श्रमिकों की घर वापसी के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गम्भीरता से प्रयास करते रहे है। इस सम्बंध में उनकी कार्ययोजना व्यापक हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई थी। इसमें श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के साथ ही उनके स्वास्थ्य, कोरोना जांच, इलाज, आवश्यकता के अनुसार क्वारण्टान, भोजन, पानी,आदि को शामिल किया गया था। इसमें उन गांवों का भी ध्यान रखा गया था, जहां इन श्रमिकों को पहुंचना था।
योगी की मंशा थी कि गांवों को भी कोरोना से सुरक्षित रखा जाए। इस व्यापक योजना के अंतर्गत योगी सरकार ने लाखों श्रमिकों को गंतव्य तक पहुंचाया है। यह सही है कि दिल्ली, पंजाब, राजस्थान,महाराष्ट्र से अप्रत्याशित रूप से हुए बड़े पलायन से समस्या बढ़ी है। इससे कोरोना से बचाव का इंतजाम करते हुए श्रमिकों को गंतव्य तक पहुंचाने में बाधा आई है। दूसरे राज्यों से ट्राको में भरकर लोग आने लगे, यह कोरोना के मद्देनजर गम्भीर समस्या था। श्रमिकों की व्यथा सही है। लेकिन जिन राज्यों से उनका पलायन हो रहा था,वहां की सरकारें भी जबाबदेह है।
वह कोरोना नियमों का पालन करते हुए इन श्रमिकों को क्रमशः बसों से भेजती तो यह नौबत ना आती, इन सरकारों ने उत्तर प्रदेश के श्रमिकों का जीवन खतरे में डाला है। इसके साथ ही हजारों गांवों में भी कोरोना की रोकथाम को कठीन बनाया है। योगी आदित्यनाथ का प्रियंका गांधी से प्रश्न बिल्कुल सटीक था। चार सवाल पूछे थे। योगी ने पूंछा था कि आप एक हजार बसें चलवाना चाहती हैं,तो कांग्रेस शासित राज्यों से यूपी के श्रमिक पैदल क्यों आ रहे हैं। इतना ही नहीं पंजाब व राजस्थान से ट्राको में भरकर श्रमिक आ रहे थे। योगी ने कहा कि क्या कांग्रेस औरैया दुर्घटना की जिम्मेदारी लेगी। उनका आरोप था कि कांग्रेस श्रमिकों की सहायता का स्वांग कर है।
योगी ने यह आरोप एक दिन पहले लगाया था। प्रियंका गांधी के कार्यालय ने जो एक हजार बसों की सूची भेजी उससे योगी का आरोप ही प्रमाणित हो गया। प्रियंका द्वारा भेजी गई बसों की सूची में स्कूटर,आटो रिक्शा और तिपहिया वाहनों के साथ एंबुलेंस का नंबर शामिल है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि प्रियंका गांधी द्वारा भेजी गई सूची में जिन वाहनों के नंबर दिए गए हैं,उसमें अधिकांश ब्लैकलिस्टेड है। इस सूची में स्कूटर,आटो रिक्शा और तिपहिया वाहनों तक के नंबर शामिल हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रियंका गांधी मजदूरों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। कोरोना के संकटकाल में ओछी राजनीति करने की बजाए कांग्रेस को सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों में सहयोग करना चाहिए।प्रियंका गांधी की पहल से लगा था कि कांग्रेस दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सहयोग करना चाहती है। प्रियंका गांधी ने श्रमिकों के लिए योगी सरकार से एक हजार बसें चलाने के लिये इजाजत मांगी थी। लेकिन प्रश्न तब भी उठा था कि वह एक हजार बसें पंजाब,दिल्ली, राजस्थान को क्यों नहीं दे रही है। जहां से श्रमिक पलायन कर रहे थे।
योगी सरकार ने भी उदारता से सहयोग की पेशकश स्वीकार की। अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी कांग्रेस से बसों की सूची मांगी थी। पहले ये बसें लखनऊ मंगाई गई थी। कहा गया था कि सभी बसों के चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस, परिचालकों के परिचय पत्र और बसों के फिटनेस प्रमाण पत्र जिलाधिकारी लखनऊ को सौंप दें। इसी के साथ उनको अनुमति पत्र दे दिए जाएंगे। कांग्रेस की सुविधा को देखते हुए अवनीश अवस्थी ने दुबारा लिखा कि आप लखनऊ में बसें देने में असमर्थ हैं इसलिये पांच सौ बसें गाजियाबाद में उपलब्ध करा दें। बसों से जुड़ी सारी जानकारी जिलाधिकारी गाजियाबाद को दें। लेकिन इसी बीच सूची की गड़बड़ी उजागर हो गई।