- उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात आदि राज्य सरकारों ने किया है श्रम कानून में संशोधन
बिजनेस लिंक ब्यूरो
लखनऊ। श्रम कानून में हुए बदलाव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है। उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने वाले झारखण्ड के सोशल एक्टिविस्ट पंकज कुमार यादव का मानना है कि यह बदलाव विदेशी निवेशकों को भारत लाने के मकसद से किये गये हैं। उनकी तरफ से एडवोकेट निर्मल अम्बष्ठा ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है।
उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित अन्य राज्यों में मजदूर कानून को कमजोर और शिथिल बनाने का अध्यादेश जारी हुआ है। श्रम कानून में संसोधन तीन महीने से लेकर तीन वर्षों तक अलग-अलग राज्यों में किया गया है। पंकज यादव ने जनहित याचिका के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से यह मांग की है कि राज्य सरकारों के इन अध्यादेश को रद कर श्रम कानून को संरक्षित किया जाय। पंकज ने बताया, राज्य सरकारों ने फैक्ट्री एक्ट का संसोधन कर मजदूरों के मूल अधिकारों को हनन करने का प्रयास किया है। आठ घंटे की जगह बारह घण्टे कार्य करवाना तथा न्यूनतम मजदूरी से भी वंचित रखना मानवाधिकार का हनन है। राज्य सरकारों ने श्रम कानून में बदलाव वॉर के दौरान मिलने वाले राज्य सरकार के अधिकारों के आधार पर किया है। जो न तो राजनीतिक दृष्टि से सही है, न ही नैतिक दृष्टि से सही है।
उन्होंने कहा, लाखो मजदूर अभी बेइन्तहां पीड़ा को झेल रहे हैं। और लॉकडाउन के बाद जब वो वापस फैक्ट्री में जायेंगे तो नया अध्यादेश उन्हें अपने फसे हुए पैसे को निकालने में भी बड़ी अड़चने खड़ी करेगा। मजदूरों को देश आजादी से पहले से मिलते आ रहे हर वो अधिकार और सुविधा से वंचित करने की कोशिश है जिसके वह हकदार हैं। मजदूर के जान और जमीर के कीमत पर निवेशकों को आमंत्रित करना कही से भी उचित नहीं है। हालांकि, राज्य सरकारों का तर्क है कि श्रम कानूनों में यह संशोधन लॉकडाउन और उसके बाद सभी प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के लिये अस्थायी रूप से किये गये हैं। स्थिति सामान्य होते ही यह कानून पुन: बहाल कर दिये जायेंगे।