- सीएम ने संसद में कहा है कि अभी यूपी में बहुत कुछ बंद होगा
- सदमे के चलते अधिकांश मीट की दुकाने भी बंद
- कई नॉनवेज की दुकानों पर भी पड़ सकता है ताला
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। शपथ ग्रहण समारोह के पहले दिन ही योगी सरकार कत्लखानों को बंद करने की बात कह चुकी है। चुनाव प्रचार के दौरान भी सरकार ने कत्लखानों को बंद करने का वादा किया था। लेकिन वैध और अवैध तरीके से हो रहे 535 करोड़ रुपये रोज के मीट कारोबार को बंद करना इतना आसान नहीं था, लेनिक योगी सरकार के इरादे पक्के थे, शायद इसलिए ये मुमकिन होता दिखाई पड़ रहा है। हालांकि कई बड़ी परेशानियों का सामना भी प्रदेश सरकार को करना पड़ रहा है।
यूपी के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमान संभालते ही रंग दिखाना शुरू कर दिया है। योगी ने अपने मंत्रियों को विभाग बांटने के पहले ही काम शुरू कर दिया था। आपको बता दे कि बीजेपी के संकल्प पत्र में जो वादे किए गए थे योगी ने उन पर अमल का ऐलान ही नहीं बल्कि कार्य भी शुरू कर दिया है। मंगलवार को संसद में अपने आखिरी भाषण में भी योगी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। योगी ने सदन के सामने कहा कि यूपी में अब बहुत चीजों की बंदी होने वाली है। योगी के इस बयान से अब ये कयास लगाए जाने लगे हैं कि यूपी में क्या बंद होने वाला है। कोई शराबबंदी तो कोई महिलाओं के साथ बढ़ते अपराधों को बंद होना का दावा कर रहा है। हालांकि बंदी कई स्तर तक हो सकती है, लेकिन उसके लिए प्रदेश के लोगों को थोड़ा इंतजार जरूर करना होगा।
घोषणा पत्र में किया था वादा
चुनाव प्रचार के दौरान भी सरकार ने कत्लखानों को बंद करने का वादा किया था। लेकिन वैध और अवैध तरीके से हो रहे 535 करोड़ रुपये रोज के मीट कारोबार को बंद करना इतना आसान नहीं होगा। यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में अवैध और यांत्रिक कत्लखानों को बंद करने की बात कही थी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने भी एक समाचार पत्र को दिए अपने बयान में कहा है कि जल्द ही अवैध और यांत्रिक कत्लखाने बंद किए जाएंगे। सभी यांत्रिक कत्लखाने लाइसेंस पर चल रहे हैं। जबकि आम बाजार में आ रहा मीट अवैध कत्लखानों से आ रहा है।
50 हजार मजदूर हो जाएंगे बेरोजगार!
एक बड़े कारोबारी के अनुसार पूरे यूपी में अवैध मीट का कारोबार करीब 60 करोड़ रुपये रोज का है। जबकि प्रदेशभर में 250 लाइसेंसधारी छोटी इकाई 475 करोड़ रुपये रोज का कारोबार करती हैं। अवैध मीट कारोबार में कत्लखानों से जुड़े मजदूरों की संख्या करीब 12 हजार है। जबकि लाइसेंस वाले कत्लखानों में 38 हजार दिहाड़ी मजदूर काम करते हैं। दिहाड़ी मजदूरों को अनुमानित 300 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलती है।
60 करोड़ रुपये रोज का मीट कारोबार
केवल मेरठ के आम बाजार में 60 प्रतिशत भैंस का मीट सप्लाई करने वाले नदीम बताते हैं कि नगर निगम का और लाइसेंस से चलने वाले कत्लखाने शहरी सीमा से दूर हैं। इसलिए आम दुकानदार इतनी दूर मीट लेने नहीं जाता है। जिसके चलते गली-मोहल्ले में ही अवैध कत्लखाना शुरु हो जाता है। जहां से शहर के छोटे-छोटे दुकानदारों को मीट सप्लाई कर दिया जाता है। हालांकि लखनऊ में कत्लखाने न के बराबर है और अवैध कत्लखानों की जानकारी मिलते ही उन्हें बंद भी कराया गया है।
एक नजर में समझे अवैध कत्लखाने
– यूपी के हर शहर में अनुमानित 200 भैंस रोजाना कटती हैं।
– बिना मशीन के चार भैंस को काटने में तीन मजदूर लगते हैं।
– एक भैंस में से 200 किलो मीट निकलता है।
– बाजार में एक किलो मीट की कीमत 180 रुपये किलो है।
– एक भैंस में से निकली 15 किलो हड्डी 8 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती है।
– भैंस की खाल चमड़ा बनाने के लिए कानपुर जाती है।
– एक शहर में कम से कम 25 से 30 अवैध कत्लखाने चलते हैं।
ऐसे चलता है वैध कत्लखाने का कारोबार
– यूपी की लाइसेंस वाली 250 यूनिट में है 475 करोड़ रुपये रोज का कारोबार
– एक यूनिट में रोजाना कम से कम 250 भैंस कटती हैं।
– एक यूनिट से रोजाना 38 हजार किलो मीट सप्लाई होता है।
– एक यूनिट से दो करोड़, 10 लाख रुपये का मीट रोज सप्लाई होता है।
– एक यूनिट में 150 दिहाड़ी मजदूर काम करते हैं।
– एक यूनिट में रोजाना 45 हजार रुपये दिहाड़ी मजदूरों में बंटते हैं।
रोजाना कटती हैं 78 हजार से अधिक भैंस
अवैध, लाइसेंसधारी यूनिटों के आंकड़ों पर निगाह डालें तो प्रदेशभर में रोजाना करीब 78 हजार से अधिक भैंस कटती हैं। करीब 15 हजार भैंस का मीट तो यूपी के बाजारों में ही बिक जाता है। जबकि लगभग 63 हजार भैंस का मीट एक्सपोर्ट हो जाता है।
यूपी से 35 यूनिट करती हैं मीट एक्सपोर्ट
एक वेबसाइट के अनुसार अलीगढ़ में एक बड़ी मीट यूनिट के लिए काम करने वाले हाजी जाहिर कुरैशी बताते हैं कि यूपी में मीट एक्सपोर्ट करने वाली 35 बड़ी यूनिट भी हैं। ये यूनिट अपने यहां भैंस कम काटकर छोटी 250 यूनिट से ज्यादा माल खरीदती हैं। साथ ही पड़ोसी राज्यों में चलने वाली छोटी यूनिटों से भी मीट खरीदकर एक्सपोर्ट करती हैं। एक बड़ी यूनिट रोजाना 4000 से 5000 भैंस का मीट एक्सपोर्ट करती है। इण्डिया फ्रोजन फूड्स के डायरेक्टर मुहम्मद रिजवान का कहना है कि अगर यूपी सरकार लाइसेंस वाले कत्लखाने भी बंद करने का फैसला लेती है तो मजबूरी में हमें फिर कोर्ट में जाना होगा। क्योंकि हमने सभी तरह की एनओसी लेने के बाद ही करोड़ों रुपये का मीट कारोबार शुरु किया है। मुरादाबाद निवासी मीट कारोबारी अफजाल का कहना है कि हमे अवैध रूप से चल रहे कत्लखाने बंद होने का तो इंतजार है, लेकिन अगर लाइसेंस वाले भी बंद कर दिए जाएंगे तो हम कारोबार कहां से करेंगे। खुले बाजार में लोगों को खाने के लिए मीट कहां से मिलेगा फिर। वहीं बरेली निवासी मुईनउद्दीन अहमद का कहना है कि कत्लखाने बंद होने से सबसे बड़ा फर्क आम बाजार पर पड़ेगा। जो मीट आज 180 रुपये से लेकर 200 रुपये किलो में मिल रहा है वो 30 से 50 रुपये तक महंगा हो जाएगा और गरीब को अभी जो महीने में दो- तीन बार खाने को मिल रहा था वो भी बंद हो जाएगा।
लखनऊ में गहराने लगा संकट
अकबरी गेट पर ही कुल्चे और निहारी के लिए मशहूर रहीम्स के मालिक मोहम्मद ओसामा ने कहा कि बूचडख़ानों के खिलाफ कार्रवाई से हमारे धंधे पर सीधा असर पड़ रहा है। बीफ मिलने में काफी दिक्कत हो रही है। वहीं बिक्री में भी बहुत कड़ी गिरावट आई है। तरह-तरह की अफवाहें फैल रही हैं। दुकान के मालिक मोहम्मद उस्मान ने कहा कि बुधवार को गोश्त की दूकान बंद कर दी गई थी क्योंकि गोश्त उपलब्ध नहीं था। उनका कहना था कि यदि हमें गोश्त नहीं मिलेगा तो हम दुकान कैसे चलाएंगे। हालांकि मटन और चिकन की उपलब्धता पर तो अभी तक असर नहीं पड़ा है। चौक के अकबरी गेट पर स्थित टुंडे कबाबी के अबुबक्र कहते हैं कि सप्लाई पूरी तरह से ठप हो चुकी है। हालात ऐसे थें कि बुधवार को दुकान तक बंद करनी पड़ी। जिला प्रशासन की कार्यवाई के बाद एक तरह जहां दर्जनों अवैध बूचडख़ाने बंद हो चुके हैंए,वहीं लखनऊ की शान माने जाने वाले टुंडे के कबाबों पर भी संकट आ गया है। शहर में बिरयानी और अन्य मांसाहारी खानों वाले होटल पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है।
शहर में डेढ़ हजार दुकानें अवैध
बीते सप्ताह महानगर और अलीगंज क्षेत्र की 9 अवैध मीट शॉप को सीज किया गया जबकि शहर में पिछले दो वर्षो से स्लाटर हाउस बंद हो चुके हैं। इसके बाद भी प्रत्येक दिन लगभग डेढ़ से दो हजार छोटे- बड़े पशुओं का कत्ल हो रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी शहर में केवल 600 दुकानों के पास मीट बेचने का लाइसेंस है। इन दुकानों को दो वर्षो से रिन्यूवल तक नहीं हुआ है। यानी नगर निगम की फाइलों में सब कुछ बंद है लेकिन बाजार में खुलेआम सब कुछ चल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक शहर में डेढ़ हजार दुकानें अवैध रुप से संचालित है और कई स्लाटर हाउस अवैध रूप से चल रहे हैं। नगर निगम के रिकार्ड में शहर में तीन स्लाटर हाउस थे जिसमें 1959 से मौलवीगंज के चिकमंडी स्थित स्लाटर दस्तावेज में स्लाटर हाउस था जबकि लाटूश रोड कसाई बाड़ा फतेहगंज में प्राइवेट स्लाटर हाउस था। जिसे 12 अगस्त 2014 में बंद कर दिया गया था। हाईकोर्ट के आदेश और एनजीटी की रिपोर्ट के आधार पर चिकमंडी और ऐशबाग स्लाटर हाउस को 2015 में बंद कर दिया गया था। शहर में मीट की मांग को लेकर मोतीझील स्लाटर हाउस को मॉडन स्लाटर हाउस और मोहनलालगंज के बिंदौआ में एक और स्लाटर हाउस बनाने का प्रस्ताव को मंजूरी मिल चुकी है। लखनऊ नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अरविंद कुमार राव के अनुसार शहर में निजी और सरकारी स्लाटर हाउस दो वर्ष पहले बंद कर दिए गए हैं। कई जगह दुकानों में छोटे पशुओं का वध किया जाता है जो कि पूरी तरह से अवैध है उन्हें अवैध दुकानों को बंद कराने के लिए पुलिस का सहयोग मांगा गया है।
मुर्गा मंडी समिति ने किया अनिश्चितकालीन हड़ताल
लखनऊ मुर्गा मंडी समिति ने अनिश्चितकालीन बन्दी का किया ऐलान जिससे सभी आढतें और दुकानों और होटल्स में सप्लाई देने से किया मना। मुर्गा समिति का कहना है प्रशासन लाइसेंस के नाम पर दुकानदारो को प्रताडि़त कर रहा है, स्लाटर हाउस पर भी सरकार के रवैय्ये की आलोचना किया। आपको बता दे योगी सरकार ने सत्ता में आते ही प्रदेश में अवैध स्लाटर हाउस पर कार्यवाई करने के बाद अवैध मीट दुकानदारो पर भी कार्यवाई शुरू कर दी, जिससे व्यापारियों में नाराजगी है उनका कहना है जब हम लाइसेंस के लिए निगम के पास जाते है तब हमें लाइसेंस मिलता ही नहीं फिर हम कैसे वैध दुकाने चलाये।
यूपी में ये भी बंद हो सकते हैं
महिलाओं से छेडख़ानी
योगी आदित्यनाथ ने महिला सुरक्षा को अपना चुनावी मुद्दा बनाया। हर मंच से वह महिला सुरक्षा की बात करते रहे। संकल्प पत्र में बीजेपी ने महिलाओं को छेडख़ाने से बचाने के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड बनाने का वादा किया था। इस वादे पर भी योगी ने काम चालू कर दिया है। पूरे सप्ताह कई जगह कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं से छेडख़ानी करने वाले मनचलों की धरपकड़ की गई।
यूपी में दंगों पर रोक
दंगे भी बीजेपी का चुनावी मुद्दा रहा। मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर खुद योगी आदित्यनाथ ने तत्कालीन सपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया। बीते मंगलवार को सदन में अपने आखिरी भाषण में भी योगी ने दंगों पर बात रखी। योगी ने सदन को आश्वस्त किया कि बीजेपी के शासनकाल में यूपी दंगा मुक्त प्रदेश बनेगा। संसद में योगी ने कहा कि दूसरी सरकारों के रहते पूरे यूपी में बड़ी संख्या में दंगे हुए लेकिन उन्होंने पूर्वी यूपी में एक भी दंगा नहीं होने दिया।
शराब भी हो सकती है बंद
योगी ने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का दावा किया है। योगी ने यूपी को पीएम मोदी के सपनों का प्रदेश बनाने का आश्वासन दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि गुजरात मॉडल को यूपी में लागू किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो यूपी में भी योगी गुजरात और बिहार की तर्ज पर शराबबंदी लागू कर सकते हैं। बता दें कि शराबबंदी के लिए पीएम मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सार्वजनिक मंच से प्रशंसा की थी। यही नहीं यूपी में बीते बुधवार से ही पुलिस इतनी सख्त थी कि किसी की हिम्मत नही हुई कि कोई सड़क पर शराब का सेवन कर पाया हो।
यूपी में बंद होगा पलायन
योगी ने सदन में कहा कि यूपी को विकास की राह पर ले जाया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि यूपी में इतना विकास होगा कि वहां के नौजवानों को अपना घर नहीं छोडऩा पड़ेगा।
अवैध खनन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह यूपी में चुनावी रैलियों के दौरान अवैध खनन का मुद्दा उठा चुके हैं। ऐसे में पीएम मोदी के आदर्शों पर चलने का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ अवैध खनन पर चोट कर सकते हैं।
फर्जी मुकदमे
यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान कई ऐसे मौके आए जब पीएम मोदी ने थानों को सपा कार्यालय करार दिया। मोदी समेत बीजेपी के तमाम नेताओं ने पुलिस पर सपा नेताओं के दबाव में काम करने का आरोप लगाया। साथ ही बेकसूरों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज करने के आरोप भी लगे। इसके अलावा बीते गुरुवार को जब सीएम राजधानी के सबसे पॉश कोतवाली हजरतगंज पहुंचे तो लगा कि अब यूपी में कानून राज चलेगा।
यूपी में कानून- व्यवस्था को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। खासकर सपा सरकार पर कानून- व्यवस्था न संभाल पाने का आरोप लगता है। बीजेपी ने निवर्तमान अखिलेश सरकार पर गुंडागर्दी और अपराध पर लगाम कसने में नाकाम होने का मुद्दा जोर- शोर से उठाया। योगी चुनाव प्रचार के दौरान भी गुंडागर्दी को यूपी से खत्म करने का दावा करते रहे थे, सीएम पद की शपथ लेने से पहले ही योगी ने डीजीपी के साथ मीटिंग की थी। इस मीटिंग योगी मेें शपथ ग्रहण समारोह के दौरान किसी भी प्रकार की हुड़दंग को रोकने के सख्त आदेश दिए थे।
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