पीटीओ को वाहन मिलना चाहिए या नहीं, शासन व विभाग में मची खींचतान
पीटीओ को दी गयी 120 गाडिय़ों का सवा दो करोड़ रुपया बाकी है किराया
बकाया भुगतान की शासन ने लौटाई फाइल
लखनऊ। परिवहन विभाग को जिन अधिकारियों ने कमाई कर मालामाल किया, वे खुद पैदल हो गए हैं। विभाग की राजस्व वसूली का जिम्मा संभालने वाले और विभाग के करोड़ों के राजस्व वसूली के लक्ष्य को आसानी से पूरा करने वाले प्रवर्तन दस्तों को चार पहिया वाहन मिलना चाहिए या नहीं, इस पर शासन व विभाग में खींचतान मची हुई है। शासन का मानना है कि पैसेंजर टैक्स ऑफिसर (पीटीओ) के पद के साथ चार पहिया वाहन का कोई नियम नहीं है, पीटीओ को एआरटीओ प्रवर्तन के साथ ही चेकिंग अभियान में एक गाड़ी से चलने का नियम है। वहीं परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि तीन साल पहले ही यात्री कर अधिकारियों को प्रवर्तन कार्य के लिए अधिकृत किया गया था। प्रवर्तन कार्य अच्छी प्रकार से हो, इसके लिए उन्हें चार पहिया वाहन किराए पर लेने का विभाग को वित्त से अधिकार दिया गया था। जिसके बाद ही सभी पीटीओ को चार पहिया वाहन किराए पर उपलब्ध कराए गए। लेकिन अब यह प्रवर्तन दस्ते शासन की अनदेखी के चलते पैदल होने जा रहे हैं। शासन की ना और परिवहन विभाग की हां के बीच पीटीओ के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि आगामी दिनों में वे चेकिंग अभियान पैदल चलकर करेंगे या फिर चार पहिया वाहन से। अवैध वाहन सड़क पर संचालित न हों और विभाग का राजस्व वसूली लक्ष्य पूरा हो सके, इसके लिए यात्री कर अधिकारियों को शासन के वित्त विभाग से चार पहिया वाहन उपलब्ध कराने की सहमति दी गई थी। लक्ष्य निर्धारित करने के बाद ही पीटीओ को तीन साल पहले किराए पर गाड़ी उपलब्ध कराने का वित्त विभाग ने परिवहन विभाग को निर्देश दिया था। इसके बाद प्रदेश में कुल १२० चार पहिया वाहन पीटीओ को उपलब्ध कराए गए। एक साल में ही पीटीओ ने प्रदेश भर में अवैध वाहनों के खिलाफ विशेष अभियान चलाकर ६० करोड़ रुपये कमाकर विभाग को मालामाल कर दिया। करोड़ों की कमाई कर विभाग की झोली भरने वाले यात्री कर अधिकारियों को पैदल करने की मंशा शासन में बैठे आला अधिकारियों ने जाहिर कर दी है। पीटीओ को प्रति माह ३५ हजार रुपए में गाडिय़ां किराए पर लिए जाने के आदेश थे। करीब १२० गाडिय़ां प्रदेश में पीटीओ ने किराए पर लीं, इन गाडिय़ों को करीब साल भर में सवा दो करोड़ रुपया बकाया दिया जाना है। जब इस बकाया धनराशि की फाइल शासन ने लौटा दी तो आनन-फानन में यात्री कर अधिकारियों से ४० चार पहिया वाहन ट्रेवल्स संचालकों ने खींच लिए।
विभाग की राजस्व वसूली होगी कम
परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो पीटीओ के बिना अभियान चल पाना संभव नहीं है। बिना पीटीओ के अभियान चला भी तो विभाग की राजस्व वसूली का लक्ष्य किसी भी हालत में पूरा नहीं होगा। ऐसी दशा में विभाग को राजस्व वसूली का लक्ष्य कम करना पड़ेगा। विभाग में एआरटीओ प्रवर्तन की इतनी संख्या नहीं है कि निर्धारित लक्ष्य की वसूली की जा सके। बीते वित्तीय वर्ष में पीटीओ को गाडिय़ां उपलब्ध कराने का ही नतीजा रहा कि विभाग को ५० से ६० करोड़ रुपये का राजस्व मिला। ऐसे में उनसे गाड़ी छीन ली गयी तो अभियान कमजोर पड़ जाएगा और इसका सीधा असर विभाग की राजस्व वसूली पर पड़ेगा। सड़क पर अवैध वाहनों का संचालन रोकने में पीटीओ की अहम भूमिका है।
गाडिय़ों के भुगतान का पैसा लैप्स
यात्री कर अधिकारियों की गाडिय़ों का भुगतान न हो पाने के मामले में प्रमुख सचिव परिवहन आराधना शुक्ला का कहना है कि आचार संहिता लगने व उसके बाद नई सरकार का गठन होने और विभाग को परिवहन मंत्री मिलने में लगने वाले समय के चलते भुगतान में समस्या आई। वित्त से फाइल पास तो हुई लेकिन ३१ मार्च की रात को, तब तक नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया था, ऐसे में गाडिय़ों के भुगतान का पैसा लैप्स हो गया। वहीं विभागीय अधिकारियों की मानें तो इन वाहनों के भुगतान के लिए काफी पहले से ही फाइल शासन में भेज दी गई थी, लेकिन इस पर ध्यान न देने के कारण ही यह नौबत आई।
-एआरटीओ प्रवर्तन ही चार पहिया वाहन के लिए अधिकृत हैं, पीटीओ को एआरटीओ प्रवर्तन के साथ ही अभियान चलाने का नियम है। ऐसे में उनके पास चार पहिया वाहन होने का कोई प्रावधान नहीं है।
आराधना शुक्ला, प्रमुख सचिव परिवहन