बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना गुड्स एंड सर्विस टैक्स ( जीएसटी) जुलाई 2017 में लागू होने के बाद तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन विभाग ने कई बदलाव किये जिससे रास्ते सुगम हुए। व्यापारियों की सुविधा को देखते हुए विभाग जल्द ही यूजर फैं्रडली एप भी लांच करने जा रहा है, जिससे कोई भी सामान्य मोबाइल चलाने वाला व्यक्ति चला सकेगा, इसके लिए तकनीकी जानकार होने की जरूरत नही है। पिछले साल जो योजनाएं परवान नहीं चढ़ी उनमें कार्य नये साल में तेजी से किया जा रहा है।
गौरतलब है कि जनवरी 2017 से लेकर 29 दिसम्बर 2018 तक नौ लाख व्यापारियों का पंजीकरण हुआ। इसमें करीब छह लाख कारोबारी वैट में पंजीकृत पुराने कारोबारी हैं जो कि जीएसटी में शामिल हुए, जबकि तीन लाख नए कारोबारियों का पंजीकरण हुआ। विभाग में सभी फाइल व्यवस्था को समाप्त कर ऑन-लाइन किया गया और सभी तरह के नए आवेदन व संशोधन के आवेदन भी ऑन-लाइन किए गए, जिससे व्यापारियों को कार्यालय आने की असुविधा से निजात मिली। कारोबारियों को कार्यालय तलब करने की व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त की गयी। इसके अलावा कई अन्य योजनाओं पर भी काम शुरू तो किया गया, लेकिन पूरा नहीं हो सका।
वाणिज्य कर में 2018 में हुए काम
पंजीकृत व्यापारी के बीमा की धनराशि दस लाख हुई
सभी तरह के आवेदन ऑन-लाइन हुए
फाइलों की व्यवस्था समाप्त, कर सभी मामले ऑन-लाइन हुए
व्यापारियों की समस्याओं को सुनने अधिकारियों को व्यपारियों के द्वार जाने की व्यवस्था लागू हुई
रिफन्ड पखवाड़े के जरिए कारोबारियों को जीएसटी में जमा अतिरिक्त टैक्स की वापसी हुई
माल के परिवहन के लिए ई- वे बिल की व्यवस्था लागू हुई
टैक्स चोरी रोकने के लिए ट्रकों की निगरानी के लिए आरएफआईडी व्यवस्था लागू हुई
ये काम रहे है अधूरे
जीएसटी पोर्टल की क्षमता नहीं बढ़ी, रिटर्न दाखिल करने में आ रही परेशानी
वैट प्रणाली के दौरान गुम हुई वादों की फाइले नही मिली
विभाग के सचल दल अधिकारियों को नही मिले नए वाहन
रिटर्न में संशोधन करने की व्यवस्था नहीं शुरू हुई
कार्यालयों में व्यापारियों के लिए बैठने व पीने के पानी की व्यवस्था नहीं हुई
ई-वे बिल डाउनलोड करने में बनी रही समस्या