- दम तोड़ रहे ‘प्रभू’ आपके भागीरथी प्रयास, फाइलें गायब होने का सिलसिला बरकरार
- एलडीए तंत्र ने अलीगंज निवासी 85 वर्षीय बुजुर्ग के मकान का बेसमेंट किया सीज
- आरटीआई के तहत सूचना देने में ढूंढे नहीं मिल रही फाइल
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। बेहतर प्रशासनिक कार्यों के लिये कर्मचारियों और अधिकारियों को लखनऊ विकास प्राधिकरण प्रबंध तंत्र द्वारा पढ़ाये व रटाये गये दायित्व बोध के तमाम दावों के बावजूद आम आवंटियों की समस्यायें दूर करने के लिये बड़े सुधार की दरकार है। आरटीआई के तहत प्राधिकरण तंत्र ने उपलब्ध कराई सूचना में पीडि़त को बताया कि आपके भवन की वाद पत्रावली संख्या-133/15 पर काई भी पत्रालेख उपलब्ध नहीं है, जबकि इसी वाद संख्या पर एलडीए तंत्र बीते चार वर्षों से पीडि़त को नोटिस पर नोटिस भेजता रहा है।
राजधानी के अलीगंज निवासी 85 वर्षीय इन्द्रजीत लाम्बा ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2014 में अपने मकान का भूतल गोला गोकरननाथ जनपद लखीमपुर निवासी नीरू सेठ पत्नी चन्द्र कुमार सेठ को किराये पर दिया था। इलेक्ट्रानिक्स कंपनी का शोरूम खोलने के लिये हमारे मध्य लीज डीड से सबंधित निर्धारित शर्तों का खाका तैयार हुआ, जिसे मैंने पढ़ा। वह बिल्कुल वैसा ही था, जिन शर्तों पर हम राजी हुये थे। सेठ ने विश्वास में लेकर आठ दिसम्बर 2014 को डीड साइन कराई। पर, वह डीड जब मुझे मिली तो उसमें कई शर्तें और बढ़ा दी गई। इसके कुछ समय बाद ही चन्द्रकुमार सेठ और उसके परिवारीजनों ने मकान के भूतल में रेस्टोरेंट खोलने के इरादे से मकान में तोड़-फोड़ शुरू कर दी।
लाम्बा ने बताया कि मेरे विरोध करने के बावजूद न तो तोड़-फोड़ रोकी और न लीज में संशोधन कराया। लगातार मेरे विरोध पर सेठ ने एलडीए तंत्र की मिलीभगत से मकान का भूतल सीज करा दिया। एलडीए के विहित प्राधिकारी ने आठ मई 2015 को विकास कार्य रोकने के लिये मेरे नाम नोटिस भेजी। पांच अगस्त 2015 को प्राधिकरण के पेशकार द्वारा भेजे पत्र में लिखा है कि आपने बिना आज्ञा अनाधिकृत निर्माण करा लिया था जिस हेतु कारण बताओ नोटिस दिया गया था। इस पर जब लाम्बा ने लखनऊ विकास प्राधिकरण में जन सूचना अधिकार अधिनियम-2005 के तहत इस प्रकरण से संबंधित सूचना प्राप्त करने के लिये आवेदन किया तो प्रभारी अभियंता जोन-4 ने संबंधित वाद पत्रावली पर कोई भी पत्रालेख उपलब्ध न होने की सूचना दी।
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