- तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की थी राजधानी के अमौसी औद्योगिक क्षेत्र को मॉडल बनाने की घोषणा
- कई बार भेजी गयी औद्योगिक क्षेत्र को मॉडल बनाने वाली प्रोजेक्ट रिपोर्ट, पर नहीं हो सका निर्णय
- लगभग पांच लाख रुपये खर्च कर यूपीएसआईडीसी ने बनवाई प्रोजेक्ट रिपोर्ट, शासन में फांक रही धूल
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। राजधानी के अमौसी औद्योगिक क्षेत्र को मॉडल बनाने की कोशिशे फिलहात पूरी होती नहीं दिख रही हैं। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (अब यूपीसीडा) की निर्माण इकाई- सप्तम के अधिशासी अभियंता ने अमौसी औद्योगिक क्षेत्र को मॉडल बनाने वाली प्रोजेक्ट रिपोर्ट मुख्यालय कई बार भेजी गई, वहां से इस फाइन ने शासन की यात्रा भी पूरी की। पर, हर बार यह रिपोर्ट ठंढे बस्ते में डाल दी गई। रिर्पोट के मुताबिक अमौसी औद्योगिक क्षेत्र को मॉडल बनाने के लिये लगभग 97 करोड़ के बजट की आवश्यकता है। इससे अमौसी औद्योगिक क्षेत्र में आधुनिक सडक़ें, आरसीसी ड्रेन, नालियां, फुट पाथ और हरित क्षेत्र सहित अन्य निर्माण कार्य होने हैं। यूपीएसआईडीसी ने लगभग पांच लाख रुपये खर्च कर विशेषज्ञ संस्था से यह रिपोर्ट तैयार कराई है, जो शासन में पड़ी धूल फांक रही है।
गौरतलब है कि प्रदेश के औद्योगिक विकास को पंख लगाने के लिये राज्य सरकार कृतसंकल्पित है। ऐसे में यूपीएसआईडीसी निर्माण इकाई- सप्तम ने यह रिपोर्ट बीते दिनों निगम मुख्यालय को भेजी और मुख्यालय ने शासन को। अमौसी औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों को बड़ी राहत देने वाले इस प्रकरण पर लम्बे समय से अनिर्णय की स्थिति गंभीर इसलिये भी है क्योंकि प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास और उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम के प्रबंध निदेशक का दायित्व एक ही अधिकारी के पास है। तेज-तर्रार आईएएस अधिकारी आरके सिंह सूबे के औद्योगिक विकास में अपना योगदान देते हुये अक्सर सुॢखयों में भी रहते हैं। बावजूद इसके अमौसी औद्योगिक क्षेत्र को अब तक मॉडल बनने का इंतजार है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने की थी मॉडल बनाने की घोषणा
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अमौसी औद्योगिक क्षेत्र सहित प्रदेश के तीन औद्योगिक क्षेत्रों को मॉडल औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। इसके बाद यूपीएसआईडीसी ने अपनी तैयारियां तेज की। चन्दौली जनपद स्थित रामनगर औद्योगिक क्षेत्र में आरसीसी सडक़ आदि का निर्माण भी कराया गया। पर, राजधानी के अमौसी औद्योगिक क्षेत्र की सडक़ें और जलनिकासी आदि की व्यवस्था में अभी भी बड़े परिवर्तन की दरकार है।
अमौसी औद्योगिक क्षेत्र में सिविल वर्क के लिये चाहिये 70 करोड़
जानकारों की मानें तो अमौसी औद्योगिक क्षेत्र को मॉडल बनाने की जो रिपोर्ट वाया यूपीएसआईडी मुख्यालय, शासन को भेजी गई है उसके मुताबिक औद्योगिक क्षेत्र में सिविल वर्क के लिये लगभग 70 करोड़ रुपये की दरकार है। वहीं इलेक्ट्रिक वर्क के लिये लगभग 28 करोड़ रुपये चाहिये। तब कहीं जाकर राजधानी का यह औद्योगिक क्षेत्र मॉडल के रूप में विकसित हो सकेगा। हालांकि, इस रिपोर्ट पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है।
विकास के लिये चले कई अभियान
जानकारों की मानें तो राजधानी के औद्योगिक क्षेत्रों की सडक़ों, जल निकासी सहित अन्य मूलभूत निर्माण कार्यों को पूरा करने के लिये बीते दिनों अभियान शुरू हुआ था। इस अभियान के तहत औद्योगिक क्षेत्रों में फौरी तौर पर उद्यमियों को राहत दिलाने की योजना थी। यूपीएसआईडीसी के प्रबंध निदेशक आरके सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी कर जल्द से जल्द औद्योगिक क्षेत्रों की सडक़ें दुरुस्त करने को कहा था। पर, बजट के अभाव में यह कार्य भी प्रभावित हुये। हालांकि, बीते दिनों जारी बजट से इस समस्या का समाधान निकला है।
उद्यमियों को बदलाव का इंतजार
अमौसी औद्योगिक क्षेत्र के महासचिव रजत मेहरा का कहना है कि अमौसी औद्योगिक क्षेत्र की जलनिकासी व्यवस्था को वजूद में लाने के लिये बीते एक दशक से संघर्ष जारी है। लम्बे समय के बाद इसकी डीपीआर बनकर तैयार हुई। पर, यह आईआईडीसी कार्यालय में अनुमोदन का इंतजार कर रही है। सडक़ों और पार्कों की स्थिति भी दयनीय है।
नई बात नहीं बदहाली
उद्यमियों की मानें तो सूबे के औद्योगिक क्षेत्रों की बदहाली नई बात नहीं है। किसी भी औद्योगिक क्षेत्र में सडक़ों, नालियों, पार्कों और हरित पट्टियों की बदहाल तस्वीर आसानी से देखी जा सकती है। उद्यमियों को यह मूलभूत सुविधायें मुहैया कराने के लिये समय-समय पर अक्सर अभियान चलाने का ऐलान किया जाता रहा है। बावजूद इसके स्थानीय उद्यमियों को सडक़, जल निकासी, पार्क, हरित क्षेत्र सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिये उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (अब यूपीसीडा) प्रबंध तंत्र की परिक्रमा करनी पड़ती रही है।