- 48 के हुए गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 48 साल के हो गये। उनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तर प्रदेश अब उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गांव में हुआ। उनके पिता आनन्द सिंह बिष्ट वन विभाग में रेंजर थे। माता सावित्री देवी सामान्य गृहिणी थीं।
हालांकि वह नाथ पंथ में दीक्षित हैं। माना जाता है कि दीक्षा के बाद सन्यासी का पुर्नजन्म होता है। लिहाजा उसका पहले के जन्म से कोई नाता नहीं होता। ऐसे में योगीजी खुद अपना जन्म दिन नहीं मनाते। अलबत्ता उनके लाखों प्रशंसक उन्हें शुभकामनाएं जरूर देते हैं। पर उनके लिए यह कभी कोई खास दिन नहीं रहा। इस दिन भी उनकी दिनचर्या रुटीन की ही रहा करती रही है। बतौर सांसद और अब मुख्यमंत्री के रूप में भी।
इस बार तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने ट्वीटर के माध्यम से लिखा है कि ‘‘यूपी के मेहनती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जन्मदिन की शुभकामनाएं। उनके नेतृत्व में राज्य हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल कर रहा है। राज्य के लोगों के जीवन में बड़ा सुधार आया है। भगवान उन्हें लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन दे।
उधर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अपने गुरू ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को याद करते हुए लिखा है कि ‘‘गगन मंडल मैं ऊंधा कूबा तहां अमृत का बासा। सगुरा होइ सु भरि-भरि पीवै निगुरा जाइ पियासा। गोरखबानी शिवावतारी गुरु श्री गोरक्षनाथ जी के चरणों में सादर प्रणाम। महायोगी गुरु श्री गोरक्षनाथ जी अपनी कृपा से समस्त संसार को अभिसिंचित करें, सबका कल्याण करें।
मालूम हो कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर स्थित गोरक्षपीठ के महन्त भी हैं। इन्होंने 19 मार्च 2017 को प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद यूपी के 21वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
सांसद और मुख्यमंत्री के रूप में उनके नाम कई रिकॉर्ड हैं। मसलन जब वह पहली बार सांसद बने तो सबसे कम उम्र के सांसद थे। अपने समय में वह देश के उन चुनिंदा सांसदों में थे जो सर्वाधिक सत्र अटेंड करते थे। फेम इंडिया के हालिया सर्वे में उनको प्रधानमंत्री के बाद देश के सर्वाधिक लोकप्रिय लोगों में रखा गया। इसके पहले भी इंडिया टूडे ने अपने सर्वे में उनको देश के सबसे रसूखदार लोगों में शामिल किया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी अगुआई में लगभग हर क्षेत्र में रिकॉर्ड बने हैं।
दरअसल वह विजनरी हैं। अपने विजन को अमली जामा पहनाने के लिए वह दिन-रात मेहनत करते हैं। उनकी डिक्सनरी में में ना नाम का शब्द है ही नहीं। लिहाजा वह हर चुनौती को अवसर मानते हैं। और चुनौती मिलते ही उसे अवसर में बदलने के लिए पूरी ताकत से जी जान से जुट जाते हैं। कोरोना का अभूतपूर्व संकट भी इसका अपवाद नहीं रहा।
उनके लिए राजधर्म सर्वोपरि रहा है। हाल ही में अपने पिता के अंतिम संस्कार में जाने की बजाय प्रदेश की 23 करोड़ जनता के व्यापक हित को सर्वोपरि रखा। वह मिथक तोडऩे में यकीन रखते हैं। बार-बार नोएडा जाकर उन्होंने इसे साबित भी किया। इसी तरह जिस अयोध्या और राम मंदिर के नाम से कई मुख्यमंत्रियों को करंट लगता था, उससे उन्होंने अपने लगाव को मुख्यमंत्री बनने के बाद भी जारी रखा। अयोध्या का नियमित दौरा इसका सबूत है।
प्रकृति के प्रति उनका अनुराग अनुपम है। यह उनको अपने विरासत और परिवेश से मिला है। इसकी वजह शायद प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न देवभूमि उत्तराखंड से उनका ताल्लुक और वन विभाग में नौकरी (रेंजर) करने वाले स्वर्गीय पिता हैं। इस प्रेम का विस्तार बच्चों, जानवरों और गायों तक हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके निर्देश एवं निजी रुचि से हर साल पौधरोपण का रिकॉर्ड बना। गोरखनाथ मंदिर परिसर की हरियाली में और इजाफा हुआ।
‘योगी आदित्यनाथ ने 1998 से 2017 तक गोरखपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया। वह ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के उत्तराधिकारी और योग्य गुरु के योग्तम गुरु हैं।