- नगर निगम ने गत वर्ष 26 लाख कम वसूले
- अधिकारी सहित कई कर्मचारियों को मिली है चेतावनी
- प्रचार विभाग का भेद खुलने के बाद कोई भी जवाबदेही के लिए तैयार नहीं
लखनऊ। विज्ञापन कर का बकाया न जमा करने पर एजेंसियों पर न्यायालय में मुकदमा दाखिल करेगा। न्यायालय के आदेश के बाद भी प्रचार कर नहीं जमा किया गया है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने प्रचार विभाग को निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि वसूली न होने पर धारा 517 के तहत सम्बंधित बकाएदार के विरुद्ध न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर वसूल किया जाए। लेखा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एक अप्रैल 2018 से फरवरी 2019 तक विज्ञापन कर के मद में 361.75 लाख की वसूली हुई, जबकि इसी अवधि में पिछले वित्तीय वर्ष में 395.30 लाख की आय हुई थी। इसी प्रकार प्रेक्षागृहों पर कर के मद में वर्तमान वित्तीय वर्ष में 13.23 लाख की आय हुई जबकि गत वित्तीय वर्ष 17.51 लाख की वसूली हुई थी।
लेखा विभाग से मिले राजस्व आय के आंकड़े से साफ जाहिर होता है कि उक्त अधिकारी व कर्मचारी प्रचार विभाग के कार्यों में रूचि नहीं ले रहे हैं। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह ने कहा काफी गंभीर बात वसूली बढ़ाने के बजाए प्रचार विभाग के जिम्मेदार वसूली गिराने में लगे हैं। इसी के चलते सभी को नोटिस जारी की गई है। उन्हें निर्देशित किया गया है कि प्रचार विभाग की समस्त बकाएदार फर्मों के शेष आपत्तियों का जल्द निस्तारण कराते हुए उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 503 तक प्राविधानों के अंतर्गत टैक्स वसूली की कार्रवाई की जाए।
इसके बाद भी टैक्स न दिए जाने पर धारा 517 के तहत सम्बंधित बकाएदार के विरुद्ध न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर वसूली की जाए। यही नहीं 31 मार्च तक गत वर्ष के मुकाबले वसूली का समय दिया गया है। प्रचार विभाग के करों, विज्ञापन व प्रेक्षागृह की वसूली में लापरवाही होने पर सम्बंधित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है।
कर अधीक्षक से जोनल अधिकारी बने नरेंद्र वर्मा के पास प्रचार विभाग का भी प्रभार है। इनके अलावा कुलदीप अवस्थी कर अधीक्षक, मदल शुक्ला कर निरीक्षक श्रेणी-2 व सुपरवाइजर पंकज अवस्थी पर प्रचार एजेंसियों से टैक्स वसूली की जिम्मेदारी है। सभी को चेतावनी दी गई है।