उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा के दावे के साथ लगाये गये थे स्मार्ट, बन गये मुसीबत
लेसा में एक लाख से अधिक की संख्या में लगाये जा चुके हैं स्मार्ट मीटर
60 फीसदी उपभोक्ताओं के परिसर के बाहर लगे मीटर की सुरक्षा को लेकर भी हो रही परेशानी
लखनऊ। लखनऊ विद्युत सम्पूर्ति प्रशासन लेसा ने उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा देने का हवाला देते हुए राजधानी में स्मार्ट मीटर लगवाए। लाखों उपभोक्ताओं के यहां लगाए गए स्मार्ट मीटर अब उपभोक्ताओं के सिरदर्द बन गये हैं। उपभोक्ता लगातार शिकायत कर रहे हैं कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनका बिजली बिल दोगुना आने लगा है। अब उपभोक्ता यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उनका बिजली बिल अचानक कैसे इतना बढ़ गया। स्मार्ट मीटर लगने के बाद से उपभोक्ताओं के घर का बजट भी बिगड़ गया है। जिन उपभोक्ताओं के घर का बिजली बिल एक हजार रुपये से 1500 रुपये तक आ रहा था, स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनका बिजली बिल ढ़ाई हजार से तीन हजार रुपये आने लगा। उल्लेखनीय है कि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लि. ने लेसा को दो भागों ट्रांसगोमती व सिस गोमती में बांट दिया है। लेसा में मौजूदा समय में घरेलू व कामर्शियल उपभोक्ताओं की कुल संख्या दस लाख के करीब है। इसके अलावा सरकारी कार्यालय व औद्योगिक कनेक्शन भी हैं। विभागीय जानकारों की मानें तो स्मार्ट मीटर लग जाने से उपभोक्ताओं का नहीं सिर्फ बिजली विभाग का ही फायदा होगा। मौजूदा समय में जिन उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगे हैं उनकी लगातार मीटर तेज चलने की शिकायत विभाग को मिल रही है। इससे यह बात सच भी साबित हो रही है। वहीं जब-जब मीटर बदले गये उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके विपरीत हाल के दिनों में लेसा द्वारा तानाशाही रवैया अपनाते हुए घर के बाहर खुले में मीटर लगा दिया है। जिससे मीटरों की सुरक्षा को लेकर उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। तीन वर्ष पूर्व पावर कॉरपोरेशन ने कोर्ट के आदेश की आड़ लेते हुए बिजली मीटरों को उपभोक्ता के घर के परिसर के बाहर लगाने का निर्देश लेसा प्रबंधन को दिये थे। कॉरपोरेशन के निर्देश के बाद लेसा ने बड़े स्तर पर सभी डिवीजनों में अभियान चलाकर घर के परिसर के भीतर लगे मीटरों को उखाड़कर बाहर लगाने का काम शुरू कराया। आलम यह है कि वर्तमान समय में करीब 60 फीसदी से अधिक उपभोक्ताओं के मीटर घर के बाहर ही लगा दिये गये हैं। परिणाम स्वरूप घर परिसर के बाहर लगे मीटर बारिश के दिनों में उपभोक्ताओं के लिए सबसे अधिक मुसीबत बन चुके हैं। बाहर लगे मीटरों से फ्यूज जलना, मीटर का बंद हो जाना व तकनीकी खराबी आ जाने पर उपभोक्ता अगर इसकी शिकायत लेकर डिवीजन कार्यालय या फिर उपखंड अधिकारी व अवर अभियंता के पास मीटर बदलवाने के लिए जाता है तो मीटर बदलने के नाम पर उससे जमकर धनउगाही भी की जाती है। साथ ही उपभोक्ता से नये मीटर की कीमत जमा कराने के बाद ही दूसरा मीटर बदला जाता है। इस संबंध में लेसा के जिम्मेदार अभियंताओं से जब मीटर बाहर लगाये जाने की बावत बात की गयी तो सभी ने न्यायालय के आदेश को बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। वहीं मीटरों की सुरक्षा के सवाल का जवाब किसी भी अभियंता के पास नहीं था। इस बावत मध्यांचल प्रबंध निदेशक संजय गोयल ने कहा कि उपभोक्ताओं का उत्पीडऩ किसी भी मामले में कतई नहीं होने दिया जाएगा। मीटर बाहर लगाये जाने के मामले में उन्होंने कहा कि न्यायालय का आदेश मीटर बाहर लगाये जाने का है। लेकिन मीटरों को सुरक्षित स्थान पर लगाया जाना चाहिए।
खराब मीटरों की जिम्मेदारी नहीं लेता लेसा
राजधानी में लेसा प्रबंधन की ओर से उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे हैं। अब तक राजधानी में करीब एक लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं के घरों के बाहर स्मार्ट मीटर लगा भी दिये गये हैं। घरों के बाहर लगे मीटरों की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। उपभोक्ता परिसर के बाहर लगाये गये मीटरों की सुरक्षा को लेकर काफी परेशान हैं। आलम यह है कि घरों के बाहर लगे मीटर बारिश के चलते खराब भी हो रहे हैं। इसका खामियाजा बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। उपभोक्ताओं में इस बात की आशंका बनी हुई है कि बाहर लगे मीटर की सुरक्षा की क्या गारंटी है और मीटर खराब होने की दशा में खराब मीटरों को बदलने की जिम्मेदारी क्या लेसा प्रबंधन लेगा?
एक दशक में कई बार बदले मीटर
राजधानी में बीते एक दशक के दौरान लेसा समेत पूरे प्रदेश में कई बार मीटर बदले जा चुके हैं। सबसे पहले मैकेनिकल मीटरों को हटाकर चाइनीज मीटर लगाये गये थे। इसके बाद चाइनीज मीटरों को हटाकर इलेक्ट्रानिक्स मीटर लगाये गये। वहीं कुछ सालों के बाद ही फिर से इन मीटरों को हटाकर इंडियन इलेक्ट्रिक मीटर लगाये गये। तीन साल पूर्व भी उपभोक्ताओं के मीटर एक बार फिर बदले जाने शुरू किये गये थे। प्रीपेड मीटर लगाये जाने के बाद अब एक साल से लेसा प्रबंधन स्मार्ट मीटर लगा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि जब-जब उपभोक्ताओं के मीटर बदले गये उन्हें परेशानी का ही सामना करना पड़ा।