- औद्योगिक इकाइयों को पर्यावरण फेन्डली बनाने के लिए साथ आये सीमा और पृथ्वी इनोवेशन्स
- सीमा और पृथ्वी इनोवेशन संयुक्तरूप से आयोजित कर रहा ऑनलाइन नेचुरल कार्निवॉल
- 04-10 जून तक सीमा और पृथ्वी मनाएंगे कार्निवॉल मनाएंगे- शैलेन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन वेबिनार में स्माल इंडस्ट्रीज एंड मैन्युफैक्चररस एसोसिएशन (सीमा) एवं पृथ्वी इनोवेशन ने उद्यमियों, छात्रों एवं शिक्षकों के बीच पर्यावरण को लेकर संवेदनशीलता विकसित करने के लिए एक एमओयू किया और आगामी पांच दिनों के कार्निवॉल महोत्सव की शुरुआत की। इस कार्निवॉल का उद्देश्य कम से कम 500 लोगों को पर्यावरण सुरक्षा को लेकर ट्रेनिंग देना है, आज पहले दिन पृथ्वी इनोवेशन की तरफ से 100 लोगों को ट्रेनिंग दी गई।
कार्निवॉल के पहले दिन इसके प्रमुख अतिथि सीमा के सरंक्षक एवं पूर्व मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश अलोक रंजन और मुख्य वक्ता पीके सेठ एवं व्यंकटेश दत्ता रहे। इस अवसर पर सीमा के संरक्षक अलोक रंजन ने कहा, जब तक उद्योग एवं विकास का मॉडल सतत विकास की अवधारणा पर आधारित नहीं होगा, तब तक हम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते रहेंगे। इसलिए यह आवश्यक है कि उद्योग एवं औद्योगिक संगठन सतत विकास के सिद्धांतों को अपने व्यवहार में लायें। आज के मौजूदा बाजार आधारित इकॉनमी में यह तभी संभव होगा जब उपभोक्ता पर्यावरण प्रेमी हो, उद्यम खुद उसका अनुकरण करते हुए नेचर फे्रंडली हो जायेंगे क्योंकि मौजूदा बाजार का नियम है जहां ग्राहक वहां उद्यम।
कार्यक्रम की शुरुआत स्माल इंडस्ट्रीज एंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (सीमा) एवं पृथ्वी इनोवेशन के एमओयू हस्ताक्षर से हुई जिसे सीमा की तरफ से महासचिव हरजिंदर सिंह एवं उपाध्यक्ष सीए पवन तिवारी ने किया तथा पृथ्वी इनोवेशन की तरफ से अनुराधा गुप्ता ने किया। इस मौके पर सीमा के अध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव एवं टीम पृथ्वी ने पांच दिनों तक लगातार चलने वाले कार्निवॉल महोत्सव के उद्देश्यों की रूप रेखा प्रस्तुत किया और कैसे इसे उत्तर प्रदेश के सभी औद्योगिक मंडलों में उसे ग्रीन औद्योगिक मंडल में बदला जा सकता है उसकी रूप रेखा प्रस्तुत की जिसमें प्रमुख रूप से राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण पर काम करने वाली संस्था पृथ्वी इनोवेशन की प्रमुख भूमिका रहेगी।
कार्यक्रम में बोलते हुए वायु एवं जल के प्रदूषण के कारण एवं निवारण पर चर्चा की गई और खासकर इस बात को रेखांकित किया गया कि नदियों के हजारों साल के अस्तित्व पर संकट इन्ही 200 सालों में आया है जबसे औद्योगिक क्रांति का युग शुरू हुआ, अंधाधुंध औद्योगिक विकास में हम वायु एवं जल से समझौता कर बैठे और अपने हजारों साल के आस्तित्व को संकट में दिया। कोरोना तो अभी एक प्राकृतिक आपदा का एक प्रकार है जो पारिस्थितिकीय संतुलन के छेड़छाड़ का नतीजा है, हम नहीं सुधरे तो ऐसी ही प्राकृतिक आपदाएं पृथ्वी पर जीवन के आस्तित्व को खतरे में डाल देंगी। कार्यक्रम को पीके सेठ एवं व्यंकटेश दत्ता ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण में उल्लेखनीय कार्य करने वाले 12 लोगों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सीएमए नेन्सी गुप्ता ने एवं आयोजन स्माल इंडस्ट्रीज एंड मैन्युफैक्चररस एसोसिएशन (सीमा) एवं पृथ्वी इनोवेशन ने किया।