- लापरवाही पर सफाई निरीक्षकों के क्षेत्र बदले
लखनऊ। शहर में सफाई व्यवस्था पटरी से उतर गई है। एक महीने तक स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर नगर निगम खूब तेजी दिखायी। शहर के हर कोने में झाडूृ लग रही थी। मगर सर्वेक्षण समाप्त होते ही सफाई कर्मी कार्यस्थल से नदारद हो गए हैं। ठेके पर रखे गए सफाई कर्मी पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। ईको ग्रीन को टिपिंग फीस के तौर पर करोड़ों का भुगतान किया जा रहा है इसके बाद भी सफाई व्यवस्था जीरो है। स्वच्छ सर्वेक्षण होने पर स्वच्छता फीडबैक के लिए ऐप डाउनलोड कराया गया। एक-एक कर्मचारी को इस काम के लिए लगाया गया था। देर रात तक बैठकें होती थीं अब जब सर्वेक्षण समाप्त हो चुका है फीडबैक में शहर नंबर वन बन गया था। इसके बाद से लखनऊ नगर निगम ने ध्यान देना बंद कर दिया। हाल यह है कि सफाई कर्मचारी कार्यस्थल पर नहीं पहुंच रहे हैं। सुपरवाइजर व सफाई एवं खाद्य निरीक्षक भी लापरवाह बने हुए हैं। जोनल अधिकारियों का ध्यान वसूली की तरफ है। वहीं जोनल सेनेटरी इंस्पेक्टर की जवाबदेही नहीं है।
स्वच्छता सर्वेक्षण समाप्त होते ही शहर की सफाई व्यवस्था पटरी से उतर गई है। वीआईपी इलाका हो या फिर मलिन बस्ती, हर जगह कूड़े के ढेर लगने लगे हैं तो कई दिनों बाद झाडू लग रही है। हाल यह है कि सफाई कर्मचारी नहीं आ रहे हैं। खुद नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने निरीक्षण में यह अव्यवस्था देखी। उन्होंने लापरवाही पर कई सफाई एवं खाद्य निरीक्षकों के तैनाती में फेरबदल करते हुए चेतावनी जारी की। जोन एक में तैनात सफाई निरीक्षक राजेश कुशवाहा को हटाकर जोन दो में तैनात कर दिया। नगर आयुक्त ने बताया निरीक्षण में कैंट रोड, विक्रमादित्य मार्ग व आस पास काफी गंदगी मिली थी।
इसी के साथ बीट इंचार्ज महेश को इस पद से हटाते हुए उन्हें फिर से सफाई कर्मचारी बनाने का आदेश किया। कहा बीट इंचार्ज कोई नहीं होगा। जोन दो में तैनात आशीष पांडेय को जोन एक, जोन आठ में तैनात राजेश कुमार झा को जोन तीन तथा बृजेश कुमार को जोन तीन से जोन आठ में स्थानांतरित किया गया है। सफाई व्यवस्था को लेकर नगर आयुक्त ने शनिवार की रात को सभी जोनल अधिकारी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी पंकज भूषण समेत सफाई एवं खाद्य निरीक्षकों के साथ बैठक की। नगर आयुक्त की नाराजगी के बाद सभी जोनों में देर रात सफाई कराई जाने लगी। जोन एक व जोन दो में कई सड़को की सफाई कराई गई।
सर्वेक्षण के बाद रात में सफाई व्यवस्था ठप
स्वच्छता सर्वेक्षण के समय रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था अब रूक गई। जोन छह की तीन बाजारों में दो दिनों से सफाई कार्य नहीं हो रहा है। नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की संख्या 9800 होने के बाद यह हाल है। सर्वेक्षण समाप्त होने के बाद ही नगर निगम के अधिकारी मनमानी शुरू हो गई है। सफाई की परीक्षा में नंबर वन आने की ललक में सफाई कर्मचारियों की संख्या चार हजार से बढ़ाकर 9800 कर दी गई। इसमें ज्यादातार कार्यदायी संस्था के कर्मचारी है। बाजारों में रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था शुरू की गई। सर्वेक्षण के दौरान गत चार से 31 जनवरी तक सफाई व्यवस्था चाक-चौबंद रही। सड़कों पर कूड़ा दिखना बंद हो गया लेकिन सर्वेक्षण समाप्त होने के अगले ही दिन एक फरवरी से बाजारों में रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था ठप हो गई। पिछले दिनों जोन छह की जोनल अधिकारी अम्बी बिष्ट ने इसकी जानकारी ह्वाट्सएप गु्रप पर भी दी थी। उन्होंने लिखा है कि सर्वेक्षण के अन्र्तगत रात्रिकालीन सफाई के लिए जोन छह की तीन बाजारों को चयनित किया गया था। इसमें ठाकुरगंज बाजार, सब्जी मंडी हरदोई रोड, टीबी अस्पताल से ठाकुरगंज थाने के मोड़ तक चौक बाजार चौक गोल चौराहा से कोनेश्वर मंदिर चौराहा तक व विक्टोरिया स्ट्रीट मार्केट, चरक चौराहा से नक्खास चौराहा तक शामिल थे। लेकिन पिछले दो दिनों से रात्रिकालीन सफाई कार्य ठप हो गया है। जिसका नमूना वहां जाकर आसानी से देखा जा सकता है।