अधूरे पते पर जारी किए गए कनेक्शन
10 से 12 साल तक का बिल है बकाया, विभाग नहीं कर पा रहा ट्रेस आउट
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूबे में सबसे कम बिजली चोरी वाले क्षेत्र में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति और समय से बिजली बिल जमा करने पर बिल में छूट जैसी व्यवस्था लागू कर सबको बिजली और विद्युत विभाग की माली हालत सुधारने में लगे हुए हैं। वहीं 24 घंटे आपूर्ति के बावजूद राजधानी में ही विद्युत विभाग की लापरवाही सामने आ रही है। राजधानी में विद्युत आपूर्ति करने वाला लखनऊ विद्युत सम्पूर्ति प्रशासन लेसा 60 हजार ऐसे उपभोक्ताओं को कनेक्शन जारी कर चुका है जिसका सही रिकार्ड ही विभाग के पास नहीं है। हैरानी की बात तो यह है कि अधूरे पते पर जारी किए गए कनेक्शन धारक उपभोक्ता 10-12 साल से बिजली जला रहे हैं और विभाग उनसे अब तक बिल नहीं वसूल पाया। विभागीय मिली भगत से जारी इन कनेक्शनों को ट्रेसआउट ही नहीं किया जा पा रहा है। सालों से बिजली जला रहे उपभोक्ता विभाग की नजर में लापता हो गए हैं। अब महकमे के अधिकारी इन सभी उपभोक्ताओं को ट्रेस आउट करने में जुट गए हैं। जिससे उनसे बकाया बिल जमा कराया जा सके। फिलहाल विभाग को अभी तक कोई खास सफलता मिलती नजर नहीं आ रही है। जानकारी के मुताबिक जो उपभोक्ता ट्रेस आउट नहीं हो पा रहे हैं, उन पर करीब दस से बारह साल तक के विद्युत बिल का बकाया है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि महकमे के राजस्व को लेकर अधिकारी कितने लापरवाह रहे। अधिकारियों की मानें तो एक उपभोक्ता पर औसतन 25 हजार रुपये से लेकर 50 हजार रुपये तक बकाया है। राजस्व वसूली के बढ़ते दबाव के चलते अधिकारी अब होश में आये हैं और इसकी भरपाई करने में जुटे हुए हैं।
अधूरे पते पर कैसे जारी हुआ कनेक्शन
लेसा में वर्तमान में कुल उपभोक्ताओं की संख्या करीब 8.50 लाख है। जिसमें से 60 हजार से अधिक उपभोक्ता ट्रेस आउट नहीं हो पा रहे हैं। विभागीय रिकॉर्ड में इनके पते दर्ज हैं लेकिन आधे अधूरे। ऐसे में सवाल उठता है कि अधूरे पते पर कैसे कनेक्शन जारी कर दिया गया। कनेक्शन जारी करने के पूर्व उपभोक्ता के परिसर की जांच कर सप्लाई इंस्पेक्सन रिपोर्ट एसआईआर जूनियर इंजीनियर की ओर से लगायी जाती है, तभी कनेक्शन जारी होता है। सूत्रों की मानें तो इंद्रानगर समेत अन्य विस्तारित इलाकों में बीते कुछ सालों में अधूरे पते पर बड़ी संख्या में कनेक्शन जारी कर दिये गये। हुसैनगंज में वर्तमान में मकानों की जगह अपार्टमेंट बन गये हैं, जहां पर विभाग का काफी राजस्व बकाया है। अपार्टमेंट बनने के बाद अब वे बकाएदार उपभोक्ता भी खोजे नहीं मिल रहे हैं।
लापरवाही हो रही उजागर
अब भले ही विद्युत महकमे की टीमें उपभोक्ताओं को ढूंढ रही हों, लेकिन यह साफ जाहिर हो रहा है कि कहीं न कहीं विभागीय स्तर पर लापरवाही बरती गई है। विभाग के अवर अभियंता से लेकर डिवीजन स्तर पर अधिशासी अभियंता तक इसके लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं। इतने सालों में इस ओर ध्यान न दिया जाना उच्च प्रबंधन पर भी सवाल खड़ा कर रहा है। यह साफ दिखायी पड़ रहा है कि उच्च प्रबंधन से लेकर निचले स्तर तक कहीं भी विभागीय राजस्व को लेकर गंभीरता नहीं दिखायी पड़ी। जिसका नतीजा रहा कि करोड़ों का विभागीय राजस्व वसूला नहीं जा सका।
-यह बात सही है कि 60 हजार से अधिक विद्युत उपभोक्ता ट्रेस नहीं हो पा रहे हैं। अधूरे पते दर्ज होने के कारण उन्हें ट्रेस करने में समस्या आ रही है। ये सभी उपभोक्ता काफी पुराने हैं। हालांकि हम प्रयास कर रहे हैं कि सभी उपभोक्ता ट्रेस आउट कर लिए जाएं।
आशुतोष श्रीवास्तव, मुख्य अभियंता लेसा