- परियोजना का नाम: राज्य आपदा मोचन बल वाहिनी, उत्तर प्रदेश (मुख्यालय भवन निर्माण)
- प्रस्तावित परियोजना का क्षेत्रफल: 27.653 हेक्टेयर
- कार्य की लागत: 12102.85 लाख (9643.01 लाख अनावासीय और 2459.84 लाख आवासीय)
- कार्य प्रारम्भ करने की तिथि: जनवरी 2017
- कार्य पूर्ण करने की तारीख: मार्च 2019
- कार्यदायी संस्था: उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम
- ठेकेदार: प्रभू कंस्ट्रक्शन, गोमती नगर लखनऊ
- लोकार्पण की तारीख: 10 मार्च 2019
- लोकार्पण किसने किया: योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
- निर्माण की वर्तमान स्थिति: निर्माण कार्य अब तक है अधूरा
लखनऊ। बाढ़, भूकम्प और आग समेत अन्य आपदाओं में फंसे पीडि़तों को राहत पहुंचाने वाली राज्य आपदा मोचन बल वाहिनी, एसडीआरएफ अपने मुख्यालय भवन के अधूरे निर्माण की विपदा से जूझ रही है। इस निर्माण कार्य में लगे जिम्मेदार इसका कारण बजट का अभाव बता रहे हैं। परियोजना को पूरा करने की पूर्वनिर्धारित समय सीमा बीत चुकी है। बावजूद इसके कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम प्रबंध तंत्र अभी तक महज परियोजना के कुछ कार्य ही हैंडओवर कर सकी है। पर, प्रशासनिक अधिकारियों ने वा-वाही लूटने के लिये इस अधूरी परियोजना का लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करकमलों से संपन्न करा दिया है।
प्रदेश में किसी भी प्राकृतिक व मानवजनित आपदा के समय तत्काल राहत और बचाव कार्यों को त्वरित एवं प्रभावी ढंग से सम्पादित करने के उद्देश्य से गठित राज्य आपदा मोचन बल, उत्तर प्रदेश के इस मुख्यालय भवन में आवासीय एवं अनावासीय निर्माण 12102.85 लाख रुपये से होने हैं। एसडीआरएफ की इस निर्माण परियोजना के लिये प्रदेश शासन की मंशा के अनुरूप जिलाधिकारी लखनऊ ने 16 फरवरी 2016 को ग्राम नूरनगर, भदरसा, परगना-बिजनौर, तहसील सरोजनीनगर में 27.653 हेक्टेयर भूमि आवंटित की थी। इस भूमि पर एसडीआरएफ वाहिनी के आवासीय एवं अनावासीय भवनों का निर्माण के लिये कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम नामित किया गया।
कार्यदायी संस्था ने इसके लिये ठेकेदार प्रभू कंस्ट्रक्शन को अनुबंधित किया। इस परियोजना में कुल 12102.85 लाख रुपये की लागत से आवासीय भवनों में श्रेणी-2 के 22 आवास एवं श्रेणी-3 में कुल 72 आवासों के निर्माण होने हैं। तो वहीं अनावसीय भवनों में 500 जवानों के रहने के लिये बैरक, प्रशासनिक भवन, परिवहन शाखा, ओवर हैड टैंक, वेयर हाउस, सब स्टेशन सहित कुल 35 निर्माण कार्य कराने की योजना थी। पर, इनमें से अभी तक महज नौ कार्यों पर ही निर्माण कार्य प्रारम्भ किया जा सका है। एसडीआरएफ मुख्यालय भवन के यह निर्माण कार्य जनवरी 2017 में प्रारम्भ हुये, जिसे मार्च 2019 में पूरे कराये जाने थे।
निर्माण कार्य बजट के अभाव में अधूरे हैं। इस कार्य के लिये संबंधित विभाग ने तीन किश्तों में अभी तक 42 करोड़ रुपये जारी किये हैं। चौथी किस्त के तहत 13 करोड़ रुपये जारी होने की प्रक्रिया प्रचलित है। संबंधित विभाग ने जितना धन जारी किया है, उसके सापेक्ष यूपीआरएनएन ने निर्माण कार्य कराये हैं।
संजय वर्मा, पीएम, यूपीआरएनएन
गौरतलब है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने वा-वाही लूटने के फेर में राज्य आपदा मोचन बल वाहिनी के मुख्यालय भवन (आवासीय एवं अनावासीय) निर्माण परियोजना का लोकार्पण 10 मार्च 2019 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों करा दिया। उम्मीद थी कि लोकार्पण होने के पश्चात इस परियोजना के अधूरे कार्यों की गति तेज होगी। पर, उद्घाटन के बाद निर्माण की गति और सुस्त हो चली है। कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के परियोजना प्रबंधक, अवर अभियंता सहित अन्य स्टाफ इसका कारण बजट का अभाव बता रहा है। साथ ही निर्धारित समय सीमा निकलने के बावजूद इस परियोजना के अधूरे निर्माण कार्यों के अन्य कारण भी चर्चा का विषय हैं। इनमें ठेकेदार द्वारा परियोजना पर विभिन्न निर्माण सामग्री की आपूर्ति करने वाले आपूर्तिकर्ताओं का बकाया भुगतान न करना भी एक कारण चर्चित है।
निर्धारित समय निकलने के बावजूद इस अधूरे निर्माण पर कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के परियोजना प्रबंधक संजय वर्मा का कहना है कि राज्य आपदा मोचन बल वाहिनी के निर्माण कार्य बजट के अभाव में अधूरे हैं। इस कार्य के लिये संबंधित विभाग ने तीन किश्तों में अभी तक 42 करोड़ रुपये जारी किये हैं। चौथी किस्त के तहत 13 करोड़ रुपये जारी होने की प्रक्रिया प्रचलित है। संबंधित विभाग ने जितना धन जारी किया है, उसके सापेक्ष यूपीआरएनएन ने निर्माण कार्य कराये हैं। परियोजना प्रबंधक ने बताया कि एसडीआरएफ प्रबंध तंत्र की प्राथमिकता वाले निर्माण कार्य पहले कराये गये हैं। वहीं संबंधित ठेकेदार द्वारा आपूर्तिकर्ताओं का भुगतान न करने पर कहा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है।
राज्य आपदा मोचन बल वाहिनी के लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नसीहत देते हुये कहा था कि ‘बहुत से अवसर अपनी नई पहचान बनाने का मौका देते हैं, उसमें जो संस्था चूकती है उसके सामने स्वयं की पहचान का संकट खड़ा हो जाता है।’ ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि कार्य पूर्ण करने के निर्धारित समय से काफी पीछे चल रही जनहित की तमाम बड़ी परियोजनाओं की कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम क्या अपनी जिम्मेदारी से चूक रही है? या कारण कुछ और है?
प्राप्त बजट के सापेक्ष प्राथमिकता पर एसडीआरएफ के निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं।
अभिमन्यू सोनकर, जेई, यूपीआरएनएन