- बीते साल कैबिनेट ने पॉलिसी को दी थी मंजूरी
- 17 नगर निगमों में 2,4197 पटरी दुकानदारों को होना है पंजीकरण
लखनऊ। यूपी के नगर निगमों में अभी तक वेंडिंग पॉलिसी लागू नहीं हो सकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में स्थानीय निकाय निदेशालय से कई बार आदेश जारी किए गए हैं। बीते वर्ष पथ विक्रय समिति (टाउन वेंडिंग कमेटी) का गठन भी हो चुका है।
जनप्रतिनिधियों, दुकानदारों व अधिकारियों के फेर में वेंडिंग पॉलिसी अभी फाइलों में ही दौड़ रही है। अभी तक सहारनपुर नगर निगम में ही पटरी दुकानदारों का पंजीकरण किया गया है। 17 नगर निगमों में कुल 2,4197 पटरी दुकानदार हैं। 4171 विक्रेताओं को ही प्रमाण पत्र जारी किया जा सका है। उत्तर प्रदेश पथ विक्रेता नियमावली 2017 को लागू किया जाना है।
प्रदेश में योगी सरकार के गठन के बाद वर्ष 2017 में 9 मई को कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गई। केंद्र सरकार वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कानून लायी थी। तब से यह कानून लागू होने की बाट जोह रहा है। हालांकि यूपी सरकार के फैसले के बाद नगर निगमों में फेरी नीति को लागू करने की रफ्तार बढ़ी है।
नगर विकास विभाग ने निकायों में नगर पथ विक्रय समिति का गठन, पथ विक्रेताओं का सर्वेक्षण, पंजीकरण एवं पंजीकृत पथ विक्रेताओं को सर्टिफिकेट ऑफ वेंडिंग जारी करने संबंधी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। स्थानीय निकाय निदेशालय ने हर सप्ताह निकायों से रिपोर्ट मांगी है।
निदेशालय के प्रारी राजेंद्र प्रसाद त्रिपाठी की ओर से एक बार फिर से पत्र जारी करते हुए रिपोर्ट न दिए जाने पर खेद जताया गया है। इसे लेकर आगामी दिनों में समीक्षा बैठक मुख्यमंत्री करेंगे। उस दौरान प्रगति संतोषजनक न होने पर संबंधित निकायों के अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा।
छह माह में होना था दस साल बीत गए- वर्ष 2008 में उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें फेरी नीति को लागू करने के लिए 6 माह का समय दिया गया था। यह समय सीमा समाप्त हुए आज दस वर्ष से ज्यादा हो चुका है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फेरी वालों के हक में फैसला सुनाते हुए समय पर सर्वे कार्य पूरा करने के निर्देश दिए थे।
इसके अनुपालन में केंद्र सरकार ने वर्ष 2014 में पॉलिसी को मंजूरी दी। इसके बाद अलग-अलग राज्यों ने अपने यहां निकायों में इसे लागू कर दिया। मगर यूपी में मुख्य सचिव स्तर से निर्देश दिए जाने के बाद भी बात नहीं बनी। फिर योगी सरकार ने कैबिनेट में इसे नए सिरे से पास किया।