- उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक में हुये घोटालों में तत्कालीन एमडी नवल किशोर दोषी करार
- पांच साल की सजा और 31 हजार का जुर्माना
- आदेशों को दरकिनार कर की थी 99 कर्मचारियों की मनमानी नियुक्तियां
- विवेचना के दौरान सामने आया था बोर्ड घोटाला
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड में मनमाने तरीके से फैसले लेने, लाखों रुपये के घोटाले और हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर 99 कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले में भ्रष्टाचार निवारण की विशेष अदालत ने तत्कालीन प्रबंध निदेशक नवल किशोर को दोषी ठहराया है। विशेष अदालत ने पूर्व एमडी नवल किशोर को पांच साल की सजा व 31 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक में करोड़ों के घोटालों के मामलों में तत्कालीन प्रबंध निदेशक नवल किशोर को विशेष अदालत ने बीती २७ मार्च को आईपीसी की धारा 420, 384, 409, 476, 468, 471 व 120वी के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में दोषी करार दिया था। अदालत ने दोनों को जेल भेजने का आदेश देते हुए 29 मार्च को सजा सुनाने के लिए तलब किया था। भ्रष्टाचार निवारण के विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार शुक्ला ने दोनों को सजा सुनाते हुये कहा कि नवल किशोर ने लोकसेवक रहते हुये अपराध किया है। भर्ती पर रोक के बावजूद भर्ती करना, विदेश यात्रा के दौरान गलत तरीके से टैक्सी व टेलीफोन का भुगतान लेना और अपने आवास पर बैंक के सुरक्षागार्ड तैनात करना, मनमाने तरीके से साज-सज्जा कराना और कम्प्यूटर लैब स्थापित करने में मनमाना खर्च करना और विनोद गुप्ता से सांठ-गांठ कर बैंक शाखाओं पर बोर्ड लगवाने में शाखा प्रबंधक को विवश कर धन वसूलना गंभीर अपराध हैं।
अदालत ने अपने 190 के विस्तृत आदेश में नवल किशोर को धोखाधड़ी, उगाही, गबन, जाली दस्तावेज तैयार करने और भ्रष्टाचार सहित नौ मामलों में सजा सुनाई। वहीं विनोद गुप्ता को धोखाधड़ी, उगाही और साजिश रचने के लिये सजा सुनाई है। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि तत्कालीन महाप्रबंधक प्रशासन आलोक दीक्षित नें जांच अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर 11 जनवरी 2013 को हुसैनगंज थाने में नवल किशोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया कि दो फरवरी 2010 से 30 मार्च 2012 के बीच नवल किशोर ने तत्कालीन बैंक प्रशासक से हाईकोर्ट के आदेश को छिपाया और गलत तरीके से प्रस्ताव पारित कराये, जबकि हाईकोर्ट ने कोई भी नीतिगत फैसला लेने पर रोक लगाई थी।
भर्ती-प्रमोशन में मनमानी उजागर
उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक नवल किशोर ने हाईकोर्ट के निर्देश के विपरीत 99 कॢमयों की सीधी भर्ती कर ली गई। यही नहीं 385 नियम विरुद्ध प्रोन्नतिया भी की। इतना ही नहीं अपने मनमाने फैसलों से बैंक को नुकसान भी पहुंचाया। इसके अलावा मामला दर्ज होने के साथ ही बैंक की शाखाओं में 400 बोर्ड लगाने संबंधी घोटाला भी सामने आया था।
बैंक शाखाओं पर बोर्ड लगाने वाले ठेकेदार पर भी चला चाबुक
उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक नवल किशोर से सांठगांठ कर नियमों को धता बताते हुये बैंक की शाखाओं पर बोर्ड लगाने वाले ठेकेदार विनोद गुप्ता को भी अदालत ने चार वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। गुप्ता पर सात हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। साथ ही अदालत ने इस मामले में आरोपी रही विनोद गुप्ता की पत्नी सीमा गुप्ता को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी, उनके सहयोगी नवीन त्रिपाठी और प्रतिभा राय ने नवल किशोर और विनोद गुप्ता को अधिकतम सजा देने की मांग करते हुये दलील दी थी कि लोक सेवक रहते हुये उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के पूर्व एमडी नवल किशोर ने गंभीर अपराध किये हैं। वहीं बचाव पक्ष की ओर से कम से कम सजा देने की मांग करते हुये कहा गया कि दोनों का पहला अपराध है। साथ ही यह भी कहा गया कि नवल किशोर बुजुर्ग हैं और उनकी बाईपास सर्जरी हुई है।
मेरा मानना है कि वर्तमान दौर की नौकरशाही की तुलना में उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक के पूर्व एमडी नवल किशोर कुछ हद तक ईमानदार थे। उन पर जो भी आरोप है उन्होंने ये सारे कार्य बैंक हित में किए हैं। जिला शाखाओं पर कम्पयूटर लगाना या उनके कार्यकाल मे जेष्ठता एवं लम्बित स्कोरकार्ड ठीक कर पदोन्नतियां की गयी। सेवानिवृत कॢमयों के देयो के भुगतान को सुगम बनाया गया। शाखाओं पर बोर्ड भी लगाये गये, पर ये सारे कार्य न्यायालय के नीतिगत एवं व्ययभार पर लगी रोक के बावजूद किये गये… जिस कारण वह कानून के शिकंजे में फंस गये। आज की नौकरशाही को इससे सबक लेना चाहिए।
मो0 आसिफ जमाल, महामंत्री, कर्मचारी संयुक्त परिषद