- सीएम खुद भी चाहते है बालू- मौरंग के दामों में आये कमी
- बालू और मौरंग के दामों को कम करने के लिए किया जा रहा मंथन
- दिवाली बाद आशियाना बनाने वालों के लिए राहत भरी खबर आयेगी
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। अगर आप अपने सपनों का आशियाना बनाना चाहते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। अब बाजार में बालू और मौरंग सस्ते दामों पर मिलने जा रही है। ज्यादा समय का इंतजार नहीं करना होगा क्योंकि खुद मुख्यमंत्री भी इनके बढ़ते दामों पर बयान दे चुके है और कई विभागों को कीमतों में कमी लाने के निर्देश तक दिये है। कारण यह है कि बालू और मौरंग की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए परिवहन विभाग, खनिज विभाग और ट्रक ऑपरेटर्स के साथ बैठक के बाद क्या निकल के सामने आता है अभी इसका कुछ पता नहीं है। हालांकि इनके दामों को कम करने के कदम जरूर उठाए जाएंगे, ताकि तमाम क्षेत्रों में रूके निर्माण कार्य तेजी पकड़ सके। सीएम के निर्देश के बाद एक बैठक भी बुलाए जाने की सूचना मिली है। मिली जानकारी के मुताबिक लखनऊ और कानपुर से कई ट्रक ऑपरेटरों को इस बैठक में बुलाया गया है। सभी जिलों के प्रवर्तन दस्तों के साथ यह प्रतिनिधि बैठक में हिस्सा लेंगे। रियल इस्टेट को संभालने और लोगों के आशियाने का सपना पूरा करने के लिए मौरंग और बालू के दाम कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि दीपावली के बाद इनके दामों में ज्यादा कमी के आसार जताए जा रहे है।
लखनऊ और गोरखपुर में ज्यादा मांग
परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार माइनिंग अधिकारी से जो डिटेल ली गई है, उसके अनुसार बालू और मौरंग की अधिक डिमांड लखनऊ और गोरखपुर से आ रही है। यहां रोजाना 300 गाडिय़ां आने के बाद भी बालू और मौरंग की कमी है। वहीं बांदा, हमीरपुर समेत विभिन्न रूटों पर ट्रकों की संख्या बढ़ा कर सप्लाई बढ़ाई जा सकती है।
रसीद 8 हजार की लिए जा रहे 20 हजार
एक ट्रक ऑपरेटर के अुनसार खदान से निकलते समय उन्हें रसीद तो आठ हजार की दी जाती है लेकिन वसूले 20 हजार रुपए जाते हैं। पूछताछ पर केवल इतना बताया जाता है कि जीएसटी लग गई है।
ट्रकों की ली गई जानकारी
इस बैठक से पहले प्रदेश के विभिन्न जिलों में बालू और मौरंग मंडियों तक ले जाने वाले ट्रकों की जानकारी ली गई है। सभी जगह गाडिय़ों की कमी पाई गई है। कहीं 50 तो कहीं 100 गाडिय़ों की डिमांड आई है। सबसे ज्यादा डिमांड लखनऊ और गोरखपुर से आई है।
तो क्यों बढ़ रहे दाम
यहां सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि खदान से बालू और मौरंग सस्ते में मिल रही है, फिर भी इनके दाम लगातार बढ़ रहे हैं। जिसका असर आम लोगों के साथ- साथ रियल इस्टेट कारोबार पर भी पड़ रहा है। माना जा रहा है कि अगर दामों में कमी नहीं आई तो आने वाले दिनों में रियल इस्टेट का कारोबार और भी मंदी का सामना करेगा।
सीमेंट, सरिया व ईंट भी सुस्त
गिट्टी-मौरंग के महंगे होने और बालू के सिर्फ चोरी-छिपे आने के कारण भवन निर्माण से जुड़े वे कारोबारी भी संकट में आ गए हैं, जिनकी सामग्री को लेकर कोई किल्लत नहीं है। सीमेंट कंपनियों ने हालांकि पिछले दिनों दाम बढ़ाने की कोशिश की लेकिन, पुराना स्टॉक ही न बिक पाने के कारण दाम फिर 310 रुपये के आसपास आ गए। यही हाल सरिया व ईंट भ_ा कारोबारियों का है। बिक्री न होने से मायूस यह कारोबारी भी खनन और ओवरलोडिंग की समस्या खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं।
अधिकारी भी बढ़ा रहे समस्या
निर्माण उद्योग से जुड़े कारोबारियों की शिकायत है कि ओवरलोडिंग से कमाई के आधी हो चुकी है। अधिकारी अंडरलोड वाहनों को परेशान कर रहे हैैं। सीमेंट व्यापार संघ के अध्यक्ष श्याममूर्ति गुप्ता बताते हैं कि अधिकारियों ने कई वाहनों का चालान और रायल्टी पर्ची फाड़कर उन्हें अवैध खनन में बंद कर दिया है। व्यापारियों ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से करने का मन बनाया है।
बालू और मौरंग के दाम पेट्रोल और डीजल की तरह लगातार बढ़ रहे हैं। बीच में तो स्थिति बहुत ही खराब हो गई थी। अभी भी पिछले दो साल की तुलना में कीमत अधिक है।
कर्मवीर आजाद, अध्यक्ष, अवध ट्रक ऑपरेटर्स/ आनर्स एसोसिएशन
जहां से माल लिया जाता है वहां व्यवस्थाएं ठीक नहीं होंगी तो बालू और मौरंग के दाम कम नहीं होंगे। अब परिवहन और खनिज विभाग के अधिकारी मिल कर काम कर रहे हैं। उम्मीद है दामों में कमी आएगी।
संतोष कुमार मौर्या, ट्रक ऑपरेटर