- सरकार-ए-सरजमीं लखनऊ में दरोगा की कमाऊ कार्यशैली का दंश झेलनें को विवश 85 वर्षीय बुजुर्ग
- विवेचना अधिकारी उप निरीक्षक दीपक कुमार राय की कमाऊ कार्यशैली ने फौजदारी के मामले को बता दिया सिविल प्रकरण
- जीवन के अंतिम पड़ाव में सपनों के आशियाने को बचाने की लड़ाई लड़ रहे अलीगंज निवासी इन्द्रराज लाम्बा
शैलेन्द्र यादव
लखनऊ। आमजन में सुरक्षा की भावना मजबूत करने के लिये इन दिनों चहुंओर ‘चौकीदार’ का शोर है। पर, इस शोर के बीच भ्रष्टïाचार पर जीरो टॉलरेंस की सभ्यता के इस दौर में 85 वर्षीय अलीगंज निवासी इन्द्रजीत लाम्बा कमाऊ कार्यशैली के गुलाम थानेदार की मनमानी का दंश झेल रहे हैं। वह अपने सपनों के आशियाने को धंधेबाजों के चंगुल से आजाद कराने की लड़ाई लड़ रहे हैं। मामला, स्थानीय पुलिस, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी, लखनऊ विकास प्राधिकरण प्रबंध तंत्र सहित शासन-प्रशासन में ऊंचे ओहदों पर विराजमान कई महानुभावों के संज्ञान में पहुंचा, पर निष्कर्ष कुछ नहीं निकला। अन्तत: मामला न्यायालय की शरण में पहुंचा। न्यायालय ने अपने निर्देश में कहा इन्द्रराज लाम्बा के हस्ताक्षर का सक्षम एजेंसी से परीक्षण कराया जाय। पर न्यायालय के इस निर्देश को धंधेबाजों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया। इतना ही नहीं पीडि़त बुजुर्ग की मानें तो विवेचना अधिकारी ने मुझसे बिना मिले अपनी विवेचना रपट तैयार कर दी और प्रकरण में फाइनल रिर्पोट, एफआर लगा दी।
गौरतलब है कि राजधानी के अलीगंज निवासी 85 वर्षीय इंद्रराज लाम्बा ने अपने मकान का भूतल दिसम्बर 2014 में गोलागोकर्णनाथ निवासी चन्द्र कुमार सेठ को एक शो-रूम खोलने के लिये किराये पर दिया था। पर, सेठ ने अपनी मर्जी से मकान के स्वरूप को परिवॢतत किया, इस दौरान पूरे मकान की दीवारों पर जगह-जगह दरारे आ गई। इतना ही नहीं सेठ ने मकान पर कब्जा करने की नियत से लाम्बा के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर बिजली का कनेक्शन भी लिया। अलीगंज थाने में जालसाली की एफआईआर भी दर्ज हुई और विवेचना भी हुई। अलीगंज थाने में तैनात उप निरीक्षक दीपक कुमार राय इस प्रकरण में विवेचना अधिकारी थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, इस अभियोग की विवेचना करने वाले दीपक राय ने विवेचना में लापरवाही बरती, जिसकी प्रारंभिक जांच की जा रही है।
बहरहाल, लखनऊ विकास प्राधिकरण, बिजली विभाग और पुलिस विभाग की कार्यशैली का दंश बीते तीन वर्षों से एक 85 वर्षीय वृद्घ झेल रहा है। किरायेदार के मनमाने निर्माण से खून-पसीने से बनाये घर की दर-ओ-दीवारें दरक चुकी हैं। पर, उनका हौसला अब भी बरकरार है। हां, सिस्टम से अभिमन्यू की तरह लड़ रहे जीवन के आखिरी पड़ाव पर खड़े लाम्बा का स्वास्थ्य अब जरूर धीरे-धीरे जवाब दे रहा है। अपने घर को सुरक्षित करने की लड़ाई लडऩे वाले इन्द्रराज लाम्बा न्याय की आस में जिम्मेदारों की परिक्रमा लगा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि इस दौरान उन्हें कुछ होता है, तो इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी संबंधित किरायेदार चन्द्र कुमार सेठ और सिस्टम के सिर होगी।