- हादसों के बाद जागते हैं पेट्रोलियम कंपनियों के अधिकारी
- शासन-प्रशासन व पुलिस की साठ-गांठ के चलते नहीं होती सख्त कार्रवाई
- छोटे अवैध सिलेंडरों के धंधे पर टिकी है लाखों लोगों की भूख
धीरेन्द्र अस्थाना
लखनऊ। शहर के तमाम पॉश इलाकों में अवैध सिलेंडरों व रिफिलिंग का धंधा खूब फल-फूल रहा है। शहर के ज्यादातर इलाकों में पुलिस से सेंटिंग के चलते ये धंधा बढ़ता जा रहा है। बड़ी गलती तो शासन प्रशासन की है, लेकिन पेट्रोलियम कंपनियां भी जांच के नाम पर कोई सख्ती नहीं बरतती है, जिसकी वजह से कई बार बड़ा हादसा हो चुका है। आपको जानकर हैरानी होगी कि गोमतीनगर के विभूति खंड में पिछले माह ही पांच किलों के छोटे अवैध सिलेंडर में रिफिलिंग के दौरान हुई अग्निकांड की घटना जिसमें एक मासूम की दर्दनाक मौत हो गयी। भविष्य में ही ऐसी ही घटनाएं होती रहेंगी और इससे भी बड़ा हादसा हो जाए और सैकड़ों लोगों की जान चली जाए इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है। हर बार की तरह आपूर्ति विभाग के अधिकारियों पर अवैध रिफिलिंग को रोक पाने में विफल होने का ठीकरा फोड़ा जाएगा और पेट्रोलियम कंपनी के अधिकारी मौके पर जाकर यह जांच करेगें कि उसमें उनकी कम्पनी का कोई वैध सिलेंडर है कि नहीं, लेकिन इस समस्या की मूल जड़ क्या है इसके बारे में आज तक अनुसंधान नहीं किया गया, जिसके कारण हर साल कोई न कोई ऐसी घटना होती रहती है।
बिजनेस लिंक ने ऐसे कई मुदï्दे पर पड़ताल की तो चौकाने वाली बात सामने आयी है। पता चला है कि अकेले राजधानी में पांच किलों के छोटे अवैध सिलेंडरों की बिक्री का करीब दो करोड़ का कारोबार है। इसके अलावा इन सिलेंडरों में कम से कम एक करोड़ की गैस की रिफिलिंग की जाती है। राजधानी की सीमा में करीब एक लाख परिवार विभिन्न क्षेत्रों में झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहते हैं। ये वे परिवार है जिसके लोग या तो मजदूरी करते हैं या फिर महिलाएं घरों में झाड़ू-पोछा करके जीवन यापन करते हैं। चंूकि इन परिवारों का न तो कोई स्थाई पता है और न ही पक्का किचन है, लिहाजा पेट्रोलियम कंपनियां विस्फोटक अधिनियम के तहत इन परिवारों को गैस कनेक्शन नहीं दे सकती हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी उज्ज्वला गैस कनेक्शन उन्हीं परिवारों को दिया गया है जिनके पास पक्की हवादार रसोई है। इसके अलावा राजधानी एजुकेशन हब के रूप में विकसित हो रही है, बड़ी संख्या में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए युवा यहां आतें है और कमरा किराए पर लेकर रहते हैं और उसी में खाना भी बनाते हैं। इसी तरह गोमती नगर के जुगौली, सुरेन्द्र नगर, जियामऊ समेत अन्य क्षेत्रों में अल्प वेतन भोगी सुरक्षा गार्ड व शापिंग माल में काम करने वाले युवक भी कमरा लेकर रहते हैं, इन लोगों को भी पेट्रोलियम कंपनियां गैस कनेक्शन नहीं दे सकती हैं। इन जमीनी समस्याओं से जूझ रहे लोग अवैध रूप से बिकने वाले पांच किलों के छोटे सिलेंडर लेने के लिए मजबूर हैं इसके चलते छोटे सिलेंडरों की बिक्री का कारोबार करीब दो करोड़ का पहुंच गया है। इन छोटे अवैध सिलेंडरों का थोक बाजार नाका में है, यहां से लखनऊ नहीं बल्कि आस-पास के छोटे जिलों तक में सिलेंडरों की बिक्री होती है। अवैध रिफिलिंग के जरिए इन सिलेंडरों में गैस भरवाने के लिए प्रतिकिलों करीब 12 रुपये देना पड़ता है, जबकि गैस एजेन्सी से मिलने वाला 14 किलों का गैस सिलेंडर प्रतिकिलों की दर से काफी सस्ता पड़ता है, लेकिन स्थाई पता न होने के चलते छोटा सिलेंडर लेना मजबूरी है। पेट्रोलियम कंपनियों ने पांच किलों के छोटे सिलेंडर लांच किये थे, लेकिन इनका कनेक्शन लेने के लिए भी पते व पहचान का प्रमाण पत्र होना जरूरी है। जब तक केंद्र सरकार गैस कनेक्शन देने की प्रक्रिया में बदलाव नहीं करेगी, तब तक ऐसी घटनाएं होती ही रहेंगी। इस मामले पर डीएम से बात करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन नहीं उठा।
यहां पकड़ी गई अवैध रिफिलिंग
- दिसम्बर 2013 में पुराना हैदरगंज बाजार खाला
- नवम्बर 2015 में राजाजीपुरम के न्यू सचिवालय कालोनी के पार्क के पास
- जून 2017 आशियाना कालोनी के सेक्टर के में पकड़ी गयी अवैध रिफिलिंग
- जुलाई 2017 में गोमतीनगर के मकदूमपुर में पकड़ी गयी अवैध रिफिलिंग
- दिसम्बर 2017 में आलमबाग के रामनगर इलाके में पकड़े गए आठ सिलेंडर
काले कारोबार का पर्दाफाश
मोहनलालगंज उपजिलाधिकारी सन्तोष कुमार सिंह ने सीओ डा. बीनू सिंह व नगराम पुलिस की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए गैस की कालाबाजारी करने व घरेलू गैस सिलेंडर के अवैध भंडारण व कारोबार का पर्दाफाश किया है। छापेमारी में टीम को तीन घरो से 56 घरेलू गैस सिलेंडर व एक इलेक्ट्रॉनिक कटिंग मशीन मिली है। वहीं छापेमारी में अवैध करोबार के सरगना को मौके से पुलिस ने गिरफ्तार किया गया है। जबकि दो साथी मौके से भाग निकले। जानकारी के अनुसार नगराम के केवली गांव में जन सुविधा केंद्र का संचालक मो. कमर फारूखी लम्बे से अवैध रूप से गैस एजेंसी की तरह अपने घर में गोदाम बनाकर गैस की कालाबाजारी कर रहा था। सूचना पाकर एसडीएम, सीओ व नगराम एसओ सुजीत उपाध्याय सहित पुलिस फोर्स के साथ उसके घर पर छापा मारा कर घर की तलाशी करायी तो भारत गैस के 25 घरेलू गैस सिलेंडर व गैस कटिंग करने की एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन बरामद की। वही बड़े पैमाने पर मिले घरेलू गैस-सिलेंडरों स एसडीएम व सीओ भी सकते में आ गये। एसडीएम के अनुसार सिलेंडरों को सील करने के साथ ही आरोपी को पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया है।
टीम सुस्त इसलिए रिफिलिंग मस्त
घरेलू गैस सिलेंडर की रिफिलिंग वाले सिलेंडर जानलेवा साबित हो रहे हैं। तीन माह के दौरान लीकेज वाले सिलेंडरों से होने वाली घटनाएं इसी का परिणाम है। कारण ये है कि गैस की अवैध रिफिलिंग की धर पकड़ को लेकर जिला पूर्ति विभाग की टीमें सुस्त नजर आ रही हैं। जानकारों की माने तो गैस की अवैध रिफिलिंग का धंधा सबसे अधिक आलमबाग, चौक व राजाजीपुरम क्षेत्र में चल रहा। अगर आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने समय रहते इसकी रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठाए तो गोमती नगर के विभूति खंड में हुए भीषण अग्निकांड जैसी घटना की पुर्नवृत्ति हो सकती है। करीब तीन साल पूर्व अलीगंज के सेक्टर ओ में एक गैस एजेंसी के पप्पू नाम के वेंडर द्वारा अपने घर पर ही गैस की रिफिलिंग करने के दौरान हुए विस्फोट में उसकी बेटी की मौत हो गयी थी।
वेंडर करते हैं गैस का सौदा
अगर उपभोक्ताओं से जानकारी ली जाती तो अधिकतर उपभोक्ता इस बात की पुष्टिï स्वयं ही कर देगा कि उनके घर गैस सिलेंडर लेकर जो वेंडर आता है, वो कितना सही और उपयुक्त है। जिलाधिकारी के निर्देश पर आपूर्ति विभाग की पुरानी टीमों ने खूब छापेमारी की जिससे ये धंधा बंद हो गया, लेकिन टीम के के हटते ही एक बार ये धंधा फिर से फलने फूलने लगा है। जानकारों की माने तो इंडेन की अधिकतर एजेंसियों से निकलने वाले सिलेंडरों को उनके वेन्डर अवैध रिफिलिंग के लिए ले जाते हैं और गैस का सौदा होने के बाद उन सिलेंडरों को बुकिंंग वाले घर पर पहुंचा देते हैं।
नहीं रखते हैं तौल यंत्र
सभी एजेंसियों ने अपने वेंडरों को सिलेंडर तौलने के लिए तौल यंत्र भी दिया है, लेकिन एजेंसी संचालकों की ओर से इस विषय पर कोई सख्ती न होने के चलते वेंडर अपने सिलेंडरों को दुकानों पर या तो चाय की दुकान पर रिफिलिंग करते हुए अक्सर दिखाई पड़ेंगे।