- राजधानी स्थित सरोजनी नगर औद्योगिक क्षेत्र में स्वच्छता और व्यवस्था बेपटरी
- उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम ने औद्योगिक क्षेत्रों में लागू की थी स्वच्छ औद्योगिक क्षेत्र योजना
- योजना के तहत औद्योगिक क्षेत्रों की साफ-सफाई, जलनिकासी और सौन्दर्यीकरण को मिलना था प्रोत्साहन
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। सूबे के औद्योगिक क्षेत्रों की सूरत बदलने के लिये उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम प्रबंध तंत्र ने जिस स्वच्छ औद्योगिक क्षेत्र योजना की शुरुआत की थी, वह दम तोड़ गई है। इस योजना के तहत औद्योगिक क्षेत्रों में सफाई बनाये रखने के लिये बेहतर प्रयास करने के तमाम दावे किये गये थे, जिससे बेहतर वातावरण, आॢथक समृद्धि एवं स्वास्थ्य के लिये अनुकूल परिस्थितियों में उद्योग संचालन को प्रोत्साहित किया जा सके। निगम ने इसके लिये एक मोबाइल एप्लिकेशन भी विकसित करने का ऐलान किया था। इसमें औद्योगिक क्षेत्र के आवंटी रख-रखाव संबंधित समस्यायें फोटो सहित अपलोड कर निगम तंत्र को अवगत कराने की योजना थी। साथ ही समस्या को समाधान होने के बाद शिकायतकर्ता का फीडबैक एैप में रेटिंग सहित दर्शाया भी जाना था।
उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निमग के जिम्मेदारों ने तब कहा था कि स्वच्छ औद्योगिक क्षेत्र योजना के तहत ऐसे औद्योगिक क्षेत्र जो नगर निगम या किसी अन्य स्थानीय निकाय को स्थानांतरित नहीं हुये हैं, उनके लिये प्रति वर्ष १.५० रुपये प्रति वर्ग मीटर रख-रखाव एवं सफाई कार्य के लिये आवंटित करने का निर्णय लिया गया है। जिससे सामान्य उपयोग क्षेत्रों में सडक़ों, नालियों एवं हरित क्षेत्रों जैसे पार्कों और हरित पट्टियों को साफ किया जा सकेगा। इस प्रस्ताव में औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योग के लिये आवंटित भूखंड, बल्क लैंड एवं अविकसित भूमि सम्मिलित नहीं है। यह धनराशि संबंधित अधिशासी अभियंता को कार्य की समीक्षा के उपरान्त एवं पिछले वर्षों में हुये रखरखाव कार्यों की समीक्षा के आधार पर आवंटित की जायेगी। यूपीएसआईडीसी के तत्कालीन एमडी रणबीर प्रसाद ने उस समय कहा था, कि औद्योगिक क्षेत्रों के वातावरण को स्वच्छ एवं अनुकूल बनाने के लिये निरंतर प्रयास किया जा रहा है, उसी दिशा में स्वच्छ औद्योगिक क्षेत्र योजना प्रारंभ की गई है। इसके तहत औद्योगिक क्षेत्रों के रख-रखाव की अधिकांश समस्याओं को ध्यान में रखा जायेगा। उद्यमियों को स्वच्छ वातावरण में बेहतर स्वास्थ्य परिस्थितियां व बेहतर औद्योगिक वातावरण मिलेगा। पर, आज इस योजना की हकीकत शासन-प्रशासन के प्रयासों को मुंह चिढ़ा रही है।
बननी थी ऑडिट समिति
इस योजना में पारदॢशता लाने के लिये स्थानीय औद्योगिक संघ और आवंटियों की एक ऑडिट समिति गठित होनी थी। इस समिति को प्रतिमाह औद्योगिक क्षेत्रों का निरीक्षण करना था और आवश्यकता पडऩे पर सफाई से संबंधित प्रकरणों को ऑनलाइन पोर्टल पर प्रस्तुत करना था।
दिये थे एमडी ने स्पष्टï निर्देश
यूपीएसआईडीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने औद्योगिक क्षेत्रों की बदहाली दूर करने के लिये स्वच्छ औद्योगिक क्षेत्र योजना शुरू की थी। औद्योगिक क्षेत्रों में रखरखाव के प्रत्येक कार्य जैसे मुख्य एवं आंतरिक सडक़ों में सफाई कार्य, नालियों से गार्बेज हटाने व सफाई, गार्बेज को औद्योगिक क्षेत्र से बाहर फेंकना, झाडिय़ों की सफाई एवं कटिंग का कार्य नियमित करने के स्पष्टï निर्देश दिये गये थे। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र के सुन्दरीकरण का कार्य एवं रखरखाव से संबंधित अन्य कार्य कितनी बार एवं कितने समय में किये गये, इस संबंध में प्रबंध निदेशक ने स्पष्टï दिशा-निर्देश जारी किये थे।
यहां होना था बजट का उपयोग
स्वच्छ औद्योगिक क्षेत्र योजना के तहत आवंटित धन का प्रयोग सफाई के कार्य के लिये एवं सफाई के लिये श्रमिक, कचरा, गाद, ट्रैक्टर, डंपर, परिवहन वाहन, जेसीबी, कुदाल, टोकरी, कुल्हाड़ी आदि उपकरणों को खरीदने अथववा किराये पर लेने के लिये बजट का उपयोग किया जाना था। इसके बाद यदि धनराशि बचती है तो उसका प्रयोग औद्योगिक क्षेत्र का सौंदर्यीकरण करने पर खर्च करने की योजना थी।