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संजीवनी की दरकार

  • वर्ष 2004 में गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से सहजनवा फूड पार्क को मिली थी स्वीकृति
  • पार्क में आवंटित अधिकतर भूखण्डों पर 13 वर्ष बाद भी स्थापित नहीं हुये उद्योग
  • अब, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के अलावा दूसरे उद्योगों को भूखण्ड आवंटित करने की योजना बना रहा गीडा
  • फूड पार्क की दुर्दशा दूर करने के लिये करने होंगे भागीरथी प्रयास, आईआईए ने शासन को भेजा प्रस्ताव
  • चार वर्षों तक धनराशि का उपयोग न करने पर मंत्रालय ने ब्याज सहित वापस मांगी धनराशि

शैलेन्द्र यादव

लखनऊ। राजधानी में केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने बीते दिनों सूबे में चार नये मेगा फूड पार्क स्थापित करने की घोषणा की। पर, गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से सहजनवा में जिस फूड पार्क की नींव वर्ष 2004 में रखी गई थी, वह दम तोड़ रहा है। कदम-कदम पर गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण, गीडा के जिम्मेदारों की उपेक्षा से १३ वर्ष बीतने के बावजूद यह फूड पार्क खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित होने की बाट जोह रहा है।

sahjanva1स्थानीय सांसद योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से वर्ष २००४ में भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने गोरखपुर के सहजनवा में फूड पार्क स्थापित करने की स्वीकृत दी थी। गीडा प्रबंध तंत्र ने पार्क के लिए 25 एकड़ भूमि चिन्हित की। फूड पार्क में अवस्थापना सुविधाओं के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने 323.11 लाख रूपये की ग्रांट स्वीकृत की। वर्ष २००७ में पहली किस्त 80.77 लाख रुपये अवमुक्त भी कर दी। गीडा प्रबंध तंत्र की उदासीनता के चलते चार वर्षों तक इस धनराशि का उपयोग ही नही किया गया और तत्कालीन राज्य सरकारों ने भी सुध नहीं ली। भारत सरकार ने दिसम्बर २०११ में यह धनराशि ब्याज सहित वापस करने के लिये गीडा को पत्र लिखा।

राज्य सरकार के स्तर पर इस फूड पार्क का क्रियान्वयन गीडा द्वारा किया जाना था। सूत्रों की मानें तो गीडा प्रबंध तंत्र ने भूखण्ड आवंटन में खुलेआम मनमानी की। ऐसे लोगों को भूखण्ड आवंटित कर दिये, जिन्हें उद्योग लगाने ही नहीं थे। नतीजतन, अधिकतर भूखण्डों पर 13 वर्षों बाद भी उद्योग स्थापित नहीं हो सके हैं। जो गिने-चुने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित हुये और विपरीत परिस्थितियों में जिन्दा हैं, अब गीडा प्रबंध तंत्र ने इन खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की सांसे भी छीनने की पटकथा लिख दी है। सूत्रों की मानें तो फूड पार्क में रिक्त भूखण्डों को अब गीडा प्रबंध तंत्र अन्य उद्योगों के लिए आवंटित करने जा रहा है। इनमें प्रदूषण कारी ऐसे भी उद्योग शामिल हैं जो फूड पार्क में स्थित गिने-चुने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिये खतरा बन सकते हैं। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, आईआईए ने मुख्यमंत्री को भेजे प्रस्ताव में लिखा है गोरखपुर एवं इसके आस-पास के पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिलो में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए भरपूर कृषि उत्पाद उपलब्ध है जिसके सापेक्ष पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस भाग में अभी भी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित नहीं हो सके हैं।

सहजनवा फूड पार्क के असफल होने के कई कारण हैं। इनमें गीडा प्रबंध तंत्र द्वारा औद्योगिक भूखण्ड योग्य एवं संजीदा उद्यमियों को न देकर उन व्यक्तियों को रेवडिय़ों की तरह बांट दिया जाना प्रमुख है जो केवल भूमि में निवेश करना चाहते थे। सहजनवां फूड पार्क को भारत सरकार की वर्तमान योजना मेगा फूड पार्क में शामिल कराया जाय। इस फूड पार्क के पुनर्जीवित होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश में उपलब्ध कृषि उत्पादों की पैदावार को और प्रोत्साहित किया जा सकता है। आईआईए के इस प्रस्ताव पर यदि संजीदगी से अमल किया गया तो पूर्वी उत्तर प्रदेश में न केवल औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय किसानों और बेरोजगार युवकों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलेगा। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सपना भी साकार होगा। सहजनवा फूड पार्क के पुनर्जीवित होने की उम्मीद है क्योंकि अब योगी आदित्यनाथ सूबे के मुख्यमंत्री हैं और केन्द्र में भी भाजपा की सरकार है।

सहजनवा फूड पार्क में औद्योगिक भूखण्ड योग्य एवं संजीदा उद्यमियों को न देकर उन व्यक्तियों को रेवडिय़ों की तरह बांट दिये गये, जो केवल भूमि में निवेश करना चाहते थे। जो गिने-चुने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित हुये भी, गीडा अब उनकी सांसे भी छीनने की तैयारी कर चुका है।

मनीष गोयल, पूर्व अध्यक्ष, आईआईए

सूबे में स्थापित होंगे चार मेगा फूड पार्क : सांध्वी

बीते दिनों केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने यूपी में कोई भी मेगा फूड पार्क न होने पर अफसोस जाहिर करते हुये कहा यूपी में चार मेगा फूड पार्क स्थापित किये जायेंगे। केन्द्रीय मंत्री ने कहा जगदीशपुर में मेगा फूड पार्क कैंसिल होने की चर्चा खूब होती है, लेकिन हकीकत यह है कि इस पार्क को मोदी सरकार ने रद्द नहीं किया। यह परियोजना पूर्ववती केन्द्र सरकार के कार्यकाल में ही रद्द हो गयी थी। उन्होंने बताया केन्द्र सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिये इस बार खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये ८०० करोड़ रुपये का बजट दिया है। संपदा प्रोजेक्ट के तहत खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में काम करने वाले उद्यमियों को 1.5 करोड़ से लेकर पांच करोड़ तक की सब्सिडी देने की योजना है।

खाद्य उद्योगों को आवंटित हो भूखण्ड : आईआईए
शासन को भेजे प्रस्ताव में आईआईए ने कहा है कि सहजनवा फूड पार्क में गीडा द्वारा गैर खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए भूमि आवंटन की जो कार्रवाई की जा रही है उसे तत्काल प्रभाव से रोका जाय। साथ ही फूड पार्क में खाली पड़े भूखण्डों का आवंटन केवल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने के लिए ही किया जाय। सहजनवा फूड पार्क को पुनर्जीवित करने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार एवं गीडा पर्याप्त प्रचार -प्रसार करके भूखण्डों का आवंटन करे।

यूपी में नहीं है एक भी मेगा फूड पार्क
उल्लेखनीय है कि देश में 34 मेगा फूड पार्क स्वीकृत है जिसमे से उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य में एक भी मेगा फूड पार्क नहीं है। आईआईए ने सूबे के मुख्यमंत्री, मंत्री औद्योगिक विकास, मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास को पत्र लिख अवगत कराया है कि गोरखपुर के आस-पास के जिलो में पर्याप्त मात्रा में कृषि उत्पादों की उपलब्धता है। इसे और प्रोत्साहित करने के लिये सहजनवा फूड पार्क को पुनर्जीवित किया जाना आवश्यक है।

शासन को भेजा गया प्रस्ताव स्वीकृत होने से न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही किसानों और बेरोजगार युवकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर प्राप्त होगें।

पंकज गुप्ता, महासिचव, आईआईए

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