- कप्तान साहब…एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का गुडवर्क यह भी है
- आठ वर्षों से फरार है दो आतंकी, थकहार कर बैठ गई है लखनऊ पुलिस
- पाकिस्तान के हैं दोनों आतंकी, अंधाधुंध फायरिंग करते हुए कोर्ट से हुए थे फरार
लखनऊ। एक तरफ जहां सरकार सुशासन देने के नाम पर लगातार इंकाउंटर कर रही है वहीं दूसरी तरफ लगभग 11 वर्षों से फरार दो आतंंकवादियों का पुलिस पता लगाने में नाकाम है। छोटे और बड़े अपराधियों का इंकाउंटर कर सरकार यह बता रही है कि अपराधियों की अब खैर नहीं है वहीं ये दो आतंकवादी कहां है इस बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं है। हालात यह है कि पुलिस इस बारे में बात भी नहीं करना चाहती है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि अब तक तो इस मामले में फाइनल रिपोर्ट भी लग गया है कि पुलिस इनको तलाश करने में नाकाम है। ऐसे में सोचनीय है कि क्यास पुलिस को इस मामले में कोई लीड नहीं मिल रही है या फिर इस मामले में पुलिस की दिलचस्पी नहीं है।
27 फरवरी 2007 को खतरनाक आतंकी सईद उर्फ अबू रिजवान उर्फ भानू उर्फ फहद उर्फ निशार अहमद पुत्र अनवर और मकसूद अहमद उर्फ अशफाक, अबू उस्मान उर्फ सलमान खान उर्फ अबू मूजाहिद पुत्र मोहम्मद इब्राहिम निवासी सिंधु, पाकिस्तान को लखनऊ पुलिस सेंट्रलवार एसोसिएशन सिविल कोर्ट में हाजिर कराने के लिए लाई थी। इन दोनों आतंकवादियों को हाजिर कराने के लिए पुलिस लाइन में तैनात दारोगा अवधेश राव, सिपाही अमित कुमार और रामनरेश लेकर आए थे। कोर्ट में पहुंचने के बाद दोनों ने लघुशंका की बात कही। जहां कोर्ट में मौजूद बाथरूम में पुलिसवालों ने भेज दिया। थोड़ी देर के बाद जब दोनों आतंकी बाहर निकले तो असलहों से लैस थे। बाहर निकलने के बाद दोनों अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। फायरिंग होने से कोर्ट में हड़कम्प मच गया था। जिसको जहां जगह मिली वहीं भागने लगा। इसका फायदा उठाकर दोनों आतंकी फरार हो गए थे। सूत्र बताते हैं कि सुनियाजित तरीके से बाथरूम में असलहे रखे गए थे। दोनों को फरार होने में प्रदेश के एक बाहुबली विधायक का हाथ का था।
दर्ज हुआ था मुकदमा
इस की जानकारी मिलते ही पुुलिस महकमें में हड़कम्प मच गया था। तत्कालिन थाना प्रभारी वजीरगंज बली राम सरोज ने इस मामले में धारा 223, 224, 225, 12 बीआईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया। जहां जांच में तीनों पुलिसकर्मियों को लापरवाही बरतने के आरोप में वर्ष 2008 में निलम्बित कर दिया था।
पुलिस को पता नहीं सरकार को चिंता नहीं
इस मामले में कई वर्ष व्यतीत होने के बाद भी नहीं पुलिसकर्मियों को कुछ पता हैं और नहीं सरकार को चिंता है। 11 वर्ष बाद भी दोनों फरार है। सूत्रों की मानें तो पुलिस इस मामले में थकहार कर बैठ गई है। इतना ही नहीं इस फाइल को पुलिस ने बंद करते हुए फाइनल रिपोर्ट भी लगा दिया है।
विधायकों को मिल रही धमकी
विगत दिनों कई विधायकों को धमकी मिली कि वह 10-10 लाख रुपये रंगदारी दे अन्यथा जान से हाथ धो बैठेंगे। इस मामले में अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के जिस खास गुर्गे अली बुदेश का नाम आ रहा था, उसने खुद बताया है कि आखिर इसके पीछे कौन है। पिछले दो दिनों से अली बुदेश के नाम से भाजपा के करीब दर्जन भर विधायकों को व्हाट्सएप पर धमकी भरे मैसेज भेजें है, जिससे यूपी पुलिस में हड़कंप मच गया है। अचानक एक-एक बाद भाजपा विधायकों को मिले ऐसे मैसेजेस से उनके परिवार वालों में खौफ पैदा कर दिया है। मामले में अलग-अलग जिलों के थानों में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई व सुरक्षा की मांग की गई। वहीं सीएम योगी ने सभी विधायकों को चिंता न करने की बात कही व मामले में कार्रवाई के आदेश दिए। मामले में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार का कहना है कि जिस नंबर से धमकी भरे मैसेज आ रहे हैं, वह अमेरिका के टेक्सेस के हैं। वहीं आईडी को ट्रेस करने पर पता चला है कि यह नंबर अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथी अली बुदेश के नाम पर है। अली बुदेश फिलहाल दाऊद से अलग गैंग चलाता है।
नहीं दी धमकी
अली बुदेश ने बातचीत में खुलासा किया है कि उसने किसी भी विधायक से रंगदारी नहीं मांगी है और न ही किसी को कोई धमकी भरा मैसेज किया है। अली बुदेश मौजूदा समय में बहरीन में हैं। उसका कहना है कि मैंने कभी किसी भी विधायक को धमकी नहीं दी है। इस बारे में मुझे भी जानकारी मिली है कि मेरे नाम से कोई भारत में रंगदारी मांग रहा है। उसने आगे बताया कि यूपी का पता नहीं, लेकिन मुझे खबर मिली है कि दिल्ली और मुंबई में भी मेरे नाम से इस तरह के धमकी भरे मैसेज किए जा रहे हैं। बुदेश ने आखिर में बताया कि यह सब दाऊद इब्राहिम के इशारे पर छोटा शकील कर रहा है।
एसआईटी का हुआ गठन, नतीजा शून्य
एडीजी (एलओ) आनंद कुमार ने बताया है कि उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायकों से रंगदारी मांगने के मामले को यूपी पुलिस ने गंभीरता से लिया है. खुफिया एजेंसियां और एसटीएफ रंगदारी से संबंधित सभी शिकायतों पर तत्परता से काम कर रही हैं. मामले में तेजी से जांच करने के लिए तीन सदस्यों की एक एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन कर दिया गया है। एसटीएफ के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अमिताभ यश को तीन सदस्यीय एसआईटी का प्रमुख बनाया गया है. उनके साथ टीम में एटीएस के एसएसपी जोगेंद्र और एसटीएफ के एसपी त्रिवेणी सिंह को शामिल किया गया है। यह टीम मामले पर कार्रवाई और जांच के संबंध में जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश देने का काम करेगी। मामले में एसटीएफ से लेकर एटीएस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां तक जांच कर रही हैं।
इन विधायकों को मिली धमकी
1. अनीता लोधी, बुलंदशहर
2. शशांक त्रिवेदी, सीतापुर
3. लोकेंद्र प्रताप सिंह, लखीमपुर खीरी
4. वीर विक्रम सिंह, शाहजहांपुर
5. मानवेंद्र सिंह, शाहजहांपुर
6. विनय द्विवेदी, गोंडा
7. प्रेम नारायण पांडे, गोंडा
8. श्याम बिहारी लाल, बरेली
9. विनोद कटियार, कानपुर देहात
10. मानवेंद्र सिंह, शाहजहांपुर
11. आरके शर्मा, बदायूं
12. रजनीकांत मणि त्रिपाठी, कुशीनगर
13. साकेंद्र वर्मा, विधायक, बाराबंकी
14. धीरेंद्र बहादुर सिंह, रायबरेली
डेढ़ दर्जन मुकदमा दर्ज
यूपी में भाजपा विधायकों को धमकी मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा है। नौ और विधायकों को धमकी दिए जाने की बात बुधवार को सामने आई है। लखनऊ (पश्चिम) के विधायक सुरेश श्रीवास्तव, सरैनी (रायबरेली) के धीरेंद्र बहादुर सिंह, तिंदवारी (बांदा) के बृजेश कुमार प्रजापति, कालपी (जालौन) के नरेंद्र पाल सिंह जादौन, कुशीनगर के रजनीकांत मणि त्रिपाठी, गोपामऊ (हरदोई) श्याम प्रकाश (हरदोई), कुर्सी (बाराबंकी) के साकेंद्र वर्मा , अलीगंज (एटा) सतपाल राठौर और बदायूं के आरके वर्मा ने धमकी दिए जाने की शिकायत की है। अब तक 18 विधायक और एक पूर्व विधायक इस सम्बंध में एफआईआर और शिकायत दर्ज करवा चुके हैं।
राजेश साहनी की मौत के पीछे क्या कारण
विगत दिनों एटीएस में तैनात राजेश साहनी के मौत के पीछे यह भी एक कारण माना जा रहा है कि कहीं आतंकवादियों की जांच के दौरान उनसे कोई मामला तो नहीं हुआ जिससे वह आजिज आकर आत्महत्या कर लिए। फिलहाल इस मामले में जो भी हो जांच होने पर सच्चाई सामने आएगी।
हो सकते है कई खुलाशे
इन दो आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बाद कई खुलाशे हो सकते है। सूत्रों का कहना है कि 11 वर्षों से यह आतंकवादी जहां भी होंगे वहां से ही देश के लिए खतरा बने हुए है। अब तक इन लोगों ने कई घटनाओं को अंजाम भी दिया होगा।
पाकिस्तान में छिपे होने की आशंका
इन दोनों आतंकवादियों के पाकिसतान में छिपे होने की आशंका जताई जा रही है। सूत्रों की मानें तो ये आतंकवादी किसी भी कीमत पर सुधरने वाले नहीं है।
एसएसपी नहीं पीआरओ उठाते है फोन
इस मामले में जब जानकारी के लिए एसएसपी के सीयूजी नंबर पर कॉल किया गया तो पीआरओ ने कॉल रिसिव करते हुए बताया कि साहब मीटिंग में है।
थानाध्यक्ष ने कहा नहीं है जानकारी
जब इस मामले में थानाध्यक्ष वजीरगंज से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले में उनको कोई जानकारी नहीं है। इसकी जांच शायद सीओ स्तर व एटीएस के माध्यम से हो रही है। फिलहाल उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक इस मामले में फाइनल रिपोर्ट नहीं लगी है।
Check Also
सपा के प्रदेश सचिव बनें विनय श्रीवास्तव
बिजनेस लिंक ब्यूरो लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष …