लखनऊ। लोकसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू कर दी है। राजधानी में लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजते ही प्रत्याशी अपने-अपने कार्यकर्ताओं को खुश रखने के लिए तरह- तरह का इंतजाम करने में जुटे हैं। चुनाव के दौरान शराब की भारी खपत होती है, जिसको देखते हुए नकली शराब के कारोबारी अंग्रेजी व देशी शराब की खेप को खपाने के लिए जुगत में लग गए हैं, जिसको रोकने के लिए पुलिस प्रशासन का पूरा अमला संजीदा दिखाई दे रहा है, लेकिन इसके विपरीत आबकारी विभाग चुप्पी साधे है, जिससे अब विभाग पर ही सवालिया निशान लगने लगे हैं।
आकड़ों पर गौर करें तो देखने को मिलता है कि पिछले दिनों जिस तरह से कई क्षेत्रों की पुलिस व एसटीएफ ने कई थाना क्षेत्रों में गैर राज्यों से तस्करी कर लायी गयी भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब व देशी शराब पकड़ी है। उससे तो यहीं पतरतीत होता है। सूत्रों का कहना है कि शराब की कई दुकानों पर सेल्समैन व दुकान मालिकों की मिलीभगत से अधिक मात्रा में बिकने वाले ब्राण्डों में व्यापक पैमाने पर मिलावटी शराब की बिक्री शुरू हो गयी है। वह देर रात ओवर रेटिंग भी कर रहे है। उसके बावजूद भी आबकारी विभाग मौन साधे हुए है। चुनाव के मद्देनजर जिस तरह पुलिस शराब की खेप व असलहे बरामद कर चुस्त नजर आ रही है।
वहीं आबकारी विभाग अभी भी कुम्भकरणी नींद में सो रहा है। जानकार बताते है कि उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों की अपेक्षा शराब की कीमत ज्यादा है। चुनाव में नेता छुटभइया नेताओं से वोटरों को खुश करने के लिए चुनाव में शराब को पानी की तरह परोसते है। सूत्र बताते हैं कि शराब कारोबारी चुनाव में शराब की अधिक खपत होने के कारण बाहरी राज्यों से ब्रांडेड कम्पनियों की शराब मंगवा रहे हैं। जहां एक तरफ पुलिस प्रशासन बंथरा सहित कई ग्रामीण इलाकों में प्रतिबंधित शराब को पकडऩे में कामयाब रहा है, वहीं साथ- साथ राजधानी में अवैध शराब पर रोकथाम के लिए अभियान चलाते भी देखा जा रहा है। उनकी कार्यप्रणाली के आगे आबकारी विभाग बौना साबित हो रहा है।