बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। जॉगिंग ट्रैक पर गड्ढे, जगह-जगह उखड़े पत्थर, पोल से नदारद लाइटें, आवारा कुत्तों का आतंक, यह हाल है विश्वस्तरीय पार्कों में शुमार जनेश्वर मिश्र पार्क का। लापरवाही और रखरखाव के अभाव के कारण शहर के शानदार पार्क की छवि आने वाले पर्यटकों के बीच खराब होती जा रही है। वहीं तमाम शिकायतों के बावजूद एलडीए की ओर से व्यवस्थाओं को सुधारने की कोशिश नहीं की जा रही है।
हालांकि एलडीए के अधिकारियों का कहना है कि मेंटिनेंस के लिये टेंडर मांगे गए थे जो कि 29 नवम्बर को खुल गए हैं। जल्द ही हार्टिकल्चर के अलावा अन्य दूसरे मेंटिनेंस के काम शुरू कर दिए जाएंगे। राजधानी के गोमती नगर स्थित जनेश्वर मिश्र पार्क 376 एकड़ में फैला है। इसका निर्माण 168 करोड़ की लागत किया गया था। अपनी खूबसूरती के कारण यह पार्क विश्वस्तरीय पार्कों में गिना जाता है लेकिन अफसरों की लापरवाही के चलते पार्क की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। पार्क की बदहाली पर एलडीए प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है।
गौरतलब है कि जनेश्वर मिश्र पार्क की नींव 6 अगस्त 2012 को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रखी थी। पार्क को एशिया के सबसे बड़े पार्क का रूतबा हासिल है। सपा सरकार में यह पार्क सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था। इस पार्क का नाम छोटे लोहिया के नाम से विख्यात जनेश्वर मिश्र के नाम पर रखा गया है। पार्क में तीन किलोमीटर लम्बी झील बनी है। जिसमें गंडोला बोट से घूमने का आंनद पर्यटक उठाते थे, लेकिन अब उनकी भी हालत बदतर है। पार्क में तिरंगा लगा हुआ है जिसकी ऊंचाई 210 फुट है। तिरंगा लगाने वाले पोल में 25 टन लोहा लगा है। इसके अलावा पार्क में करीब 100 फुट ऊंचा फव्वारा लगा है। पार्क में ऐसी तमाम चीजें रखी है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। यहां रोजाना हजारों लोग आते थे। आसपास के लोग जॉगिंग करने पहुंचते हैं लेकिन अफसरों की उदासीनता के कारण ट्रैक की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। आवारा कुत्ते पूरे पार्क में घूमते हैं जिनसे लोग डर के चलते नहीं आ रहे हैं।
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