- महालूट को रफा-दफा करने की योजना
- कई पेट्रोल पंपों की डीलरशिप हुई निरस्त
- रिकवरी की धनराशि विकास कार्यों पर खर्च करें सरकार
लखनऊ। वाहनों के कम माइलेज से बेहाल आम आदमी कभी मैकेनिकों को, तो कभी वाहन निर्माता कंपनियों को कोसता रहा। पर, कम माइलेज का कारण लुटेरे पेट्रोल पम्प संचालकों की काली करतूत निकली। स्पेशल टास्क फोर्स ने जब पेट्रोल-डीजल के चोर पंप संचालकों के सफेद पोश चेहरों से नकाब नोचा तो मामला ईंधन की महालूट का निकला। एसटीएफ ने इस रैकेट का भंडाफोड़ा। तो पुलिस थोक के भाव लगातार मुकदमें दर्ज कर रही है। ऑयल कंपनियां चोर पेट्रोल पंपों के लाइसेंस निरस्त करने में जुटी हैं। पर, इन सबके बीच आम आदमी के जेहन में एक सवाल शूल की तरह चुभ रहा है कि जब महालूट हुई, मुकदमें दर्ज किये गये। तो, आम जनता से लूटी गई रकम की रिकवरी करने में जिम्मेदार अब तक चुप्पी क्यों साधे हैं? कहीं इस महालूट के मामले को रफा-दफा करने की योजना तो नहीं है?
बता दें कि बीते २७ अप्रैल को एसटीएफ, आपूॢत विभाग व बांट-माप विभाग की संयुक्त टीम ने राजधानी के सात पंपों पर छापा मार पेट्रोल-डीजल वितरण में सुनियोजित तरीके से हो रही लूट का खुलासा किया। इसके बाद जिला प्रशासन ने राजधानी के सभी २०२ पंपों की जांच करायी। इसमें ५१ पंपों पर पेट्रोल-डीजल चोरी पकड़ी गई। ४३ पंपों पर मशीन अथवा नोजल में टैंपङ्क्षरग व डिवाइस लगाकर चोरी का मामला प्रकाश में आया। इन पंपों के डीलरों के खिलाफ संबंधित थानों में धोखाधड़ी के मुकदमा दर्ज किये गये। इतना ही नहीं इस महालूट पर इंडियन आयल ने राजधानी के तीन पेट्रोल पंपों का लाइसेंस भी निरस्त किया। इंडियन ऑयल के मुख्य प्रबंधक एमके अवस्थी के मुताबिक, राजधानी के अलीगंज फिलिंग स्टेशन, साहनी फिलिंग, गोमती नगर और मिश्र फिलिंग स्टेशन अलीगंज और बाराबंकी जनपद में आदर्श गौरी फिलिंग स्टेशन और किसान फिलिंग स्टेशन में डिवाइस लगा कर घटतौली के चलते डीलरशिप निरस्त की गई है।
एसटीएफ की कामयाबी के बाद सरकार ने जिला प्रशासन की देखरेख में एसआइटी गठित कर घटतौली रोकने का अभियान शुरू किया। इलेक्ट्रानिक डिवाइस के जरिये पेट्रोल पंपों में हुई महालूट में 120 पंप मालिकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर लगभग 37 लोगों की गिरफ्तारी भी की गई हैं। पर, इन लुटेरे पेट्रोल पंप संचालकों ने जिस आमजन के खून-पसीने की कमाई पर खुलेआम डाका डाला, उस रकम की रिकवरी करने की दिशा में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अब तक जारी किये गये किसी भी सरकारी आंकड़ें में यह नहीं बताया गया कि इन महालुटेरों से आमजन के खून-पसीने की कितनी कमाई वसूली गई है। जानकारों की मानें तो लुटेरे पंप संचालकों से अरबों की यह रकम यदि संजीदगी से वसूली जाय, तो यह किसान ऋण मांफी बजट के विकल्प में राज्य सरकार को बड़ी राहत दे सकती है। इससे राज्य सरकार सूबे में विकास की नई इबारत लिख सकती है।
दर्ज हो रहे सिर्फ मुकदमें
राजधानी में पेट्रोल-डीजल की घटतौली में पकड़े गये ५१ में से तीन पम्पों की जांच पूरी हो गई है। पुलिस की विवेचना पूरी होने के बाद रिर्पोट डीएम को सौंप दी गई है। जिला प्रशासन के मुताबिक, केजीएमयू और डालीगंज स्थित लालता प्रसाद एंड संस एवं अलीगंज स्थित मान फिलिंग स्टेशन से संबंधित विवेचना पुलिस ने पूरी कर ली है। कुल १३ लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। इसमें लालता प्रसाद एंड संस के दोनों पम्पों में पांच-पांच और मान फिलिंग स्टेशन में तेल चोरी के लिये तीन को अभियुक्त बनाया है। विवेचना में बांट-माप विज्ञान विभाग, एसटीएफ को मिले सबूत और स्टाक रजिस्टरों में अनियमितता को आधार बनाया गया है। वहीं क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी भानु भाष्कर कौल ने बक्शी का तालाब थाने में स्टैंडर्ड पेट्रोल पंप संचालक के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है।
हो सकती है 10 साल की सजा
चिप लगाकर पेट्रोल-डीजल चुराने वाले पंप मालिकों की सजा बढ़वाने के लिये जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। राजधानी के जिलाधिकारी ने निर्देश दिये हैं कि एक से अधिक डिस्पेंसर यूनिट में गड़बड़ी करने वाले पेट्रोल पंप मालिकों के खिलाफ आवश्यक वस्तु वितरण अधिनियम की व्यवस्था के तहत भी कार्रवाई की जाय। मुकदमें में यह जुड़ जाने पर लुटेरे पंप मालिकों की सजा दस वर्षों तक बढ़ सकती है। धोखाधड़ी में अधिकतम पांच साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
प्रदेश में दर्ज हुये सैकड़ों मुकदमें, रिकवरी अब तक किसी से नहीं
पेट्रोल पंपों पर चिप लगाकर घटतौली के मामले में पूरे प्रदेश में अब तक लगभग 120 मुकदमें दर्ज हुये हैं। इस मामले में अब तक 37 आरोपी गिरफ्तार भी किये जा चुके हैं। पुलिस विभाग के प्रवक्ता आईजी एचआर शर्मा के मुताबिक, पेट्रोल पंपों पर चिप लगाकर घटतौली का पहला मामला लखनऊ में 27 अप्रैल को पकड़ा गया था। दर्ज मुकदमों में कुल 115 लोग नामजद हैं और 15 नाम विवेचना में प्रकाश में आये। इस तरह कुल 215 आरोपियों में से 37 गिरफ्तार कर लिये गये हैं।
कहां कितनी एफआईआर
लखनऊ जोन 391
वाराणसी जोन 211
आगरा जोन 181
बरेली जोन 161
मेरठ जोन 141
कानपुर जोन 061
गोरखपुर जोन 011
जांच के तथ्य
120 एफआईआर दर्ज हुई। 210 लोग नामजद हुए। 37 लोग गिरफ्तार किये गए। सात पेट्रोल पंप के लाइसेंस रद। सात पेट्रोल पंप के लाइसेंस निलंबित। 21 के विरुद्ध कार्रवाई प्रचलित।
कंपनी संख्या घटतौली चिप खामियां सील पंप
आईओसीएल 3,433 पंप 170 98 268 18
बीपीसीएल 1,280 पंप 66 26 92 12
एचपीसीएल 1,367 पंप 76 56 132 10
एस्सार 537 पंप 29 14 43 4
रिलायंस 117 पंप 3 0 3 0
अन्य कंपनियां 11 पंप 1 0 1 0
मुख्य सचिव ने दिये गिरफ्तारी के निर्देश
बीते दिनों राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अन्तर्गत पेट्रोल पंपों की जांच प्रगति की समीक्षा करते हुये मुख्य सचिव ने पेट्रोल पंपों की जांच में चिप, टेंपङ्क्षरग के ऐसे प्रकरण जहां अभी भी कानूनी कार्रवाई लंबित हैं, में तेजी लाने के निर्देश दिए। ऐसे मामलों में सूचना उपलब्ध कराने को कहा और जिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है, उन्हें प्राथमिकता पर गिरफ्तार करने के निर्देश भी दिये। पर, लूट की रकम रिकवर करने पर कुछ नहीं बोले।
फ्यूल पंपों की जांच पूरी हो चुकी है। आगे की कार्रवाई के लिए गृह विभाग के अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है।
अजय चौहान, खाद्य एवं रसद कमिश्नरअब तक 120 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गयी है। 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अभियान के दौरान 15 चिप, 33 रिमोट बरामद किये गये हैं।
हरि राम शर्मा, आईजी कानून व्यवस्था, पुलिस प्रवक्ता