नई दिल्ली। देश रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में भारत एवं चीनी सेनाओं के बीच तनाव एवं तैनाती कम करने के प्रयासों की बुधवार को सराहना की और साथ ही भारतीय वायुसेना को आगाह किया कि वह किसी भी विपरीत परिस्थिति के लिए हर क्षण तैयार रहे। रक्षा मंत्री यहां वायुसेना के कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। वायुसेना के मुख्यालय वायु भवन में बुधवार को हुए इस सम्मेलन को एयर चीफ मार्शल आर के सिंह भदौरिया ने भी संबोधित किया।
श्री सिंह ने वायुसेना की सभी कमानों के कमांडरों को संबोधित करते हुए पिछले कुछ महीनों में भारतीय वायुसेना की संचालन क्षमता में वृद्धि के लिए सक्रियता से किये गये कार्य की सराहना की और कहा कि वायुसेना ने जिस पेशेवराना तरीके से बालाकोट में एयर स्ट्राइक संचालित की और पूर्वी लद्दाख में निर्मित चुनौतीपूर्ण स्थिति में जितनी तेजी से वायुसैनिकों एवं साजोसामान की तैनाती की, उससे हमारे दुश्मनों को कड़ा संदेश गया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अपनी संप्रभुता की रक्षा करने का किसी राष्ट्र का संकल्प, उस देश की जनता का सशस्त्र सेनाओं की क्षमता पर विश्वास से मजबूत होता है। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव घटाने के प्रयासों की सराहना की और साथ ही यह भी कहा कि वायुसेना को किसी भी विपरीत स्थिति का सामना करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान वायुसेना के योगदान की सराहना की और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वायुसेना में आने वाले दिनों में स्वदेशी तकनीक का प्रयोग बढ़ाया जाएगा। रक्षा मंत्री ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ की नियुक्ति और रक्षा उत्पादन प्राधिकरण के गठन के माध्यम से तीनों सेनाओं के बीच तालमेल एवं एकीकरण के क्षेत्र में हुई प्रगति पर भी संतोष व्यक्त किया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वायुसेना को बदलते वक्त के साथ तकनीक में आ रहे बदलावों को अविलंब अपनाने की जरूरत है। नैनो तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर एवं अंतरिक्ष के क्षेत्र में क्षमता विस्तार किया जाना चाहिए। उन्होंने वायुसेना के कमांडरों को आश्वासन दिया कि सशस्त्र सेनाओं की वित्तीय एवं अन्य हर प्रकार की जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
वायुसेना प्रमुख ने कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा कि वायु सेना अल्पकालिक तथा सामरिक खतरों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है और वायुसेना की सभी यूनिट दुश्मन की किसी भी आक्रामक कार्रवाई का जवाब देने में सक्षम हैं। तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में कमांडर वर्तमान ऑपरेशनल एवं तैनाती के परिदृश्य की समीक्षा करेंगे और इसके बाद अगले दशक की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए वायुसेना की क्षमता वृद्धि के बारे में विचार मंथन करेंगे।