प्रदेश में हर साल बढ़ रही दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या
सड़क हादसे के मामले में यूपी छठे पायदान पर
प्रदेश में कानपुर में सबसे ज्यादा 625 मौतें
दुर्घटनाओं पर अंकुश के लिए कमेटी ऑन रोड सेफ्टी ने जारी किए निर्देश
लखनऊ। सूबे में रोजाना सड़क दुर्घटनाओं में 17 लोग जान गंवा रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि सड़क सुरक्षा के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदेश में बीते कुछ सालों से सड़क दुर्घटनाओं में लगातार वृद्घि हो रही है। इन दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। खस्ताहाल सड़कें, सड़कों पर अतिक्रमण, अवैध होर्डिंग व आवारा पशुओं व खुद की लापरवाही के कारण सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ी है। अकेले उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में हर साल मृत व्यक्तियों की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2015 में जहां 17,666 की मौत हो गयी थी, वहीं वर्ष 2016 में यह संख्या बढ़कर 19,320 तक पहुंच गयी। सड़क दुर्घटनाओं में हो रही मौतों पर अंकुश लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट कमेटी ऑन रोड सेफ्टी ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। यहां सबसे ज्यादा लोगों की जान किसी बीमारी, युद्ध या आतंकी घटनाओं में नहीं जा रही है। प्राकृतिक मृत्यु के मामलों को छोड़कर सड़क दुर्घटनाओं में लोग असमय मारे जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के लिए चिंता करने वाली बात यह है कि मरने वालों की संख्या हर साल बढ़ रही है। अपर परिवहन आयुक्त की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 17,666 लोग वर्ष 2015 में सड़क दुर्घटना में मारे गए। वहीं बीते वर्ष 2016 में 19,320 लोगों की मृत्यु हो गयी। जबकि सड़क हादसों के मामले में तमिलनाडु सबसे ऊपर था। उत्तर प्रदेश कुल सड़क हादसों के मामले में छठवें नंबर पर था। प्रदेश में कानपुर शहर में सबसे ज्यादा 625 लोगों की मौत हुई। इस मामले में आगरा शहर 498 मौतों के साथ दूसरे नंबर पर है। कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के अनुसार सड़कों पर अतिक्रमण, अवैध होर्डिंग, सड़क, गलियों, चौराहों पर आवारा पशुओं के चलते भी सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं। यही नहीं फुटपाथों पर अतिक्रमण होने व मोड़ पर पैदल यात्री मार्ग पर इंडीकेटर न होने से भी दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है। इसके अलावा ड्राइवर की गलती भी सड़क दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है।
दुर्घटनाओं में कमी लाने का निर्देश
कमेटी ऑन रोड सेफ्टी ने सड़क दुर्घटनाओं एवं मृतकों और घायलों की संख्या में 10 फीसदी की कमी लाने का निर्देश दिया है। इसके लिए नगर निगमों, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों से जिलाधिकारी के माध्यम से अतिक्रमण व अवैध होर्डिंग हटाने और आवारा पशुओं को न हटाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए सूचनाएं मांगी गयी है। स्थानीय निकाय निदेशालय के निदेशक विशाल भारद्वाज ने अनुपालन को लेकर निकायों को निर्देश दिए हैं।
यातायात में बाधक बिजली के खंभे, ट्रांसफार्मर
संकरे रास्तों पर बिजली के खंभे व ट्रांसफार्मर लगाने से यह यातायात में समस्या बन रहे हैं। इससे फुटपाथ पर चलने वाले यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बिजली के खंभों की डिजाइन में परिवर्तन करने को लेकर रिपोर्ट मांगी गई थी। इसके साथ ही ऐसे मार्ग का सर्वे कराने के निर्देश नगर निगम, यातायात और नगर परिवहन निदेशालय को दिए गए थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सड़क पर अतिक्रमण और अवैध पार्किंग के कारण शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती है। नगर निगम, एलडीए और यातायात विभाग के कार्रवाई न किए जाने से ट्रैफिक की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसमें मुख्य रूप से यातायात, अवस्थापना सुविधाओं पर बोझ बढ़ गया है। इससे सरकार, शासन व प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है। जबकि बाहर से आने वाले नागरिकों को भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने जतायी चिंता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रदेश में हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जतायी है। मुख्यमंत्री आवास पर परिवहन विभाग व परिवहन निगम की योजनाओं के लोकार्पण व शिलान्यास के मौके पर उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को राष्टï्रीय क्षति कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क दुर्घटना में केवल एक व्यक्ति नहीं मरता बल्कि इस घटना से उसका पूरा परिवार प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा के नियमों को बाध्यकारी बनाया जाना चाहिए।