Breaking News

कांग्रेस के शासन में कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज विभाग में घूस लेकर बनाये जाते थे इंस्पेक्टर!

कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज विभाग में 150 करोड़ का घोटाला

 

श्रवन गुप्ता

लखनऊ। कस्टम्स एवं सेंट्रल एक्साइज विभाग में निरीक्षकों की पदोन्नति में कांग्रेस के शासन में हुए एक बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।

केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड, नई दिल्ली (वर्तमान में केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड) और प्रधान मुख्य आयुक्त कार्यालय, कैडर कंट्रोल, कस्टम्स व सेंट्रल एक्साइज, लखनऊ, (वर्तमान में कस्टम्स एंड सीजीएसटी, लखनऊ) के भारतीय राजस्व सेवा के कुछ भ्रष्ट अधिकारी इस घोटाले में शामिल हैं।

आरटीआई व विभागीय पत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस पार्टी के शासन के दौरान, केंद्र सरकार के एक बड़े मंत्री की शह पर और विभाग के ही एक लिपिक (मास्टरमाइंड) के द्वारा, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, नई दिल्ली (CBIC) और प्रधान मुख्य आयुक्त कार्यालय, कैडर कंट्रोल, कस्टम्स एंड CGST, लखनऊ के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से वर्ष 2007, 2011 व 2012 में लखनऊ व मेरठ जोन के लगभग 400 निचले ग्रेड के कर्मचारियों जैसे सिपाही और लिपिकों को अवैध तरीके से इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोशन दे दिया गया था।

विभागीय सूत्र बताते हैं कि इस गोरखधंधे में करोड़ों रूपये की घूसखोरी की गयी थी और यथास्थिति बनाये रखने के लिए ये घूसखोरी वर्तमान में भी जारी है।

केंद्र सरकार और CBIC बोर्ड नई दिल्ली, के अधिकारियों के बदल जाने पर ये फर्जीवाड़ा प्रकाश में आया। जिसके उपरान्त CBIC ने ही कैडर कंट्रोल, कस्टम्स एंड CGST, लखनऊ को वर्ष 2016 से 2018 के बीच कई लिखित पत्र जारी किये और इंस्पेक्टर के पदों पर किये गए इन 400 प्रमोशन को अवैध घोषित कर दिया। साथ ही ये भी स्पष्ट निर्देश जारी किये कि यथाशीघ्र वर्ष 2002 के बाद निरीक्षकों के पद पर स्वीकृत क्षमता से अधिक किये गए सभी प्रमोशन रद्द कर दिए जाएँ और इनको दिए गए अधिक वेतन की रिकवरी भी की जाये।

इसके अतिरिक्त CBIC बोर्ड ने वर्ष 2017 में उक्त मामले की जाँच के लिए एक उच्च स्तरीय जाँच कमेटी भी गठित की।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दिनांक 16.05.2018 में यह सिफारिश की, कि निरीक्षक के पदों पर की गयी उक्त 400 पदोन्नतियां अवैध थीं तथा अनुचित पदोन्नति पाए इन अवैध निरीक्षकों को तत्काल डिमोट किया जाये और इनको दिए गए अधिक वेतन की रिकवरी भी की जाये।

CBIC, नई दिल्ली व कैडर कंट्रोल, CGST, लखनऊ जोन के कुछ भ्रष्ट उच्च अधिकारियों की मिली भगत से अनुचित पदोन्नति पाए निरीक्षकों को बढे हुए वेतन मान का लाभ देकर, सरकारी खजाने को आज तक लगभग 150 करोड़ रूपये का चूना लगाया जा चुका है।

बाद में, कैडर कंट्रोल, CGST, लखनऊ ने भी CBIC, नई दिल्ली, को लिखे अपने पत्रों के माध्यम से ये स्वीकार किया कि वर्ष 2002 के बाद निरीक्षकों के पद पर स्वीकृत क्षमता से अधिक किये गए सभी प्रमोशन अनुचित हैं।

कई आदेशों के बाबजूद अभी तक इन फर्जी निरीक्षकों को डिमोट करने की कोई कार्रवाई नहीं की गयी और न ही उनको दिए गए अधिक वेतन की कोई रिकवरी हुई।

इन फर्जी निरीक्षकों के द्वारा पिछले कई वर्षों से लगातार उच्च पद का पदलाभ भी लिया जा रहा है।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि प्रधान मुख्य आयुक्त कार्यालय, कैडर कंट्रोल, कस्टम्स एंड CGST, लखनऊ, की पोस्टिंग कुछ उच्च अधिकारियों के लिए ‘मलाईदार’ पोस्टिंग बनी हुई है।

इस प्राइम पोस्टिंग में आईआरएस अधिकारियों को कार्यों को करने के लिए नहीं बल्कि ‘कुछ कार्यों को न करने के लिए’ मास्टरमाइंड से मोटी ‘मलाई’ मिलती है।

जो भी उच्च अधिकारी इधर आता है वो अपने यहाँ के पूरे कार्यकाल में ‘कुछ कार्यों को न करते हुए’ केवल समय बिताकर और मोटी ‘मलाई’ लेकर यहाँ से निकल जाता है।

इन भ्रष्टाचारियों की फेरहिस्त साल दर साल लम्बी होती जा रही है जिसकी उच्च स्तरीय जाँच होना बहुत आवश्यक है। इस संबंध में सीबीआईसी, नई दिल्ली, द्वारा स्पष्ट आदेश एवं निर्देश होते हुए भी आज तक कोई कार्रवाई न करना प्रधान मुख्य आयुक्त कार्यालय, कैडर कंट्रोल, CGST, लखनऊ, के उच्च अधिकारियों की इस गोरख धंधे में मिलीभगत के दावों की पुष्टि भी करता है।

इस पूरे गोरख धंधे के ‘मास्टरमाइंड’ ने वर्ष 2007, 2011 व 2012 में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, नई दिल्ली, के उन भ्रष्ट उच्च अधिकारियों को रिश्वत देते वक्त उसके साक्ष्य एकत्रित कर लिए थे ताकि आने वाले आड़े वक्त पर इन्ही साक्ष्यों के बल पर CBIC, नई दिल्ली, के अधिकारियों को ब्लैक मेल कर उन पर 400 अवैध निरीक्षकों को डिमोट न करने और अधिक वेतन मान की रिकवरी न करने का दबाव बनाया जा सके।

अब, जब कभी भी CBIC बोर्ड, नई दिल्ली, इन अवैध 400 निरीक्षकों को डिमोट करने और इनको दिए गए अधिक वेतन मान की रिकवरी करने की बात करता है तो यह ‘मास्टरमाइंड’ CBIC बोर्ड में हुए बड़े भ्रष्टाचार का भंडा फोड़ करने की धमकी देता है और यह भी दावा करता है कि उसके पास बोर्ड ऑफिस में हुए बड़े भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं, परन्तु आज तक उसके द्वारा उन सबूतों को न तो CBIC को और न ही किसी दूसरी जाँच एजेंसी को सौंपा गया है।

अब कैडर कंट्रोल, CGST, लखनऊ और CBIC, नई दिल्ली, इस घोटाले का ठीकरा एक दूसरे के सिर मढ़ने का लगातार प्रयास कर रहे हैं।

जबकि घोटाले में शामिल रकम का आकार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसा भी दावा किया जा रहा है कि यदि CBIC कार्यालय, नई दिल्ली, और प्रधान मुख्य आयुक्त कार्यालय, लखनऊ, में गहन जाँच पड़ताल की जाये और पुराने रिकॉर्ड खंगाले जाएँ तो कुछ भ्रष्ट उच्च अधिकारियों द्वारा किये गए कई और बड़े फर्जीवाड़े के खुलासे होंगे।

ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित प्रधान मुख्य आयुक्त कार्यालय (कैडर कंट्रोल), कस्टम्स एंड CGST, लखनऊ, पूरे उत्तरप्रदेश और उत्तरांचल में फैले विभाग के समस्त कार्यालयों का मुख्यालय है। जिसके अंतर्गत लखनऊ और मेरठ जोन के लगभग 14-14 आयुक्तालय व महानिदेशालय आते हैं।

हमारे पास इस मामले से जुड़े कुछ ऐसे सबूत मौजूद हैं जिससे कई अधिकारियों और सत्ता में रहे कांग्रेसी नेताओं द्वारा किये गए भ्रष्टाचार का खुलासा होगा।

About Editor

Check Also

ikba

बाबरी मामले में मुद्दई रहे इकबाल अंसारी ने किया सीबीआई अदालत के फैसले का स्वागत

लखनऊ। राम जन्मभूमि—बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई रहे इकबाल अंसारी ने विवादित ढांचा ढहाये जाने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>