- उद्यमी इस निर्णय से खुश
- सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 से लगा दी थी रोक
लखनऊ। प्लाईवुड और वीनियर आधारित औद्योगिक इकाइयों के लिए जल्द ही वन विभाग नए लाइसेंस जारी करेगा। लाइसेंस के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 से पहले नए लाइसेंस देने पर रोक लगा दी थी और राज्य सरकारों को निर्देश दिए थे कि पहले वे यह देखे कि वन क्षेत्र के बाहर जितनी लकड़ी उपलब्ध हैं वह यदि लाइसेंसी इकाइयों की मांग से अधिक है, तब ही नये लाइसेंस जारी किये जाये। उस समय सरकार ने सर्वे कराया और आपूॢत के मुताबिक लाइसेंस जारी किये थे।
बीते वर्ष प्लाईवुड इंडस्ट्री की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि वह फिर से मांग और आपूॢत का सर्वे कराकर नये लाइसेंस जारी करने पर विचार करे। वन विभाग ने देहरादून स्थित फारेस्ट सर्वे ऑफ इण्डिया से इस संबंध में सर्वेक्षण करवा रहा है और इसकी जो रिपोर्ट आई है उसमें वन क्षेत्र के बाहर लकडिय़ों की उपलब्धता लाइसेंसी इकाइयों की मांग से अधिक है।
वन कटान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिये हैं कि यदि वन क्षेत्र से बाहर लकड़ी उपलब्ध है तो उसका आकलन कराकर सीमित मात्रा में लाइसेंस दिए जाय। भारतीय वन सर्वेक्षण के शुरुआती नतीजे सामने आ रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए वन विभाग जल्द ही प्लाईवुड फैक्ट्रियों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू करेगा। प्लाईवुड और वीनियर आधारित औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने के लिये नये लाइसेंस लेने के लिये प्रयासरत उद्यमियों में इस निर्णय से खुशी है।