Breaking News
Home / Breaking News / हटेगा भ्रष्टाचार आयेगी नयी व्यवस्था

हटेगा भ्रष्टाचार आयेगी नयी व्यवस्था

  • अब ऑनलाइन मिलेगी घर पर पार्टी में शराब परोसने की इजाजतsharab
  • आबकारी विभाग के नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर

धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। डिजीटल इंडिया के साथ आबकारी विभाग भी तकनीक के सहारे आगे बढ़ रहा है। इस ऑनलाइन प्रणाली की वजह से विभागीय भ्रष्टाचार पर न केवल लगाम लगी है, बल्कि शराब कारोबारियों और उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलने वाली है। विभाग जल्द ही अपने सभी सिस्टम को ऑनलाइन कर जनता को विभाग के चक्कर और भ्रष्टïाचार से दूर रखने की कवायद में लगा हुआ है, जो जल्द साकार होता हुई दिखाई दे रहा है।
गौरतलब है कि अब घर पर शादी-ब्याह, जन्मदिन जैसे अवसरों पर पार्टी में मेहमानों को शराब परोसने के लिए ओकेजनल बार लाइसेंस के लिए जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। न ही किसी से सेटिंग करके अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ेगे। क्योंकि जनाब सारा काम आनलाइन हो जाएगा। इसके लिए आबकारी विभाग की वेबसाइट पर आवेदन करना होगा और अस्थायी बार लाइसेंस शुल्क जमा करना होगा।
आबकारी आयुक्त धीरज साहू के अनुसार ओकेजनल बार लाइसेंस के लिए जन सामान्य को होने वाली दुश्वारियों के मद्देनजर यह व्यवस्था की गयी है। इसी तरह स्कूल- कालेजों के साथ अन्य संस्थानों में शोध के लिए स्प्रिरट और अल्कोहल के लिए आवेदन, शुल्क जमा करने और आपूर्ति की अनुमति की औपचारिकताएं आनलाइन ही पूरी की जाएगी, जिससे लोगों को अनावश्यक विभाग के चक्कर न लगाने पड़े। आयुक्त के अनुसार चालू आबकारी सत्र 2018-19 में राज्य में शराब और बीयर की बिक्री से पहली अप्रैल से अक्टूबर के अंत तक कुल 13,125 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। यह पिछले सत्र की इसी अवधि के मुकाबले करीब चार हजार करोड़ रुपये ज्यादा है।
आबकारी राजस्व में आए इस उछाल के पीछे शराब विके्रताओं के सिण्डीकेट को तोड़ते हुए कारोबारियों के बीच बढ़ी प्रतिस्पर्धा के अलावा हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी पर प्रभावी रोक प्रमुख वजहें हैं। चालू आबकारी सत्र में मार्च के अंत तक 29 हजार करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। बताते चलें कि पिछले आबकारी सत्र 2017-18 में 20,595 करोड़ रुपये के तय लक्ष्य के मुकाबले 17,320 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। आबकारी आयुक्त ने बताया कि नकली और जहरीली शराब से होने वाली त्रासदियों के मद्देनजर प्रदेश सरकार द्वारा मृत्यु दण्ड जैसा सख्त प्रावधान किए जाने का भी असर पड़ा है। प्रदेश में अगले आबकारी सत्र 2019-20 के लिए शराब और बीयर की दुकानों के लाइसेंस आवंटन करने की तैयारी शुरू हो गयी है। पिछले दिनों आबकारी आयुक्त धीरज साहू ने सभी जिला आबकारी अधिकारियों को पत्र जारी करके इस बाबत जरूरी निर्देश दिये हैं। समझा जाता है कि आगामी मार्च-अप्रैल में लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने की वजह से राज्य में शराब और बीयर की दुकानों का आवंटन पहले ही पूरा कर लिया जाएगा। सबसे ज्यादा और त्रुटिरहित शराब और बीयर की बिक्री करने वाली दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाएगा और बाकी दुकानों के लिए फिर से लाटरी निकलवायी जाएगी, जिससे परदर्शिता बनी रहे। इस बाबत आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह से उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की गयी तो वो बोले कि पार्टी के कार्यक्रम में व्यस्थ हूं… १५ के पहले कुछ भी बता पाना मुश्किल है।

विभाग के चक्कर में घिसते थे जूते
सूत्रों के अनुसार यदि अब तक आबकारी विभाग में कोई कार्य करवाना पड़ता था, तो वो सालों तक जूते घिसते रहे के बाद ही कुछ संभाव हो पाता था। यदि ज्यादा जरूरी कार्य है तो घूस का रास्ता ही बचता था, लेकिन इस सरकार ने ऑनलाइन व्यवस्था के जरिए विभागीय भ्राष्टïाचार पर न केवल लगाम लगा दिया है, बल्कि लोगों को सहूलियत देने के लिए सभी प्रक्रियों को ऑनलाइन किया जा रहा है।

तय होगा अंग्रेजी शराब और बीयर का कोटा!
अंग्रेजी शराब और बीयर में सरकार नई आबकारी नीति के तहत दुकानदारों का कोटा पहली बार तय करने जा रही है। शराब की बिक्री के आधार पर नई आबकारी नीति के तहत दुकानों का कोटा तय किया जाएगा। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार इस महीने नई आबकारी नीति तैयार करने की कोशिश में है। संभावना यह भी है कि अगले आबकारी वर्ष के लिए शराब और बीयर की दुकानों के नवीनीकरण और नए सिरे से आवंटन की प्रक्रिया भी इस महीने शुरू हो जाएगी। शासन ने नई प्रक्रिया के लिए सभी जिलों के आबकारी अधिकारियों से दुकानों पर शराब की बिक्री के अलावा उससे जुड़ा पूरा ब्योरा विभाग की वेबसाइट पर भेजने के निर्देश दिए हैं। विके्रता अभी तक जितनी शराब बेचते थे, उसके अनुसार विभाग को लाइसेंस फीस और प्रतिभूति शुल्क के रूप में राजस्व देते थे। विभागीय अधिकारियों की मानें तो नई आबकारी नीति में अब शराब व बीयर के दुकानदारों का कोटा तय कर दिया जाएगा। अंग्रेजी दुकानों के लिए यह कोटा पिछले साल हुई बिक्री से चालीस प्रतिशत अधिक का और बीयर की दुकान के लिए पिछले साल हुई बिक्री से तीस प्रतिशत अधिक होगा। 2018-19 की आबकारी नीति के मुताबिक जिस अंग्रेजी शराब की दुकान पर पिछले साल की अपेक्षा 40 प्रतिशत और बीयर की दुकान पर 30 प्रतिशत अधिक बिक्री होती है तो विभाग उनका नवीनीकरण करेगा। अब नवीनीकरण के साथ उसे अगले साल का कोटा भी दे दिया जाएगा।

आबकारी राजस्व में आए इस उछाल के पीछे शराब विके्रताओं के सिण्डीकेट को तोड़ते हुए कारोबारियों के बीच बढ़ी प्रतिस्पर्धा के अलावा हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी पर प्रभावी रोक प्रमुख वजहें हैं। हमारी कोशिश है कि किसी को विभाग के बिना चक्कर काटे घर बैठे उसका काम हो जाए। इसी दिशा में क्रमवार चीजों को ऑनलाइन किया जा रहा है।
धीरज साहू, आबकारी आयुक्त

आबकारी विभाग की ऑनलाइन प्रणाली से भ्रष्टïाचार पर काफी लगाम लगा है। साथ ही कारोबारियों को घर बैठे आसानी से सुविधाजनक सुविधाएं भी मिल रही है। कोष में बढ़ोतरी होगी ही जब अवैध शराब पर अंकुश लग रहा है। नीतियों को और बेहतर किया जाए तो निश्चित तौर पर विभाग का राजस्व लक्ष्य पूरा होगा।
कन्हैयालाल मौर्या, महामंत्री, लखनऊ शराब एसोसिएशन

बिना पंजीयन लगा रहे करोड़ों का चूना

लखनऊ। प्रदेश के 75 जिलों में चल रही करीब ४८०० मॉडल शॉप में चलने वाले रेस्टोरेन्टों के जरिए हर माह औसतन दो करोड़ की होने वाली टैक्स चोरी से वाणिज्य कर विभाग के अधिकारी खामोश हैं। ऐसा नहीं है कि विभाग के कमिश्नर स्तर के अधिकारियों को इसकी जानकारी नही हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि ये अधिकारी जान- बूझकर आंख बंद किए हुए। हालांकि पिछले दो साल पहले पहली बार ऐसा हुआ था, जब बाराबंकी के एक वाणिज्य कर अधिकारी ने सीधे शराब माफियाओं से टक्कर लेते हुए जिला प्रशासन के सहयोग से बीयर बारों पर छापा- मारकर टैक्सचोरी का खुलासा किया था। इस कार्रवाई से 21 जोनल एडीशनल कमिश्नरों की आंखे खुल गयी थी और अब सरकार बदल जाने के बाद ये भी जांच अभियान शुरू करने का मन बना रहे थे, लेकिन पता नहीं अब तक क्यों चुप्पी साधे हुए है। शराब व बीयर की बिक्री के लिए कारोबारियों को वाणिज्य कर विभाग में पंजीयन नहीं लेना होता है, लेकिन इन दुकानों ने रेस्टोरेन्ट की तरह बार खोल रखे हैं, जिनमें नानवेज से लेकर कई तरह के फूड की बिक्री की जाती है, जो कि ५ फीसद टैक्स के दायरें में आती है। विभाग को मिली जानकारी के अनुसार इन रेस्टोरेन्ट से करीब दो करोड़ सालाना की बिक्री सभी दुकानों को मिलाकर की जाती है, लेकिन इस बिक्री पर विभाग को एक भी पैसा टैक्स नहीं मिलता। हालांकि किसी भी अधिकारी ने इस बात की पुष्ठिï नहीं की है कि मॉडल शॉप में चलने वाली कैंटीनों से टैक्स लिया जा रहा है, यदि टैक्स लिया भी जाता है तो उसका प्रमाण अब तक क्यों जनता के सामने नहीं आया है।

About Editor

Check Also

vinay

सपा के प्रदेश सचिव बनें विनय श्रीवास्तव

बिजनेस लिंक ब्यूरो लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>