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सपना हुआ साकार, मेट्रो हुई लखनवाइट्स के हवाले

लखनऊ। चुनाव से ठीक पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने लखनवाइट्स को लखनऊ मेट्रो का तोहफा देकर मानो शहरवासियों का दिल ही जीत लिया। एलएमआरसी की मेहनत आखिर रंग लायी और समय से पूर्व निर्माण पूरा कर लखनऊ में मेट्रो की शुरूआत करवायी। लखनऊ के चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया तक का सफर अब बिना ट्रैफिक में उलझे हुए करने का तोहफा मिल चुका है। बीते शनिवार को लखनवाइट्स ने मेट्रो की सवारी कर इसका आनंद उठाया। जो सवारी करके उतरा उसकी जुबां पर बस यहीं था, मानो स्वर्ग की सवारी थी।

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बीते शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फे्रंसिंग द्वारा बटन दबाकर लखनऊ मेट्रो का शुभारंभ किया। वहीं, लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में यूपी की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि इसके लिए मैं लखनऊवासियों को बधाई देती हूं क्योंकि अब उन्हें ट्रैफिक से राहत मिलेगी और उनका सफर आसान होगा। 23 किलोमीटर लंबे रूट पर मेट्रो चलने से लाखों लोगों को फायदा होगा। कार्यक्रम में भारत सरकार के आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि लखनऊ में मेट्रो का सपना गृहमंत्री राजनाथ सिंह के कारण ही पूरा हो पाया है। प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार ने इस पर खूब क्रेडिट लेने की कोशिश की। केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार देश में इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने के लिए काफी प्रयास कर रही है। वहीं, कानून मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि लखनऊ वालों को अब मेट्रो की सौगात मिल रही है। उन्होंने कहा जिन्होंने मेट्रो बनने में होने वाली दिक्कतों का सामना किया। अब उनकी दिक्कतें खत्म हो जाएगी और अब सुविधा मिलेगी। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री आशुतोष टंडन के साथ कई मंत्री और लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया सहित विधायक भी मौजूद थे।

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गो कार्ड पर मिल रही छूट
मेट्रो में गो कार्ड से यात्रा करने पर 10 फीसद की छूट मिलेगी। सभी मेट्रो स्टेशन पर ये कार्ड बेंचे जा रहे हैं। जहां से आप इन्हें सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक ले सकते हैं। इसकी कीमत 200 रुपए है, जिसमें 100 रुपए सिक्योरिटी मनी शामिल है। इस कार्ड के बैलेंस को आप मेट्रो स्टेशन पर लगी मशीनों से देख सकते हैं और रीचार्ज भी कर सकते हैं।

42 मिनट में पूरा हो रहा पूरा सफर
चौधरी चरण सिंह मेट्रो स्टेशन से मुंशीपुलिया मेट्रो स्टेशन तक का सफर अब 42 मिनट में पूरा हो रहा है। एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच सफर करने में मेट्रो तकरीबन दो मिनट का समय ले रही है। सभी स्टेशनों पर मेट्रो 30 सेकेंड के लिए रुकेगी। 9 मार्च को एयरपोर्ट से जो मेट्रो 6.00 बजे रवाना हुई वह तकरीबन 6.42 बजे मुंशीपुलिया पहुंची। एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया तक कुल 21 मेट्रो स्टेशन हैं। यदि आप मेट्रो से सफर कर रहे है तो आपके लिए कैसे फायदेमंद है, पहली बात आपको जाम का झाम नहीं मिलेगा। दूसरा पॉल्यूशन फ्री, तीसरा सुरक्षित और किफायती सफर रहेगा।

ये है किराया
एयरपोर्ट से अमौसी 10 रुपए
एयरपोर्ट से ट्रांसपोर्ट नगर 15 रुपए
एयरपोर्ट से कृष्णानगर 20 रुपए
एयरपोर्ट से सिंगारनगर 20 रुपए
एयरपोर्ट से आलमबाग 20 रुपए
एयरपोर्ट से बस टर्मिनल 20 रुपए
एयरपोर्ट से मवैया 30 रुपए
एयरपोर्ट से दुर्गापुरी 30 रुपए
एयरपोर्ट से चारबाग 30 रुपए
एयरपोर्ट से हुसैनगंज 40 रुपए
एयरपोर्ट से सचिवालय 40 रुपए
एयरपोर्ट से हजरतगंज 40 रुपए
एयरपोर्ट से केडी स्टेडियम 40 रुपए
एयरपोर्ट से एलयू 50 रुपए
एयरपोर्ट से आईटी 50 रुपए
एयरपोर्ट से बादशाह नगर 50 रुपए
एयरपोर्ट से लेखराज 50 रुपए
एयरपोर्ट से भूतनाथ 60 रुपए
एयरपोर्ट से इंदिरा नगर 60 रुपए
एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया 60 रुपए

एक नजर में …

6880 करोड़ की धनराशि खर्च
नॉर्थ साउथ कॉरीडोर के 23 किमी लंबे रूट के निर्माण पर 6928 करोड़ खर्च हुए
इस कॉरिडोर के लिए 20 मेट्रो ट्रेने लाई गई हैं, दो ट्रेन रिजर्व में रखी गई हैं
इनमें 18 मेट्रो का संचालन रोजाना रूट पर किया जाएगा
5.30 मिनट के अंतराल पर यात्रियों को मिलेगी मेट्रो
20 मेट्रो लाने पर 1069.81 करोड़ रुपए खर्च

फीडर रूट पर मिलेंगी सिटी बसें
लखनऊ मेट्रो का शनिवार से कामर्शियल रन शुरू हो चुका है। मेट्रो स्टेशनों तक जनता को पहुंचाने के लिए लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड प्रबंधतंत्र ने सभी 12 मेट्रो स्टेशनों से सिटी बसों को लिंक कर दिया है। जनता को इन बसों की सुविधा सुबह छह बजे से रात १० बजे तक मिलेगी। सिटी बस के प्रबंध निदेशक आरिफ सकलैन के अनुसार सिटी बसें हर आधे घंटे पर हर मेट्रो स्टेशन से गुजरेंगी। इससे मेट्रो से सफर करने वाले यात्री आसानी से मेट्रो स्टेशन तक पहुंच सकेंगे व मेट्रो से उतरने के बाद यात्री सिटी बसों से अपनी मंजिल पर जा सकेंगे। दर्जन भर मेट्रो स्टेशन तक 80 से ज्यादा बसों से जोड़ा गया है। दैनिक यात्रियों को मेट्रो स्टेशन तक फीडर सिटी बसों की सेवाएं छोटी-छोटी दूरी तक के लिए दी जाएगी। मेट्रो रूट पर दूसरे जिलों के चलने वाले डीजल टेम्पो के खिलाफ शिकंजा कसा जाएगा। इन टेम्पो को सीज करने की कार्रवाई की जाएगी। टेम्पो टैक्सी महासंघ की शिकायत के बाद आरटीओ (प्रशासन) एके सिंह ने बताया कि डीजल टेम्पो वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

नये पब्लिक ट्रांसपोर्ट में लखनऊ

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लखनऊ। लखनऊ के लोगों के लिए ९ मार्च का दिन किसी यादगार पल जैसा रहा। जब मेट्रो ने अपनी पहली सवारी एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया तक शुरू की। इसी के साथ शनिवार से नये पब्लिक ट्रांसपोर्ट मोड की शुरुआत भी हो गयी है। देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सर्विसेज के नाम पर टेम्पो, आटोरिक्शा, सिटी बस, ई-रिक्शा आदि की सुविधाएं हैं, लेकिन जनता के लिए कोई पूरी तरह कारगार साबित नहीं हो पायी है। अगर लखनऊवासियों ने मेट्रो को अपनाया तो वह दिन दूर नहीं जब लखनऊ मेट्रो राजधानी के लिए लाइफलाइन बन जाएगी।
लखनऊ की आबादी करीब 50 लाख है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर जनता को अब तक आटो रिक्शा, टेम्पो, सिटी बसों पर निर्भर होना पड़ रहा था, लेकिन अब लखनऊ के लोगों के पास ऐसा विकल्प है, जो आसान है। सिटी बस के बेड़े में 260 बसें थी, जो अब घटकर 170 रह गयी है। इतना ही नहीं 12 साल पहले आटोरिक्शा का परमिट जारी किया था। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का क्या हाल है। हां इतना जरूर है कि लखनऊ में अब इलेक्ट्रिक सिटी बसों को लाने की कवायद चल रही है। फिलहाल इलेक्ट्रिक सिटी बस का राजधानी में ट्रायल चल रहा है। लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन अभी तक ट्रांसपोर्टनगर से चारबाग तक मेट्रो का संचलन कर रहा था। अब मेट्रो का विस्तार हो चुका है तो उपयोगिता जरूर बढ़ेगी। लखनऊवासियों ने मेट्रो कल्चर को अपनाया तो आने वाले समय में दिल्ली की तरह लखनऊ में भी मेट्रो लाइफलाइन बन सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि जनता को जाम व प्रदूषण से निजात मिलेगी। सफाई के बीच जनता सुरक्षित यात्रा करेगी। इतना ही नहीं मेट्रो पर निर्भरता बढऩे पर सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या कम होगी। यह तो आने वाला समय बताएगा कि लखनऊ में मेट्रो लोगों के कितने करीब पहुंची?

ये है पब्लिक ट्रांसपोर्ट

ई-रिक्शा 17055
आटोरिक्शा 4343
टेम्पो 2575
निजी सिटी बस 34
सिटी बस 160
कैब टैक्सी 4568
बाइक टैक्सी 195
नोट- कैब टैक्सी आल यूपी परमिट की है, जो ओला व उबर रूप में चलती है।

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