लखनऊ। मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर को एक और सौगात मिली। शहर के पूर्वी छोर पर स्थित 737 हेक्टेयर रकबे में फैली यहां की प्राकृतिक और खूबसूरत झील (रामगढ़) प्रदेश का पहला वेटलैंड बना। इसके लिए प्रारंभिक नोटीफिकेशन जारी हो गया। तकनीकी परीक्षण और लोगों की आपत्तियां सुनने के बाद इस बाबत अंतिम नोटिफिकेशन जारी होगा।
नोटीफिकेशन के बाद इन कामों पर होगी रोक
नोटीफिकेशन के बाद झील के 50 मीटर के दायरे में कोई नया उद्योग नहीं लग सकता। पुरानी इकाईयों के विस्तार पर रोक होगी। इस दायरे में खतरनाक किस्म के कचरे, पालीथिन, नान बायोग्रेडिबल वस्तुओं ठोस कचरे, गंदा पानी, अशोधित सीवेज के निस्तारण पर भी रोक होगी। नौकायन के लिए जेट्टी को छ$ोड कर हर तरह के निर्माण कार्य पर रोक होगी। बंधे का निर्माण, मछली पालन, सिंघाड़े की खेती, सडक़ निर्माण और पशुओं को चराने आदि की गतिविधियों को जिला स्तर डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति रेगुलेट करेगी।
रामगढ़ झील को लेकर योगी ने देखा था सपना
मालूम हो कि ऐतिहासिक अहमियत वाले शहर गोरखपुर के पूरबी छोर पर रामगढ़ झील है। इस झील को लेकर बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ ने वर्षों पहले एक सपना देखा था। वह सपना था, अपने शहर की यह झील भी भोपाल और उदयपुर की तरह ही सिर्फ यहां के लोगों के लिए ही नहीं बौद्ध सर्किट के प्रमुख स्थान कुशीनर, कपिलवस्तु और नेपाल जाने वाले सैलानियों के लिए पर्यटक स्थल बने।
योगी के प्रयासों से पिकनिक स्पॉट बना महानगर का गटर
इस सपने का पूरा होना आसान नहीं था। वजह जिस समय यह सपना देखा गया था उस समय यह झील महानगर के गटर के रूप में तब्दील हो चुकी है। महानगर के करीब आधे दर्जन नालों का म ल-जल सीधे इसमें गिरता था। किनारों से गुजरने पर पानी से दुर्गंध आती थी। झील का बड़े हिस्से में जलकुंभी से पटा था। सिल्ट पटने से झील की औसत गहराई लगातार घट रही थी। पानी में घुलित आक्सीजन की मात्रा कम होने से जैव विविधता लगातार घट रही थी।
पर बतौर सांसद योगी इसके लिए संसद से लेकर सडक़ तक लगातार आवाज उठाते रहे। इसमें गति तब आई जब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सूबे की कुछ अन्य झीलों के साथ रामगढ़ को भी राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना में शामिल कर लिया। तबकी सरकारों द्वारा इसके बाद भी इसमें तमाम गतिरोध डाले गये पर अंतत: उनके लगातार प्रयास के कारण उनका ही नहीं महानगर के लाखों लोगों का सपना साकार हुआ। मुख्यमंत्री बनने के बाद तो इसकी खूबसूरती में और चार चांद लग गये। अब तो इसे सटे ही चीडिय़ा घर भी बन रहा है। यह कानपुर और लखनऊ के बाद प्रदेश का तीसरा चीडिय़ा घर होगा। इसके अलावा वॉटर स्पोटर्स पार्क भी बन रहा है।