• प्रतिदिन 71 हजार से अधिक टेस्टिंग करने वाला राज्य
• दिल्ली का पॉजिटिविटी रेट 14.9 और उत्तर प्रदेश का 3.4 प्रतिशत
• डब्ल्यूएचओ के मानक के तहत 18 लाख से अधिक टेस्टिंग
• 1.51 लाख कोविड बेड वाला पहला राज्य
• आबादी के लिहाज से संक्रमितों की संख्या बेहद कम
लखनऊ। विश्व के कई देशों से अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में ‘कोविड-19’ के संक्रमण का प्रसार देश के कई राज्यों से अत्यधिक कम है। जबकि प्रतिदिन सैम्पल्स के टेस्ट सहित कुल टेस्टिंग की संख्या कई राज्यों से अधिक है। दिल्ली और महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या से कहीं अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश का भौगोलिक क्षेत्रफल भी दिल्ली की तुलना में कई गुना अधिक है। पर, वैश्विक महामारी के संक्रमितों का पॉजिटिविटी रेट, कुल पॉजिटिव संख्या व मृत्यु दर में अत्यधिक कम और रिकवरी रेट में कई राज्यों से बेहतर स्थिति में है उत्तर प्रदेश। यह संभव हुआ है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संकल्पशक्ति, समर्पण और सेवाभाव से।
कोविड-19 की टेस्टिंग में महाराष्ट्र और दिल्ली सहित कई राज्यों से उत्तर प्रदेश आगे है। पिछले सात हफ्तों में सबसे ज्यादा परीक्षण करने वाले शीर्ष सात राज्यों में उत्तर प्रदेश के अलावा तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और दिल्ली शामिल हैं। उत्तर प्रदेश ने प्रत्येक सप्ताह टेस्टिंग क्षमता में निरन्तर बढ़ोत्तरी करते हुए प्रतिदिन रिकार्ड 71 हजार से अधिक टेस्ट किए हैं। उत्तर प्रदेश में 2 से 15 जुलाई के मध्य रिकार्ड 6.03 लाख से अधिक सैम्पल्स के परीक्षण किए गए। अब तक 18.54 लाख से अधिक टेस्ट में पाॅजिटिविटी रेट 4 प्रतिशत से कम और पुष्ट मामलों की संख्या लगभग 50 हजार दर्ज हुई है।
देश के अन्य राज्यों में पिछले दो सप्ताह के दौरान तमिलनाडु में पांच लाख, महाराष्ट्र में 3.89 लाख, आन्ध्र प्रदेश में 2.85 लाख, राजस्थान में 2.69 लाख, कर्नाटक में 2.48 लाख और दिल्ली में 1.63 लाख सैम्पल्स के परीक्षण किए गए हैं। कोविड-19 के कुल पुष्ट मामलों में महाराष्ट्र में 3,27,031, तमिलनाडु में 1,80,643, दिल्ली में 1,25,096, कर्नाटक में 71,069, आन्ध्र प्रदेश में 58,668 और गुजरात में 47,476 मामले रिकार्ड किए गए हैं। कोविड-19 के संक्रमण से प्रभावित शीर्ष राज्यों में उत्तर प्रदेश अत्यधिक सुरक्षित जोन में है। इन राज्यों का पाॅजिटिविटी रेट 7 से 23 प्रतिशत तक है। राजस्थान 2.4 प्रतिशत को छोड़कर उत्तर प्रदेश का पाॅजिटिविटी रेट सबसे कम 3.4 प्रतिशत है। जबकि महाराष्ट्र का 19.9 प्रतिशत, तेलंगाना का 16.8 प्रतिशत, दिल्ली का 30 प्रतिशत से घटकर 14.9 प्रतिशत, तमिलनाडु का 8.9 प्रतिशत और कर्नाटक का पाॅजिटिविटी रेट 7.6 प्रतिशत है। टेस्टिंग के यह आंकड़े उत्तर प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के प्रभावी रोकथाम की गवाही स्वयं देते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्ल्यूएचओ के निर्धारित मानकों के तहत उत्तर प्रदेश में अब तक 14 लाख से अधिक टेस्ट हुए हैं। प्रतिदिन 71 हजार से अधिक सैम्पल्स की टेस्टिंग करने का रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश के नाम है। भौगोलिक क्षेत्रफल और आबादी की द्रष्टि से अत्यधिक विशाल राज्य में महामारी के दौरान 35 लाख से अधिक श्रमिकों और कामगारों की अन्य राज्यों से वापसी के बावजूद संक्रमण के प्रसार पर प्रभावी रोकथाम शासन-प्रशासन की कारगर कार्य संस्क्रति का परिचायक है। डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के अनुरूप उत्तर प्रदेश सरकार ने जांच को तेजी से बढ़ाते हुए प्रतिदिन 50 हजार से बढ़ाते हुए 1 लाख का लक्ष्य निर्धारित किया है, प्रतिदिन 71,881 से अधिक सैम्पल्स की जांच का रिकार्ड बनाकर उत्तर प्रदेश ने अन्य राज्यों के समक्ष अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। साथ ही 1.51 लाख कोविड बेड वाला पहला राज्य है।
ध्यातव्य है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोविड-19 की जांच के लिए चलाए गए घर-घर स्क्रीनिंग अभियान के दौरान बड़े पैमाने पर बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और पहले से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों को चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई है। इतना ही नहीं अधिक जोखिम ग्रस्त आबादी को निरंतर निगरानी में रखने की व्यवस्था से संक्रमण के प्रसार पर प्रभावी रोकथाम लगाई है। समय पर चिकित्सकीय उपचार मुहैया कराकर लगभग 25 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमितों की संख्या और मृत्यु दर को कम किया है। इतना ही नहीं लाॅकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक लगभग 35 लाख श्रमिक और कामगार वापस लौटे हैं। प्रदेश सरकार ने इनकी सुरक्षित व सकुशल घरवापसी के लिए पर्याप्त परिवहन व्यवस्था (देश में सर्वाधिक 1660 ट्रेन और 15 हजार बसें), चिकित्सकीय परीक्षण और इलाज की सटीक व्यवस्था, भरण-पोषण के लिए पर्याप्त राशन और आर्थिक सहयोग के साथ ही ‘घर-ऑंगन’ में ही हर हाथ को रोजगार उपलब्ध कराया है। इस महामारी के दौरान आमजन के साथ उत्तर प्रदेश सरकार मज़बूती से खड़ी है, जिसकी तुलना अन्य किसी राज्य से करना तर्कहीन है।