसूलने के लिए सख्त कदम उठाया जायेगा। ओटीएस योजना की समाप्ति के बाद ऐसे उपभोक्ताओं से बकाया वसूलने के लिए कड़ा रुख अख्तियार किया जायेगा।

डिफॉल्टर बढ़ा रहे बकाया

लेसा के ट्रांसगोमती में करीब 15 हजार और सिस गोमती में करीब 20 हजार उपभोक्ता डिफॉल्टर हैं। लेसा अधिकारियों की मानें तो ऐसे डिफॉल्टर उपभोक्ताओं के चलते ही विभाग का बकाया राजस्व बढ़ता जा रहा है। स्टॉप बिलिंग से थोड़े समय के लिए बकाया राजस्व के आंकड़े से इनका रिकार्ड दूर किया जा सकता है। लेकिन यह कुछ ही समय के लिए संभव है। अधिकारियों का कहना है कि डिफॉल्टर उपभोक्ताओं का पता किसी एक इलाके या उस क्षेत्र के किसी एक जगह के नाम से दर्ज कर कनेक्शन दे दिया गया। अब ऐसे इलाके के विकसित होने के बाद उन्हें खोज पाना मुश्किल हो रहा है।

ऐसे उपभोक्ताओं को अपना बकाया जमा करने के लिए ही सरकार ब्याज माफी योजना चला रही है। ऐसे उपभोक्ताओं को सौ प्रतिशत ब्याज माफी के साथ किस्तों में बकाया जमा करने की सुविधा प्रदान की गयी है। बावजूद इसके डिफॉल्टर पंजीकरण कराने नहीं आ रहे हैं। ऐसे उपभोक्ताओं से योजना की समाप्ति के बाद बकाया वसूली के लिए कड़ाई से निपटा जायेगा। बकाया वसूली के लिए सख्त कदम उठाया जायेगा।
संजय गोयल, प्रबंध निदेशक, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम

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