रेलवे बोर्ड से लेकर मुख्यालय तक के अधिकारियों का होता है लगातार निरीक्षण
लखनऊ। साढ़े तीन करोड़ रुपए सालाना खर्च के बावजूद देश की सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे की राजधानी का ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन चारबाग सफाई में फिसड्डी साबित हुआ। यह तब है जब रेलवे बोर्ड से लेकर उत्तर रेलवे मुख्यालय तक के अधिकारी लगातार स्टेशन पर निरीक्षण करने के लिए आते हैं। 3.5 करोड़ रुपए का यह सफाई का लेखा-जोखा है। जबकि रेलवे बोर्ड व मुख्यालय के अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान भी बहुत सारा बजट खर्च होता है। दोनों खर्च को मिला दिया जाए तो यह दोगुना से भी ज्यादा होगा। इन सबके बावजूद रेलवे बोर्ड के स्वच्छता सर्वे की रिपोर्ट में चारबाग रेलवे स्टेशन को 57 वां स्थान मिला। इससे यह साफ जाहिर होता है कि अफसर भी महज निरीक्षण के नाम पर कोरम पूरा कर रहे हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो चारबाग स्टेशन का सफाई में स्थान कुछ ऊपर होता। बताते चलें कि रेलवे में पहले सफाई की जिम्मेदारी मेडिकल विभाग को दी गयी थी, लेकिन बाद में यह जिम्मेदारी वाणिज्य विभाग को सौंप दी गयी। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के लखनऊ व वाराणसी रेलवे स्टेशन ” ए-1Ó श्रेणी के हैं। चारबाग रेलवे स्टेशन व परिसर की सफाई की जिम्मेदारी रेलवे ने निजी क्षेत्र की चार एजेंसियों को सौंपी है। रेलवे को इन एजेंसियों को सालाना 3.5 करोड़ का भुगतान करना होता है। नौ प्लेटफार्मों, पावर केबिन, चारबाग आरक्षण केंद्र, सेकेंड एंट्री आरक्षण केंद्र और स्टेशन परिसर की सफाई के लिए तीनों शिफ्ट में 160 सफाई कर्मियों की तैनाती है। यह बात और है कि तीनों शिफ्टों में कितने सफाईकर्मी काम करते हैं।
सवा लाख यात्रियों का है आना-जाना
चारबाग रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन करीब तीन सौ ट्रेनों का आवागमन है और सवा लाख यात्री आते-जाते हैं। ट्रेनों व यात्रियों की संख्या अधिक होने से गंदगी ज्यादा होगी। ऐसे में स्टेशन की सफाई व्यवस्था संभालने वाले की जिम्मेदारी ज्यादा होती है। चारबाग रेलवे स्टेशन ऐसा है कि यहां पर अक्सर रेलवे बोर्ड, उत्तर रेलवे मुख्यालय व मंडल स्तर के अफसरों का आये दिन निरीक्षण होता है। सबका सफाई पर जोर रहता है, लेकिन सफाई नजर नहीं आती है। यही नहीं चारबाग स्टेशन पर हर हफ्ते स्टेशन मैनेजर व पर्यवेक्षकों का निरीक्षण होता है। उत्तर रेलवे मुख्यालय की एसआईजी का भी दौरा होता है। इसके अलावा यात्री सुविधा समिति का दौरा होता रहता है। सभी निरीक्षणों में अफसरों का सबसे ज्यादा फोकस सफाई पर रहता है। इसके बाद स्थानीय अफसरों की अनदेखी से चारबाग रेलवे स्टेशन की सफाई व्यवस्था सुधर नहीं रही है।
सफाई का जोर प्लेटफार्म नंबर एक पर
रेलवे बोर्ड अध्यक्ष, महाप्रबंधक व अन्य आला अफसरों के निरीक्षण से पूर्व मंडल के आलाधिकारी चारबाग रेलवे स्टेशन का दौरा जरूर करते हैं और सफाई व्यवस्था को बेहतर करने की नसीहत देते है। निरीक्षण वाले दिन चारबाग स्टेशन पर सफाई व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नजर आती है और कुछ दिनों के बाद स्थिति पहले जैसी हो जाती है। चारबाग रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म नम्बर एक पर सफाई का ज्यादा जोर रहता है। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर अफसर एक नम्बर प्लेटफार्म और वहां स्थित विश्रामालय, बुकिंगघरों, पूछताछ कार्यालय आदि का निरीक्षण करते हैं। प्लेटफार्म नम्बर एक कोटा स्टोन की फर्श है, जिससे सफाई में आसानी होती है, जबकि अन्य प्लेटफार्मों पर कोटा स्टोन नहीं है।
सफाई में किया जाएगा सुधार
उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के अधिकारियों का कहना है कि चारबाग रेलवे स्टेशन की सफाई व्यवस्था की समीक्षा कर जिन क्षेत्रों में सफाई की कमी है, उनमें सुधार किया जाएगा। सभी प्लेटफार्मों पर नये सिरे डस्टबिन लगाए जाएंगे। इसके अलावा अधिकारियों का यह भी कहना है कि चारबाग स्टेशन पर गंदगी के लिए यात्री भी कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। ज्यादातर यात्री कूड़ेदान में कूड़ा न फेंककर प्लेटफार्म पर ही फेंकते हैं। यात्रियों की जागरुकता से ही सफाई व्यवस्था बेहतर हो सकती है।