- यूपी सरकार का महत्वपूर्ण फैसला
- भू उपयोग परिवर्तन में सर्किल रेट का 35 प्रतिशत ही देना होगा
- औद्योगिक विकास व शहरी विकास प्राधिकरणों को नियमों में बदलाव के निर्देश
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग (भंडारण) सेक्टर को ‘उद्योग’ का दर्जा दे दिया है। इससे इस क्षेत्र में इकाई व पार्क स्थापना की लागत में कमी आएगी। प्रदेश सरकार ने श्रम सुधारों को लागू करने की पहल के बाद निवेश आकर्षित करने तथा उद्योग व मैन्यूफैचरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाया है। औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक क्षेत्र के लिए नए प्रोत्साहन संबंधी प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। इस क्षेत्र में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं।
औद्योगिक विकास मंत्री ने बताया, लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों से लौटने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार सृजन में इस फैसले से सहायता मिलेगी। वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स सेक्टर को उद्योग का दर्जा दिए जाने से प्रदेश में निवेश के पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थापित होगा। इस निर्णय से जेवर हवाई अड्डा, अंतर्देशीय जलमार्ग, मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट एवं लॉजिस्टिक्स हब आदि में निवेश आकर्षित होगा। वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निकट स्थित होने के कई अन्य लाभ मिलेंगे। भू-उपयोग परिवर्तन पर सर्किल दर का 150 की जगह 35 प्रतिशत ही पड़ेगा।
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन ने बताया है कि इस निर्णय से प्रदेश में इस सेक्टर की इकाई व पार्क की स्थापना लागत में काफी कमी आएगी। वर्तमान में कृषि से वाणिज्यिक भू-उपयोग परिवर्तन के लिए सर्किल दर का 150 प्रतिशत शुल्क लिया जाता है। अब अब कृषि से औद्योगिक भूमि-उपयोग परिवर्तन के लिए सर्किल दर का 35 प्रतिशत ही देना होगा। आलोक कुमार ने बताया कि अब राज्य के सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की औद्योगिक भूमि में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स गतिविधियां स्वीकृत की जा सकेंगी।
इस सेक्टर की इकाइयां औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को औद्योगिक गतिविधि के लिए आरक्षित क्षेत्रों के आवंटन और भूमि उपयोग के लिए औद्योगिक दर का 1.5 गुना भुगतान करेंगी। यह भूमि की लागत के रूप में मौजूदा की तुलना में लगभग एक तिहाई हो जाएगा। प्रमुख सचिव ने बताया कि सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को अपने मास्टर प्लान व संबंधित नियमों में संशोधन कर इस प्राविधान को जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश दे दिया गया है। इसी तरह आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अधीन सभी विकास प्राधिकरणों द्वारा अपने जोनिंग नियमों तथा संगत नियमों में इस संबंध में संशोधन किया जाएगा।