सूबे में 36 हजार से ज्यादा शिक्षकों की जरूरत
कालेजों में प्रिन्सिपल, प्रवक्ता व सहायक अध्यापकों के हजारों पद खाली
संस्कृत विद्यालयों को भी 361 संस्था प्रधान की दरकार
लखनऊ। सूबे में एक बार फिर पहली जुलाई से पढ़ाई की गुणवत्ता पर कवायद होगी, शत-प्रतिशत पंजीकरण से लेकर एकेडमिक कैलेण्डर को पूरा कराने में शासन से लेकर जिले तक का अमला जुटेगा, लेकिन राजकीय से लेकर एडेड कालेजों में प्रधानाचार्यों, प्रवक्ताओं व सहायक शिक्षकों का टोटा है। यूपी में 2270 राजकीय विद्यालय हैं, इनमें 789 इंटर कालेज व 1472 हाईस्कूल हैं।
एडेड स्कूलों की संख्या 4512 तो वित्त विहीन विद्यालय 19,818 को मिलाकर 26,600 माध्यमिक शिक्षा देने वाले कालेज हैं। अब इनमें प्रधानाचार्य से लेकर सहायक अध्यायकों की स्थिति पर नजर डाले तो राजकीय विद्यालयों में पूरी तरह सरकारी धनराशि व्यय होती है तो एडेड स्कूलों के शिक्षकों का वेतन व अन्य मद का बोझ राज्य सरकार उठाती है।
राजकीय विद्यालय हो या फिर एडेड स्कूल सभी में संसाधनों का टोटा है। शिक्षक भी पर्याप्त नहीं हैं। राज्य के 798 राजकीय विद्यालयों में प्रधानाचार्य के स्वीकृत पदों में से 90 ही कार्यरत हैं, जबकि 708 विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन हैं। प्रधानाध्यापक व उप प्रधानाचायरे के मामले में स्थिति कुछ बेहतर है, लेकिन इसमें भी स्वीकृत 1548 के मुकाबिल 219 पद रिक्त हैं।
प्रवक्ता और सहायक अध्यापकों की स्थिति बेहद दयनीय है। प्रवक्ता के स्वीकृत 8458 पदों में से 5300 पद खाली हैं तो सहायक अध्यापक के स्वीकृत 18297 पदों में 7000 ही भरे हैं और 11240 पद रिक्त चल रहे हैं। राजकीय विद्यालयों में प्रधानाध्यापक से लेकर सहायक अध्यापक पदों पर भर्ती सीधे राज्य लोक सेवा आयोग से होती है और आयोग इन दिनों शिक्षकों की भर्ती के मामले में ही विवादों में हैं। अब एडेड स्कूलों की तस्वीर देखें तो वहां की स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण है।
यहां की गुणवत्ता का दारोमदार पिं्रसिपल व शिक्षकों पर है, जबकि सरकार का पूरा जोर शत प्रतिशत नामांकन पर है। प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में संस्था प्रधान (हेड) के 4512 स्वीकृत पदों में से ढाई हजार पद भरे जाने हैं। प्रवक्ता के 22 हजार 300 स्वीकृत पदों में से 2297 खाली हैं, लेकिन एलटी ग्रेड के सहायक अध्यापक के स्वीकृत 72 हजार पदों में से 14122 पद खाली हैं।
एडेड संस्कृत विद्यालयों में भी हेड मास्टरों के 361 व सहायक अध्यापकों के 1119 पद खाली हैं। संस्कृत विद्यालयों में तो प्रवक्ता का पद ही सृजित नहीं है।