- पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और दीपक सिंघल को विलेन साबित करने की मुहिम तेज : सूत्र
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। अपनी कुर्सी बचाने के लिए साम, दाम, दण्ड और भेद का सहारा लेने वाले शुगर डैडी के रूप में विख्यात यूपी के मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने दो पूर्व मुख्य सचिवों को निशाने पर ले रखा है। योगी सरकार में अपने नम्बर बढ़ाने के लिए जहां दोनों पूर्व मुख्य सचिवों को नाकाबिल साबित करने का खेल खेल रहे हैं वहीं दोनों पूर्व चीफों के तथाकथित कारनामों की पोल पट्टी खोल कर कार्रवाई करवाने की मुहिम तेज कर दी है, जिससे अपना भविष्य सुरक्षित हो और यूपीएसआईडीसी का अध्यक्ष पद भी हासिल हो जाय।
यूपी में सत्ता परिवर्तन के साथ ही नौकरशाही में भी शह-मात का खेल शुरू हो गया। अखिलेश सरकार में सबसे अधिक लोकप्रिय रहे पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन के तारे इन दिनों गर्दिश में हैं। अपनी कार्यशैली के चलते नेता और नौकरशाही के साथ जनता में भी काफी लोकप्रिय रहे आलोक रंजन जब मुख्य सचिव पद से रिटायर हुये तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें अपना सलाहकार घोषित करने के साथ ही यूपीएसआईडीसी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंप दी। बताया जाता है कि पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन की तारीफ और सिफारिश पर राहुल भटनागर को मुख्य सचिव बनाया गया था। राहुल भटनागर मुख्य सचिव तो जरूर बन गये लेकिन अखिलेश सरकार में कभी भी वह पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन जैसा सम्मान और रूतबा नहीं पा सके।
इस खुन्नस का अब यह असर दिख रहा है। जानकारों की मानें तो योगी सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के करीबी लोगों और नेताओं को आयोग आदि से हटाने का आदेश दिया था। इसी क्रम में तेजी दिखाते हुए मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने सभी नियुक्तियों को निरस्त कर दिया। इसी आदेश के मुताबिक पूर्व मुख्य सचिव और यूपीएसआईडीसी के अध्यक्ष आलोक रंजन को भी पद से हटाने का आदेश जारी कर दिया। साथ ही राज्य सम्पत्ति विभाग पर दबाव बनवाकर आलोक रंजन को राजभवन में आवांटित भवन को वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल को आवंटित करवा दिया। साथ ही मकान को जल्द खाली करवाने का नोटिस भी भेज दिया गया। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आलोक रंजन को आश्वासन दिया था कि उनको यूपीएसआईडीसी के अध्यक्ष पद से हटाया नहीं जाएगा। चर्चा है कि इसके साथ ही आलोक रंजन के समय चल रही योजनाओं की समीक्षा कर खामियां ढूंढ कर जांच करवाने की भी मुहिम छेड़ दी है। आलोक रंजन की यूपीएसआईडीसी के अध्यक्ष पद पर दुबारा वापसी न हो, इसके लिए अपने नाम पर मुहर लगवाने के लिए यूपीएसआईडीसी से प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा गया है।
सूत्रों का कहना है कि विवादों के लिए चॢचत पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल भी शुगर डैडी के निशाने पर हैं। एनसीआर में आयुक्त के पद पर दिन काट रहे दीपक सिंघल को अपने शिकंजे में लेने के लिए सिंचाई विभाग और मुख्य सचिव पद पर रहते शुरू हुई विभिन्न योजनाओं की समीक्षा शुरू की गई है। जिसमें गोमती रिवर फ्रंट योजना की जांच रिटायर्ड जज से कराई जा रही है। सिंचाई विभाग के सूत्रों का कहना है कि जांच में सभी तथ्य सामने आ जाएंगे। लेकिन मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोमती रिवर फ्रंट योजना के औचक निरीक्षण के समय कहा था कि योजना का मात्र 50 फीसदी काम हुआ है। जबकि सिंचाई विभाग के रिकार्ड के मुताबिक अधिकतर योजना में लगभग 90 से 95 फीसदी काम हो चुका है। रही बात वित्तीय अनियमितताओं की यह जांच में सामने आ जाएगा। लेकिन मुख्य सचिव राहुल भटनागर दीपक सिंघल को सिंचाई विभाग का विलेन साबित करने में कोई भी कोताही नहीं बरत रहे हैं।
इस संबंध में सम्पर्क किए जाने पर मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन से सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। जबकि पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने कहा कि बेवजह उनको बदनाम किया जा रहा है। कोई भी जांच करा लें। जांच में दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। इससे ज्यादा और कुछ नहीं कहना है।