- वाराणसी ओवर ब्रिज हादसे में हुई कार्रवाई को बताया एकतरफा, जताया विरोध
- न मिला न्याय, तो 24 अगस्त को सामूहिक इस्तीफा देंगे निगम के समस्त अभियंता
- 13 के बाद चरणबद्ध तरीके से ठप होंगे अंचलों के निर्माण कार्य
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। वाराणसी ओवरब्रिज हादसे में अब तक हुई कार्रवाई को एकतरफा बताते हुए उत्तर प्रदेश सेेतु निगम के समस्त अभियंताओं ने सामूहिक इस्तीफा देने का मन बनाया है। सेतु अभियंता एसोसिएशन और उप्र डिप्लोमा इंजिनियर एसोसिएशन की ओर से सेतु निगम मुख्यालय में हुई बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। एक ओर सामूहिक स्तीफे का यह निर्णय और दूसरी ओर बीते छह माह से सेतु निगम के हजारों कर्मचारियों का सातवें वेतनमान के लिये आंदोलन दो दिनों में एक सेतु का निर्माण पूरा करने वाली सरकार के मंशूबों पर पानी फेर सकता है।
बीते दिनों सेतु निगम मुख्यालय में प्रदेशभर से आये अभियंताओं ने फैसला लिया कि 13 अगस्त को वह न्यायालय के आदेश का इंतजार करेंगे। यदि, तब तक गिरफ्तार किये गये इंजीनियरों को राहत नहीं मिलती, तो 13 अगस्त से 23 अगस्त तक निगम के अभियंता जोनवार एक-एक दिन काम बंद रखेंगे और 24 अगस्त को मुख्यालय में सामूहिक रूप से इस्तीफा देंगे। साथ ही जीपीओ जाकर अपनी मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी को देंगे। गौरतलब है कि वाराणसी हादसे में सात अभियंताओं की गिरफ्तारी से निगम के अभियंता आक्रोशित हैं। आपात बैठक में मुख्य परियोजना प्रबंधक, परियोजना प्रबंधक और उप-परियोजना प्रबंधक सहित सभी अभियंताओं की मौजूदगी में हादसे के लिए मुख्य रूप से प्रशासन को जिम्मेदार बताया गया। स्थानीय प्रशासन द्वारा निगम अधिकारियों के अनुरोध पर ट्रैफिक डायवर्जन न करना हादसे में हुई मौतों का प्रमुख कारण है। पर, पूरी जिम्मेदारी अभियंताओं पर डाल दी गई। यदि इन्हें रिहा न किया गया, तो अभियंता आंदोलन को मजबूर होंगे। इससे कुंभ सहित अन्य प्रमुख सेतु निर्माण प्रभावित होंगे।
कार्य बहिष्कार का कार्यक्रम
आपात बैठक में तय किया गया कि 13 अगस्त तक अदालत के निर्णय की प्रतीक्षा की जायेगी। इसके बाद 14 अगस्त को लखनऊ-कानपुर, 16 अगस्त को गाजियाबाद-मुरादाबाद, 17 अगस्त को वाराणसी, 18 को बरेली, 20 को आगरा, 21 को गोरखपुर व 23 अगस्त को इलाहाबाद एवं चित्रकूट मंडलों की निर्माणाधीन परियोजनाओं सहित अन्य संबंधित कार्य अभियंताओं द्वारा नहीं किये जायेंगे।
मुझे अभी अभियंताओं के सामूहिक स्तीफे की अधिकारिक सूचना नहीं मिली है। पर, कर्मचारियों व अभियंताओं की विभिन्न मांगे संज्ञान में हैं, निगम हित में जल्द ही यह सुलझा ली जायेंगी। सभी निर्माण परियोजनायें गुणवत्ता के साथ निर्बाधरूप से समय से पूरी कराई जायेंगी।
उत्तम कुमार गहलोत, एमडी, सेतु निगमघटना के बाद से ट्रैफिक बंद किया गया। यदि, स्थानीय प्रशासन ऐसा पहले करता, तो किसी की जान न जाती। ऐसे में सिर्फ इंजिनियरों पर हादसे की जिम्मेदारी थोप कर उन्हें जेल भेजना एक तरफा कार्रवाई है। स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को बचाने के लिये इंजिनियरों की बली स्वीकार नहीं।
इं. अशोक तिवारी, अध्यक्ष, सेतु अभियंता एसोसिएशनजिले में सुचारु यातायात व्यवस्था का दायित्व स्थानीय प्रशासन और यातायात पुलिस का है। हादसे से पूर्व परियोजना प्रभारी ने जिला प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर यातायात रोकने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में दोषी सिर्फ अभियंता कैसे हो गये?
इं. श्रीप्रकाश गुप्ता, अध्यक्ष, डिप्लोमा इंजिनियर एसोसिएशन
कर्मचारी मांग रहे छह माह से 7वां वेतनमान
लखनऊ। सेतु निगम के शेष 3,849 कर्मचारियों को 7वें वेतनमान का लाभ शीघ्र दिलाने के लिये सेतु निगम इंम्प्लाइज यूनियन के बैनर तले बीते छह माह से भोजनावकाश के समय साप्ताहिक आमसभा का आयोजन कर कर्मचारी अपना विरोध जता रहे हैं। सेतु निगम इम्प्लाइज यूनियन के केन्द्रीय अध्यक्ष इशरत जांह ने कर्मचारियों से धैर्य एवं एकता बनाये रखने की अपील करते हुये कहा, ७वें वेतनमान से वंचित कर्मचारियों की सहनशीलता बेकार नहीं जायेगी, शीघ्र ही 7वें वेतनमान का लाभ सभी को मिलेगा। गौरतलब है कि निदेशक मण्डल के अनुमोदन से निगम के सभी काॢमकों को 7वां वेतनमान दिलाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, लेकिन वित्त विभाग एवं सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो ने महज नियमित अधिष्ठन के काॢमकों को इसका लाभ देने का आदेश पारित कर लगभग तीन चौथाई कर्मचारियों को इसके लाभ से वंचित कर दिया है। शासन में बैठे उच्च स्तरीय अधिकारियों की इस मनमानी के खिलाफ कर्मचारी बीते छह माह से आंदोलित हैं।
7वें वेतनमान से वंचित कर्मचारियों की सहनशीलता बेकार नहीं जायेगी। इसका लाभ शीघ्र ही सभी कर्मचारियों को मिलेगा।
इशरत जहां, अध्यक्ष, इंप्लाइज यूनियन