प्रदेश में स्कूली वाहनों पर शिकंजा कसने के लिए परिवहन विभाग ने जारी की नई गाइड लाइन जारी
नई गाइड लाइन के अनुसार जीपीएस सिस्टम को अपडेट करने का समय अगस्त तक
स्कूलों में प्रिंसिपल की अध्यक्षता में बनेगी विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति
लखनऊ। स्कूल वाहन में गर्ल स्टूडेंट होने पर परिचालक भी महिला रखनी होगी। इसमें सफर करने वाले छात्रों का ब्यौरा भी चालक व परिचालक के पास होगी। कुछ इसी तरह के नियम स्कूली वाहनों के लिए जारी गाइडलाइन में जोड़े गए हैं। जिनका सभी स्कूली वाहनों को पालन करना होगा। उप्र मोटरयान नियमावली में नया अध्याय 9 ए जोड़ते हुए इस तरह के दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, जो स्कूली वाहन इन नियमों का पालन नहीं करेंगे उन्हें जब्त किया जाएगा। गाइडलाइन के अनुसार स्कूली वाहनों को परमिट देने के लिए दो शर्तें निर्धारित की गई हैं। सबसे पहले स्कूल प्रशासन और वाहन संचालक के बीच करार किया जाएगा, जिसमें एक साल तक बदलाव नहीं किया जा सकेगा। इसके बाद स्कूल वाहन संचालक और अभिभावक के बीच करार होगा, जिसके बाद ही परमिट जारी किए जाएंगे। सभी स्कूलों में एक कमेटी बनाई जाएगी जो स्कूली वाहनों की फीस और स्टॉपेज तय करेगी। जिस वाहन में स्कूली बच्चे सफर कर रहे हैं उसमें सभी बच्चों के नाम, स्कूल का फोन नंबर, अभिभावक का फोन नंबर, बच्चों का ब्लड ग्रुप होना जरूरी किया गया है। ताकि इमरजेंसी के समय पुलिस इसका उपयोग कर सके। वहीं सभी स्कूली वाहन सीसीटीवी और जीपीएस सिस्टम से लैस होंगे। इसके लिए तीन माह का समय दिया गया है। अगस्त के बाद बिना इसके मिले वाहनों का संचालन बंद कर दिया जाएगा। इसके अलावा स्कूलों में प्रिंसिपल की अध्यक्षता में विद्यालय परिवहन सुरक्षा समिति बनाई जाएगी। जिसमें आरटीओ ऑफिस और शिक्षा विभाग के कर्मचारी भी शामिल होंगे। समिति हर दो माह में स्कूली वाहनों का ब्यौरा तैयार करेगी। साथ ही साल में एक बार स्कूली वाहनों के चालकों के लिए आई कैंप भी लगवाएगी।
डीएम की अध्यक्षता में सुरक्षा समिति
इसके अलावा सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्कूल वाहन सुरक्षा समिति बनाई जाएगी। इसमें पुलिस अधीक्षक, आरटीओ विभाग और शिक्षा विभाग के कर्मचारी शामिल होंगे। समिति की साल में दो बार अनिवार्य रूप से बैठक होगी। पहली बैठक जनवरी और दूसरी जुलाई माह में होगी। पहले भी इस समिति का प्रावधान किया गया था। लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते समिति की गतिविधियां ठप्प थीं।
सीएम ने दिए थे आदेश
पिछले साल 26 अप्रैल को कुशीनगर के पास स्कूली बस और ट्रेन एक्सीडेंट में एक दर्जन से अधिक मासूमों की मौत हो गई थी। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्कूल वाहनों के संचालन की नई गाइड लाइन तैयार करने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन ट्रांसपोर्ट कमिश्नर पी गुरु प्रसाद, अपर परिवहन आयुक्त राजस्व अरविंद कुमार पांडेय, अपर परिहवन आयुक्त सड़क सुरक्षा गंगाफल ने छह महीने में नई गाइड लाइन तैयार कर इसे अप्रूवल के लिए शासन को भेजा। जिसे बीती 30 मई को मंजूरी मिली।
ई-रिक्शा का स्कूलों का सफर प्रतिबंधित
नई गाइडलाइन में स्कूली वाहन चारों तरफ से बंद होना चाहिए। ऐसे में ई-रिक्शा से स्कूली बच्चों को ढ़ोने का काम बंद हो जाएगा। स्कूली वाहन के रूप में ई-रिक्शा का प्रयोग पूरी तरीके से प्रतिबंधित कर दिया गया है। बताते चलें कि राजधानी में ही बड़ी संख्या में ई-रिक्शा स्कूली बच्चों को ढ़ोते हैं। ऐसे में स्कूली बच्चों का ई-रिक्शा का सफर हमेशा ही खतरनाक बना रहता था।
नई गाइडलाइन में यह भी जरूरी
- कोई भी वाहन 10 साल से अधिक पुराना न हो
- स्कूली वाहनों के चालक और परिचालक के लिए वर्दी अनिवार्य
- वर्दी पर नेम प्लेट और मोबाइल नंबर जरूरी
- स्कूली वाहन पर स्कूल का नंबर जरूर लिखा हो
- किसी भी वाहन में प्रेशर हार्न नहीं हो, अलार्म और सायरन की व्यवस्था हो
- स्पीड किसी भी सूरत में 40 किमी प्रति घंटे से ज्यादा न हो
स्कूली वाहनों के लिए तैयार की गई गाइडलाइन लागू कर दी गई है। स्कूली वाहन नए मानकों पर खरे उतरने चाहिए, इसके लिए उन्हें अपने वाहनों में बदलाव कराने होंगे। इसके लिए उन्हें तीन महीने का समय दिया गया है।
अरविंद कुमार पांडेय, अपर परिवहन आयुक्त, राजस्व