- शासन ने तीनों सेतुओं के लिये सेतु निगम को जारी किया है 10 प्रतिशत बजट
- यूटिलिटी स्थानांतरण के लिये निगम ने लेसा को दिये 10 करोड़ रुपये
- सेतु निगम ने जिस कार्य के लिये लेसा को किया भुगतान वह महिनों बाद भी नहीं हो सका है शुरू
- लेसा तंत्र का तर्क मिली राशि से कराये गये टेण्डर
- पुराने लखनऊ में लगने वाले बेतरतीब जाम से निजात दिलाने के लिये बीते दिनों गृहमंत्री ने किया था शिलान्यास
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। अक्सर सुना गया है कि केन्द्र और राज्य में एक ही राजनैतिक दल की सरकार न होने पर विकासपरक योजनायें अधर में लटकती हैं। राजधानी में ही ऐसी परियोजनाओं की फेहरिस्त लम्बी है, जो वर्षों से अधर में लटकी रहीं। वर्तमान में प्रदेश और केन्द्र में एक ही दल की सरकारें हैं। इसलिये केन्द्र-राज्य के बीच यह उलझन लगभग समाप्त हो गई है। लेकिन, यह खींचतान राज्य के विभागों के बीच अब भी जारी है। ऐसे में योजनायें अटकती हैं, तो अटकें। विभागीय जिम्मेदारों को इससे कोई लेना-देना नहीं है। बीते दिनों गृहमंत्री ने पुराने लखनऊ को बेतरतीब ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने वाली जिन तीन एलीवेटेड सडक़ों के निर्माण का शिलान्यास किया था, आमजन को सहूलियत देने वाले इन कार्यों पर लेसा और जल संस्थान की खींचतान से ब्रेक लग गई है।
पुराने शहर में चरक चौराहे से हैदरगंज तिराहा, हैदरगंज तिराहे से मिल एरिया पुलिस चौकी और लालकुआं से डीएवी कॉलेज तक तीन फ्लाईओवर बनने हैं। इसके लिये शासन ने कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम को 10 प्रतिशत बजट जारी किया है। इन रूट पर बिजली के खंभे आदि लेसा को हटाने हैं। सेतु निगम के सूत्रों की मानें तो चरक चौराहे से हैदरगंज तिराहा, हैदरगंज तिराहे से मिल एरिया पुलिस चौकी और लालकुआं से डीएवी कॉलेज तक सेतु निगम ने क्रमश: 2.75 करोड़, 2.50 करोड़ और पांच करोड़ रुपये का भुगतान लगभग तीन माह पहले ही कर दिया है। बावजूद इसके अभी तक लेसा तंत्र द्वारा इसे हटाने का कार्य प्रारम्भ नहीं किया गया है। सेतु निगम के सूत्रों की मानें तो बीते अगस्त माह में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में व्यवस्था बनी थी कि इन मार्गों से यूटिलिटी का स्थानांतरण जल्द करा दिया जाय, जिससे निर्माण कार्य समय से पूरा हो सके। इन फ्लाईओवरों के रूट से बिजली के पोल और लाइनें हटाने का कार्य प्रारम्भ न होने के पीछे लेसा तंत्र का तर्क है कि इन तीनों रूट पर यूटिलिटी स्थानांतरण के लिये लगभग 32 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। इसका प्रस्ताव सेतु निगम को दिया गया था, जिसके सापेक्ष निगम ने महज 10 करोड़ रुपये का भुगतान ही किया है। यूटिलिटी स्थानांतरण के लिये टेण्डर करा दिये गये हैं।
जल संस्थान प्रबंध तंत्र भी राजधानी में प्रस्तावित इन निर्माण परियोजनाओं के प्रति कुछ ऐसा ही उदासीन रवैया अख्तियार किये है। दरअसल, इन तीनों रूटों पर बिछी पाइप लाइनों का लम्बे समय तक जल संस्थान जब कोई ब्योरा नहीं दिया, तो सेतु निगम ने स्वयं पिलर बनाने के लिये ग्राउण्ड पेनेट्रेटिंग रेडार, जीपीआर तकनीक का सहारा लिया है। लगभग तीन माह तक जल संस्थान न तो इनकी लोकेशन बता पाया और न इनकी गहराई का ब्योरा ही दे सका। इतना ही नहीं इन पाइप लाइनों को हटाने के लिये सेतु निगम को एनओसी तक नहीं दी। सेतु निगम के अभियंताओं की मानें तो जीपीआर तकनीक से कई जगह पाइप लाइनों की लोकेशन मिली है। इसके बाद इन जगहों पर खोदाई शुरू करवा दी गई है। यही नहीं, जिन मकानों में इन पाइप लाइनों के जरिये पानी की सप्लाई हो रही है या सीवर निकलता है, उनका भी सर्वे करवाया जा रहा है। तय योजना के मुताबिक, सेतु निगम के इंजिनियर वैकल्पिक उपाय करने के बाद रूट में आने वाली पाइप लाइनों को शिफ्ट करेंगे। हालांकि, चर्चा यह भी है कि बीते दिनों जल संस्थान ने सेतु निगम से स्वयं यूटिलिटी स्थानांतरण करने के लिये कहा है।
जल संस्थान ने नहीं दिया ब्यौरा
बीते अगस्त माह में जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक के दौरान शहर में प्रस्तावित तीनों फ्लाईओवरों के लिये जमीन के नीचे बिछी पाइप लाइनों को हटाने पर सहमति बनी थी। इस बैठक में तय हुआ था कि जल संस्थान निर्माणाधीन फ्लाईओवरों के रूट में बिछी पाइप लाइनों और सीवर लाइनों का पूरा ब्योरा उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम को सौंपेगा। इसके मुताबिक सेतु निगम पिलर और उनकी डिजाइन तय करेगा। इस बैठक के बाद सेतु निगम ने जल संस्थान को कई पत्र भेजे, लेकिन कोई जानकारी नहीं दी गई। आखिरकार लगभग तीन माह बाद जल संस्थान ने सेतु निगम को पत्र लिख कहा है कि वह स्वयं पाइप लाइन हटवा ले।
लेसा ने निकाले टेण्डर
लेसा के अधीक्षण अभियंता राम प्रकाश का इस बाबत कहना है कि निगम की इन तीनों निर्माण परियोजनाओं के रूट में यूटिलिटी स्थानांतरण के लिये 32.73 करोड़ का स्टीमेट दिया गया था, जिसके सापेक्ष सेतु निगम ने लगभग १० करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस संबंध में टेण्डर कर दिये गये हैं। निगम से शेष राशि का भुगतान करने के लिये भी कहा गया है।
कुकरैल पुल निर्माण में आई तेजी
लखनऊ। बजट के अभाव में ठप पड़े कुकरैल पुल के लिये शासन ने 91 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया है। सेतु निगम ने 95 करोड़ रुपये की मांग की थी। बजट का इंतजाम होने के बाद इस सेतु निर्माण में तेजी आ गई है। कुकरैल नाले के ऊपर गर्डर इंस्टॉल करने के लिये क्रेनें आ गई हैं। योजना के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर इसका लोकार्पण होना है। इसका निर्माण 2011 में शुरू हुआ था। लेकिन सेना से जमीन विवाद के कारण वर्षों काम ठप पड़ा रहा।