- राजकीय निर्माण निगम के अभियंताओं को किया जा रहा नजरअंदाज
- पैक्सफेड, संस्कृत विश्वविद्यालय के कनिष्ठ अभियंताओं को प्रतिनियुक्ति के बाद रेवडिय़ों की तरह बांटी जा रही पदोन्नति
- संयुक्त इंजीनियर समिति वर्षों से लड़ रही न्याय की लड़ाई
- प्रोन्नति की अर्हता में शिथिलता का लम्बे समय से इंतजार
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। राजकीय निर्माण निगम में इंजीनियङ्क्षरग संवर्ग की विभिन्न समस्याओं एवं उनके निराकरण के लिये प्रबंध तंत्र से लम्बे समय से चल रही वार्ता का वर्षों बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। निगम प्रबंध तंत्र और संयुक्त इंजीनियर्स समिति के मध्य वार्ताओं, पत्राचारों और बैठकों के मैराथन दौर के बावजूद समस्यायें और मांगे वहीं खड़ी हैं, जहां वर्षों पूर्व थी। मुख्य सचिव द्वारा सभी विभागों के रिक्त पदों पर अविलम्ब पदोन्नति की सर्वोच्च प्राथमिकता वाले आदेश राजकीय निर्माण निगम के अभियंताओं के लिये बेमानी साबित हो रहे हैं। इन्हें नजरअंदाज कर पैक्सफेड और संस्कृत विश्वविद्यालय के कनिष्ठ अभियंताओं को प्रतिनियुक्ति के बाद पदोन्नति की सौगात दी जा रही है।
पदोन्नति की प्रक्रिया चल रही है, जो लोग भी पदोन्नति अहर्ताओं को पूरा कर रहे हैं उसकी सूची तैयार की जा रही है। जल्द ही पदोन्नति की जायेगी। यह सही नहीं है कि प्रतिनियुक्ति पर आने वाले कनिष्ठ अभियंताओं को प्रोन्नत किया गया है।
इं. राजन मित्तल, एमडी, राजकीय निर्माण निगम
बता दें कि कतिपय कारणों से उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम संवर्ग के अभियंताओं की समस्याओं की लगातार अनदेखी की जाती रही है। यहां तक कि सर्वोच्च प्राथमिकता वाले मुख्य सचिव के प्रोन्नति संबंधी आदेशों की अनदेखी भी निर्माण निगम में जारी है। संयुक्त इंजीनियर्स समिति के अध्यक्ष मिर्जा फिरोज शाह ने बताया कि उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम संवर्ग के अभियंताओं की प्रोन्नति की अर्हता में शिथिलता न करते हुये अज्ञात कारणों से पैक्सफेड, संस्कृत विश्वविद्यालय आदि जैसे विभागों के कनिष्ठ अभियंताओं और कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर लिया जा रहा है। इतना ही नहीं नियम विरुद्ध प्रोन्नति कर परियोजना प्रबंधक और महाप्रबंधक भी बनाया जा रहा है, जबकि इन्हें उच्च गुणवत्ता वाले बड़े भवनों के निर्माण का नाम मात्र भी अनुभव नहीं है। साथ ही बीते वर्ष निगम प्रबंध तंत्र और संयुक्त इंजीनियर्स समिति पदाधिकारियों के मध्य हुई बैठक के कार्यवृत्त में लिये गये निर्णयों पर भी अत तक कोई प्रगति नहीं हुई है। निगम प्रबंध तंत्र के इस आचरण से इंजीनियङ्क्षरग संवर्ग में रोष व असंतोष व्याप्त है। निगम के सभी संघ इस निगम प्रबंध तंत्र की इस कार्यशैली की घोर निंदा करते हैं। उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम प्रबंध तंत्र की इस उपेक्षित कार्यशैली से राजकीय निर्माण निगम के अभियंता आहत और आक्रोशित हैं।
11 सूत्रीय मांग पत्र पर जनवरी 2018 में प्रोन्नतियों एवं नियुक्तियों हेतु रिक्त पदों को तत्काल भरे जाने का निर्णय हुआ, लेकिन अभी तक इस पर अनिर्णय की स्थिति बनी हुई है। निगम के अभियंताओं की उपेक्षा कर विभिन्न विभागों व संस्थानों के कनिष्ठï अभियंताओं को प्रतिनियुक्ति एवं पदोन्नति दी जा रही है।
इं. मिर्जा फिरोज शाह, अध्यक्ष, संयुक्त इंजीनियर्स समिति
…ताकि निगम में बनी रहे औद्योगिक शान्ति
संयुक्त समिति के महामंत्री एसडी द्विवेदी ने बताया कि बीते दिनों निगम अभियंताओं और कर्मचारियों के हित में प्रबंध तंत्र को 11 सूत्रीय मांग पत्र दिया गया था, जिस पर हुये समझौते के अनुसार तत्काल कार्यवाही अपेक्षित थी, लेकिन अभी तक ऐसा संभव नहीं हुआ है। निगम में रिक्त पदों पर तत्काल अर्हता में शिथिलता एवं पदोन्निति की जाय जिससे निगम में औद्योगिक शान्ति बनी रहे। इन 11 सूत्रीय मांगों में निगम में विभाग की भांति प्रोन्नति की व्यवस्था लागू करने, स्वीकृत जनशक्ति नियोजन के अनुसार प्रतिनियुक्ति के लिये स्वीकृत पदों पर भवन निर्माण में दक्ष अभियंताओं को ही लेने, प्रतिनियुक्ति पर आये अभियंताओं का निगम में संविलियन न करने, निगम हित में सीधी भर्ती के रिक्त सभी पदों पर तत्काल भॢतयां प्रारम्भ करने, अभियंताओं का लम्बित विनियमितीकरण तत्काल करने, निगमकॢमयों को पंचम एवं छठे वेतनमान के बकाया एरियर का भुगतान अविलम्ब कराने और राज्यकॢमयों की भांति निगमकॢमयों को कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने आदि मांगे प्रमुख हैं।
बीते वर्ष निगम प्रबंध तंत्र और समिति पदाधिकारियों के मध्य वार्ता के में हुये निर्णय के अनुरुप न निगम में रिक्त पदों पर प्रोन्नतियां की गई और न ही नवीन नियुक्तियां। निगम प्रबंध तंत्र की उपेक्षित कार्यशैली से अभियंताओं में अत्यंत रोष एवं कुंठा व्याप्त है।
इं. एसडी द्विवेदी, महामंत्री, संयुक्त इंजीनियर्स समिति