- अब संकटमोचन हनुमानजी पर घमासान जारी, कोई बता रहा दलित, कोई जनजाति, तो कोई आर्य
- मुख्यमंत्री ने बताया दलित, राष्ट्रीय जनजाति आयोग अध्यक्ष ने कहा जनजाति के हैं हनुमानजी
शैलेन्द्र यादव
लखनऊ। विकासवादी विचारधारा का पेटेंट अपने नाम कराने का दावा करने वाली राजनीतिक पार्टी के सिपहसलार चुनावी लाभ लेने के लिए अब भगवान पर जाति का जाल फेंक कर जातिवादविहीन राजनीति का सूत्रपात कर रहे हैं। ईश्वर का धर्म और जाति ढूंढने वाली यह नई परिपाटी खतरनाक है।
उत्तर प्रदेश राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि अपनी बातों को सभ्यता से रखना चाहिए। किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना। किसी के भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना अपने विचारों को रखना लोकतंत्र के लिए जरूरी है। अटलजी से सीख लेनी चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान के अल्वर में चुनावी प्रचार के दौरान कहा कि भगवान हनुमान दलित थे। बजरंगबली हमारी भारतीय परंपरा में ऐसे लोक देवता हैं, जो वनवासी, निर्वासी, दलित और वंचित हैं। वहीं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने हनुमानजी पर अपना दावा ठोकते हुए उन्हें जनजाति का बताया। कहा, आदिवासियों में वानर गोत्र होता है। भगवान राम के अनन्य सहयोगी हनुमानजी के नाम से जनजातियों में गोत्र है। जनजातियों में बड़े आदर से उनका स्मरण किया जाता है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति के अध्यक्ष ने दावा किया कि वह स्वयं जनजाति से हैं, इसीलिए वे यह सब जानते हैं। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। बीजेपी सांसद उदित राज के मुताबिक, ‘इस बयान से स्थापित हो गया है कि रामराज में भी दलित हुआ करते थे, जाति व्यवस्था थी। हम हिपोक्रेसी से बाहर आ रहे हैं। लोग चुनाव में कहते हैं कि जाति पर वोट नहीं पडऩा चाहिए, लेकिन वोट देते जाति पर ही हैं। जाति के आधार पर वोट ज्यादा पड़ता है, योगीजी की अपील भी उसी पर है।’
डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विवि के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि ‘देवी-देवताओं की जाति-धर्म न ढूंढे। हमारे लिए वे आस्था का विषय हैं, आपके लिए हो सकता है राजनीति का हों। हमने कभी नहीं सुना कि हनुमानजी दलित थे या महिषासुर दलित था। वैदिक काल में न तो धर्म थे, न जाति। निवेदन है ऐसा न करें’ यह पंक्तियां शायद राजनीतिक बयानवीरों को आईना दिखाने में सफल हो। पर, ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि ईश्वर की जाति-गोत्र खोजने वाली राजनीति को क्या कहा जाय? यह राजनीति का कुरूपतम चेहरा नहीं, तो और क्या है?
सर्व ब्राह्मïण महासभा ने भेजा नोटिस, कहा मांगे माफी
उत्तर प्रदेश के मुयमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा हनुमानजी को दलित बताये जाने से विवाद बढ़ गया है। राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस सहित अन्य दलों ने जहां उन्हें घेरा है। वहीं सर्व ब्राह्मïण महासभा ने हनुमानजी को जातियों में बांटने और उनका अपमान करने का आरोप लगाते हुए कानूनी नोटिस भेज माफीं मांगने को कहा है। माफी न मांगने पर कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है।
सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि जनता सौहार्द और विकास की राजनीति की ओर बड़ी उम्मीद से देख रही है। इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि उद्योगपतियों के लाखों करोड़ माफ हो रहे हैं, किसान बेहाल हैं और ऐसा करने वाले भगवान को जाति के बंधन में बांध रहे हैं।